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पीएफआई ने खरगोन दंगा पीड़ितों की मदद के लिए जुटाए थे 55 लाख रुपये: पुलिस

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, इंदौर

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने इस साल की शुरुआत में मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी जुलूस के दौरान हुई हिंसा के बाद एक विशेष समुदाय को भड़काने की कोशिश की थी और दंगा प्रभावित लोगों की मदद के नाम पर लगभग 55 लाख रुपये एकत्र किए थे. यह कहना है एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का.

केंद्र सरकार ने बुधवार को पीएफआई और उसके कई सहयोगियों पर कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया. उन पर वैश्विक आतंकी समूहों के साथ लिंक होने के आरोप लगाए गए हैं.

पुलिस उपायुक्त ने कहा, हमारी जांच में पाया गया कि खरगोन में हिंसा के बाद स्थानीय स्तर पर हरकत में आई पीएफआई ने एक खास समुदाय को भड़काने की कोशिश की. दंगा प्रभावित लोगों की मदद के नाम पर उनसे करीब 55 लाख रुपये का चंदा लिया. खुफिया शाखा के रजत सकलेचा ने यह बात पीटीआई-भाषा के एक संवाददाता को बताया.

खरगोन शहर में 10 अप्रैल को रामनवमी समारोह के दौरान सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं, जिसमें पथराव किया गया था. वाहनों को आग लगा दी गई थी और कुछ घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था, जिसके कारण पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था.

उन्होंने कहा कि पीएफआई ने 2008 में अपनी गतिविधियां शुरू की थीं, लेकिन नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करने के बाद संगठन प्रकाश में आया.

पुलिस अधिकारी ने कहा कि पीएफआई ने विभिन्न संगठनों की आड़ में अपनी गतिविधियों को फैलाना शुरू कर दिया और पूरे पश्चिमी मध्य प्रदेश, खासकर राजस्थान की सीमा से लगे जिलों में अपना आधार बढ़ाने की कोशिश कर रहा था.सकलेचा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के एक चूड़ी विक्रेता तसलीम अली (25) को 22 अगस्त, 2021 को यहां एक इलाके में पीटे जाने के बाद संगठन ने लोगों को सांप्रदायिक आधार पर भड़काने की कोशिश की. इंदौर में इससे 75 लोग जुड़े थे.

उन्होंने कहा कि पीएफआई ने सोशल मीडिया के माध्यम से कम पढ़े-लिखे लोगों और दैनिक वेतन भोगियों को संगठन से जोड़ने की कोशिश की.उनके मुताबिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा यहां से आपत्तिजनक सामग्री जब्त किए जाने के बाद जवाहर मार्ग स्थित स्थानीय पीएफआई कार्यालय के बाहर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.

सकलेचा ने कहा कि प्रतिबंध के बाद पीएफआई के सील किए गए कार्यालय के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.अधिकारियों ने बताया कि एनआईए की छापेमारी के दौरान 22 सितंबर को पीएफआई के तीन नेताओं को गिरफ्तार किया गया था, जबकि प्रतिबंधित संगठन से जुड़े चार और लोगों को 27 सितंबर को मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था.