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खुले में नमाज विवादः  भड़के राजनेता, उमर अब्दुल्लाह ने कहा, हमला है एक धर्म पर, नीतीश बोले-बेकार की बात है यह

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली / चंडीगढ़ / पटना

मस्जिदों में जगह तंग पड़ने या मस्जिद की संख्या नाकाफी होने के चलते जुमे के दिन खुले में नमाज पढ़ने को लेकर विवाद खड़ा करने वालों को कई राजनेताओं ने आड़े हाथ लिया है. ऐसे लोगों की नियत पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष ओवैसी सवाल उठाते रहे हैं. अब इस मुद्दे पर अन्य नेता भी खुलकर सामने आ गए हैं.

नेशनल कांन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता एवं जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो कुछ ज्यादा ही भड़के हुए हैं. उमर अब्दुल्ला ने वैकल्पिक व्यवस्था होने तक दिल्ली से लगते हरियाणा के गुरुग्राम में खुले में जुमे की नमाज पर पाबंदी  लगाने के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आदेश पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि यह एक संप्रदाय विशेष पर हमला है.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बेहतर होता कि यह प्रतिबंध सभी धर्मों पर लगाया जाता, लेकिन खट्टर सरकार की मौजूदा नीति से पता चलता है कि निशाने पर केवल एक मजहब है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में सभी धर्मों को मानने की आजादी है. उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर एक धर्मनिरपेक्ष भारत का हिस्सा था न कि वर्तमान भारत का.

‘खुले में नमाज‘ को लेकर हुए हंगामे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बयान पर नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि एक धर्म को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है.

दरअसल, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साफ शब्दों में कहा है कि खुले में नमाज नहीं होनी चाहिए. अब सार्वजनिक स्थानों पर नमाज नहीं अदा की जाएगी. इसके लिए आदेश आ चुका है. कुछ समय से दो पक्षों में विवाद चल रहा है.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने क्या कहा?

मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि अगर कोई अपने धर्मस्थल में प्रार्थना करता है, तो इसमें कोई समस्या नहीं है. खुले में इस तरह के कार्यक्रम नहीं होने चाहिए. खुले में शुरू हुई पूजा-पाठ की यह परंपरा कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि जिन 37 जगहों को हमने खुली में नमाज के लिए चिन्हित किया था, उन सभी की अनुमति रद्द कर दी गई है. नमाज को लेकर तनाव नहीं होने दिया जाएगा.

क्या है गुरुग्राम का नमाज विवाद

दरअसल, अब तक की सरकारों ने गुरुग्राम में खुले में नमाज को लेकर समय≤ पर होने वाले विवाद को सुलझाना में कभी रुचि नहीं ली. इस औद्योगिक शहर में गिनी-चुनी मस्जिदें हैं. रिहाशयी सेक्टरों में मंदिरों के लिए जगह  आरक्षित हैं, पर मस्जिदों के लिए नहीं. यही कारण है कि शहर के विस्तार लेने और जनसंख्या बढ़ने के साथ मस्जिदों की जरूरतें बढ़ती गईं. शहर में मस्जिदों की संख्या बढ़े इसके लिए सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर कोई पहल नहीं की गई. यहां तक कि शहर में वक्फ जमीन पर भी अवैध कब्जा है.

मगर उस जगह पर भी मस्जिद निर्माण को लेकर कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं. यहां तक कि अवैध कब्जा हटाने को भी कोई ऑपरेशन नहीं चलाया जा रहा है. गुरूग्राम में वक्फ की बहुत सारी बहुमूल्य भू-खंडें, पर सब पर दबंगों का अवैध कब्जा है. परिणाम स्वरूप धर्म के नाम पर विवाद खड़ा करने वालों को मौका मिल गया है. जुमे की नमाज के लिए खुले में एक घंटे से ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं होते. इसके बावजूद विवाद को इतना तूल दे दिया गया कि अब अगले आदेश तक जुमे की नमाज पर ही पाबंदी लगा दी गई है.

खुले में नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की मांग पर भड़के नीतीश

 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा ) के कई नेताओं की खुले में नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की मांग पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भड़क गए. उन्होंने कहा कि इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है.पटना में जनता दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात करते हुए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कहीं कोई पूजा करता है, कहीं कोई गाता है, सबका अपना-अपना विचार है.

मुख्यमंत्री ने कहा, इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है. इन सब चीजों में हम ऐसा मानकर चलते हैं कि सबको अपने ढंग से करना चाहिए. कोई पूजा करता है. कहीं कोई गाता है सबका अपना-अपना विचार है.

उन्होंने कहा कि कोरोना गाइडलाइन के दौरान कोई बाहर नहीं जा रहा था. सभी लोग हमारे लिए एक समान हैं. इन विषयों पर चर्चा का कोई मतलब नहीं है. सभी लोग अपने ढंग से चलते हैं. इन सब चीजों को मुद्दा बनाना ठीक नहीं. हम लोगों के लिए इसका कोई मतलब नहीं है.

उल्लेखनीय है कि भाजपा के विधायक हरिभूषण ठाकुर ने पिछले दिनों हरियाणा की तर्ज पर बिहार में भी खुले में नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि खुले में नमाज पढ़ने का कोई मतलब नहीं है.

उन्होंने कहा था कि जिस तरह हरियाणा की सरकार ने खुले में नमाज पर रोक लगाई है. बिहार में भी वैसा होना चाहिए. खुले में और सड़कों पर नमाज पढ़ने पर रोक लगनी चाहिए. शुक्रवार को सड़कों को जाम कर देना, सड़क पर नमाज पढ़ना, ये कैसी पूजा पद्धति है. अगर आस्था की बात है घर में या मस्जिद में नमाज पढ़ें. आखिर मस्जिद क्यों है. इसके अलावा भी कई अन्य नेताओं ने ऐसी ही मांग की है.
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