भोपाल की विश्व तब्लीगी इज्तिमा में दिखा सांप्रदायिक सौहार्द, इसमें हिस्सा लेने पहुंचे 400,000 से अधिक बच्चे
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, भोपाल
भावपूर्ण दृश्यों के बीच भोपाल की तेरहवीं वैश्विक इज्तिमा के दूसरे दिन भी तबलीगियों की भारी भीड़ उमड़ी. विश्व तबलीगी जमात के इज्तिमा में जहां देश के कोने-कोने से जमातियों का आना जारी है, वहीं अब तक अलग-अलग राज्यों से 400,000 से ज्यादा बच्चे ठंड के मौसम में तौहीद की राह की मुश्किलों को झेलते हुए भोपाल पहुंचे. यही नहीं यहां सांप्रदायिक सौहार्द का भी नजारा देखने को मिल रहा है.
वैश्विक इज्तिमा के दूसरे दिन, इस्लामिक विद्वानों ने विश्वास की परिपक्वता, हलाल जीविका की खोज, ज्ञान और महिलाओं के अधिकारों पर विस्तार से बात की और तौहीद की राह पर पहुंचे बच्चों से इस्लामी समाज की स्थापना का आग्रह किया गया.
चार दिवसीय वैश्विक इज्तिमा 21 नवंबर को सामूहिक नमाज के साथ समाप्त होगी. वैश्विक सभा में दूसरे दिन, मौलाना इकबाल हफीज, मौलाना मुहम्मद इलियास, हजरत मौलाना साद कांधलवी और अन्य इस्लामिक विद्वानों ने तकरीरें पेश कीं और मुस्लिम उम्मत से हलाल खाने और कमाने का आग्रह किया.
उलेमा ने कहा है कि जिस प्रकार से जैसी रोजी खाई जाएगी, वैसे ही आचार-विचार भी होंगे.ग्लोबल तबलीगी जमात में हैदराबाद से आए मौलाना असद अहमद ने कहा कि जमात का मकसद अल्लाह के बंदों तक अल्लाह का पैगाम पहुंचाना है. दुनिया की तालीम हासिल करने के लिए इन्सान दूर-दूर तक जाता है, तकलीफें सहता है, लेकिन उसकी तालीम और उसका फायदा इस दुनिया में ही रह जाता है, लेकिन जब इंसान कुरान की तालीम में इल्म हासिल करता है, तो वह लोक और परलोक से लाभान्वित होगा. दोनों में सफलता है. जब आप इस्लाम के विद्वानों, आत्मा-प्रिय दृश्य और रसूलुल्लाह के प्रेमी से मिलते हैं, तो अल्लाह उन्हें आशीर्वाद देते हैं. उन्हें शांति प्रदान करते हैं. इसलिए उलेमा की बातें सुनें, उनके ज्ञान को सुनें.
दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय जमात में आए मुहम्मद फैजान का कहना है कि जमात में आने का सफर दुनिया को ठोकर की स्थिति में रखने की यात्रा है. इस संसार की आयु थोड़े ही दिनों की है और मनुष्य इस संसार में परीक्षा देने आया है. इस्लाम इस दुनिया में रहते हुए आखिरत की फिक्र करना सिखाता है, जबकि इस दुनिया के लोगों का हक चुकाता है. इस्लाम कहता है कि अल्लाह का हक अदा करो और अल्लाह के बंदों का भी हक अदा करो. पड़ोसियों का हक अदा करो. एक ऐसा समाज जिसमें सब आपस में मिलें, सबके बराबर अधिकार हों, इस्लाम कभी किसी का दिल दुखाने की इजाजत नहीं देता.
बनारस से आए मुहम्मद सिंहवाज का कहना है कि भोपाल में एकता की जो मिसाल है, वह कहीं देखने को नहीं मिली. जिस जगह पर इज्तिमा हुई है, वहां काफी जमीन गैर-मुसलमानों की है, लेकिन उन्होंने सभा के लिए अपनी जमीन मुफ्त में दे दी.इस शिक्षा को न केवल सार्वजनिक करने की जरूरत है, बल्कि भारत को उसी शिक्षा की जरूरत है जहां मानवता फल-फूल सके.