Muslim WorldPolitics

चंद नाकाम अंतरधार्मिक प्रेमविवाह के सहारे कर्नाटक में ‘लव जिहाद विवाद’ बढ़ा रहे कट्टर हिंदू संगठन

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, बेंगलुरू

हिंदूवादी संगठन लव जिहाद के नाम पर मुसलमानों के खिलाफ अपनी ताकत लगातार बढ़ा रहे हैं. चंद नाकाम अंतरधार्मिक विवाहों को उदाहण बनाकर सूबे में कट्टरवाद फैलाया जा रहा है. हद यह कि जो मुस्लिम लड़कियां हिंदू लड़कों से विवाह करती हैं, इसे घर वापसी की संज्ञा दी जा रही है.

कर्नाटक में ‘लव जिहाद’ के नाम पर विवाद को हवा देने के लिए अजीब-अजीब से तर्क दिए जाते हैं. स्थिति यह है कि कट्टर हिंदू संगठनों ने इसके नाम पर अभियान चलाकर मुसलमानांे को शर्मसार कर रहे हैं. दो समुदाय के बीच गलतफहमी पैदा करने के लिए सोशल मीडिया का भी भरपूर सहारा लिया जा रहा है.

एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,एनआईए ने दक्षिण कन्नड़ जिले से कांग्रेस के पूर्व विधायक स्वर्गीय इदिनब्बा की पोती दीप्ति मारला उर्फ मरियम के खिलाफ कर्नाटक में कथित रूप से आतंकवादी नेटवर्क चलाने और आईएसआईएस में भोले-भाले मुस्लिम युवकों की भर्ती करने के आरोप में कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया है.

एक अन्य मामले में कर्नाटक के मांड्या जिले में 13 साल की नाबालिग लड़की से ब्लैकमेलिंग और दुष्कर्म के मामले ने श्लव जिहादश् का रूप ले लिया. 25 वर्षीय आरोपी ने दुष्कर्म के बाद पीड़िता को इस्लाम कबूल करने और उससे शादी करने के लिए नाबालिग को प्रताड़ित किया-

एक अन्य घटना में हुबली में मोहम्मद एजाज शिरूर से शादी करने के बाद इस्लाम धर्म अपनाने वाली अपूर्वा पुराणिक को तलाक लेने के लिए 20 बार चाकू मारा गया. एजाज पहले से ही शादीशुदा था और उसके दो बच्चे हैं। जांच से पता चला कि ऑटो चालक एजाज ने एमबीए स्नातक युवती को फंसाया, उसके निजी वीडियो बनाए, ब्लैकमेल किया और शादी के लिए फुसलाया। यह घटना मार्च में हुई थी।

इन घटनाओं ने पूरे कर्नाटक को हिलाकर रख दिया और राष्ट्रीय समाचार बना. आज कर्नाटक में श्लव जिहादश् एक आम मुहावरा बन गया है. हिंदू संगठनों ने स्थिति पर नजर रखने और हिंदू लड़कियों की सुरक्षा करने की बात कही है.

मंगलुरु में वज्रदेही मठ के राजशेखरानंद स्वामी ने श्लव जिहादश् के कथित मामलों को रोकने और राज्य के तटीय क्षेत्र में हिंदू पहचान की रक्षा के लिए श्हिंदू टास्क फोर्सश् के गठन की घोषणा की है.

हिंदू संगठन श्री राम सेना का दावा है कि हिंदू लड़कियों को श्लव जिहादश् के माध्यम से भारत की जनसांख्यिकी को बदलने के कथित संगठित प्रयासों के खिलाफ जमीनी स्तर पर काम किया जा रहा है.

हालांकि विशेषज्ञ इस प्रवृत्ति के खिलाफ चेतावनी देते हैं. विचारक, राजनीतिक विश्लेषक एवं साहित्यकार बसवराज सुलिभावी का कहना है कि वर्तमान युग में लोगों की मानसिकता में धार्मिक कट्टरता थोपी जा रही है.

सुलिभावी ने कहा, यहां व्यवस्था दोषी है. यह दोनों तरफ से किया जा रहा है. यहा बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों की मानसिकता बना रहा है.

उन्होंने कहा, यह नहीं कहा जा सकता है कि इसके लिए अकेले एक विशेष धर्म या व्यक्तियों का एक समूह जिम्मेदार है. हालांकि अल्पसंख्यक कट्टरवाद काफी हद तक इसके लिए जिम्मेदार है. हमें इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना होगा.

सुलिभवी ने कहा, एक हिंदू द्वारा एक शव को सूटकेस में ठूंसने की वारदात हुई है. इन सभी मामलों को व्यक्तिगत स्तर पर देखा जाना चाहिए. लेकिन इसे एक धर्म से जोड़ने का प्रयास किया जाता है. जब भी कोई घटना होती है, धर्म विशेष को दोष देने का प्रयास किया जाता है.

लेकिन श्री राम सेना के संस्थापक प्रमोद मुथालिक कहते हैं कि हिंदू लड़कियों को व्यवस्थित रूप से फंसाया जाता है. विभिन्न ऐप और डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके हिंदू लड़कियों को श्लव जिहादश् में फंसाने की कोशिश की जा रही है.

मुतालिक ने कहा, मैंने 2008 में श्लव जिहादश् शब्द गढ़ा और उस पर पहली किताब भी प्रकाशित की. किताब में आधी हिंदू और आधी मुस्लिम महिला की तस्वीर, इस्लाम में जबरन धर्मांतरण का प्रतीक है. हम कई वर्षों से इसके खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं .

उन्होंने कहा, जब मैंने पहली बार श्लव जिहादश् के खिलाफ आवाज उठाई तो भाजपा सहित सभी ने मेरा उपहास उड़ाया. वे कहते थे कि चूंकि मेरी शादी नहीं हुई है, इसलिए मुझे श्लव जिहादश् का जुनून है. मेरा अपमान और विरोध किया गया. लेकिन मैंने अपना काम जारी रखा और मामले सामने आए.

मुथालिक ने हावेरी जिले के सावनूर शहर में 19 वर्षीय एक हिंदू लड़की का उदाहरण दिया, जिसे 65 वर्षीय निप्पनी बाबू ने बस में कर लिया था. वह तीन महीने से लापता थी. उन्होंने कहा, मैंने एसपी के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया. इसके बाद पुलिस ने 24 घंटे में लड़की का पता लगा लिया. लड़की को उसके परिवार को सौंप दिया गया और आरोपी को जेल भेज दिया गया.

मुस्लिम पुरुषों पर हिंदू महिलाओं को फंसाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, मैंने ऐसे कई मामलों को देखा है. मुस्लिम युवाओं को हिंदू लड़कियों को फंसाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. हिंदू लड़कियों को प्रभावित करने के लिए उन्हें व्यवस्थित रूप से केरल में प्रशिक्षण दिया जाता है.

मुथालिक ने कहा, इसके पीछे काम करने वाले संगठन न केवल युवाओं को प्रशिक्षण देते हैं, वे उन्हें बाइक, नकदी और फैशनेबल पोशाक भी प्रदान करते हैं. इसी तरह एमबीए, इंजीनियरिंग और स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही हिंदू लड़कियां मैकेनिक, राजमिस्त्री और ऑटो चालकों के झांसे में आ रही हैं.

इस प्रयास को मुस्लिम समुदाय और आरोपियों के परिजनों का समर्थन मिल रहा है. यह अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी बढ़ाने का एक हिस्सा है.

मुतालिक ने कहा, धर्म परिवर्तन के लिए हिंदू लड़कियों, महिलाओं को फंसाना एक बात है. अब उनका इस्तेमाल जिहाद को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.

हिंदू लड़कियों को लाइव बॉम्बर्स के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. हुबली में प्रसिद्ध बेकरी मालिक की बेटी किसी के साथ भाग जाने के बाद लापता हो गई. उसका घर मुस्लिम इलाके में स्थित था. 15 साल बाद उसकी तस्वीर 1999 में कोयम्बटूर विस्फोट मामले के वांछित व्यक्तियों की सूची में दिखाई दी. उसे 10 वांछित व्यक्तियों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.

यह सबूत है कि कैसे हिंदू लड़कियों का उपयोग आतंकवाद के लिए किया जाता है. हिंदू लड़कियों को अगवा करने और श्लव जिहादश् में फंसाने के बाद उन्हें सीरिया भेजा जाता है.

दीप्ति मारला के मामले में एक हिंदू लड़की, जिसे कथित तौर पर मुस्लिम युवकों को आईएस में भर्ती करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, उसके नाम पर 14 बैंक खाते थे। यह सबूत हैं.

उन्होंने कहा, तीन हजार से अधिक हिंदू लड़कियां, जो श्लव जिहादश् की शिकार थीं, उन्हें वापस हिंदू धर्म की तह में लाया गया है. हालांकि उन्हें शुरू में खतरों का सामना करना पड़ा, लेकिन हमने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की.

आरोपों का जवाब देते हुए बसवराज सुलिभवी ने कहा, श्लव जिहादश् भारतीय संदर्भ में राजनीतिक पृष्ठभूमि में अलग-अलग परिभाषाएं लेती हैं.

सुलिभवी ने कहा, इन कथाओं के पीछे एक राजनीतिक मकसद है. इस देश के नागरिक, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकते हैं.

सुलिभावी ने कहा, नागरिकों को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का संवैधानिक अधिकार है. आज इस अधिकार को छीनने का प्रयास किया जा रहा है. जातिवादी और पारंपरिक मानसिकता लोगों को धर्म के नाम पर विभाजित करने के लिए धार्मिक भावनाओं को भड़काती है.

लेकिन उन्होंने भी स्वीकार किया कि एक बार शादी हो जाने के बाद किसी भी पुरुष को यह अधिकार नहीं है कि वह अपने साथी पर अपना धर्म थोप सके. व्यक्ति अपने धर्म और परम्पराओं का पालन कर सकते हैं. सुलिभवी ने कहा, जब एक हिंदू लड़की की शादी एक मुस्लिम से होती है तो इसे श्लव जिहादश् कहा जाता है. जब एक मुस्लिम लड़की एक हिंदू लड़के से शादी करती है, तो यह एक प्रेम विवाह बन जाता है. इस दोहरेपन के पीछे राजनीति है, यह देखना होगा.

उन्होंने कहा, इस दोहरेपन को व्यवस्था का समर्थन है.इस पर राजनीति की जा रही है. शादी के बाद अगर कोई चाहता है कि उसका जीवनसाथी उसके धर्म का पालन करे, तो यह गलत है. वह शादी से पहले और बाद में अपनी पसंद के धर्म का पालन कर सकता या कर सकती है.