EducationMuslim WorldPoliticsTOP STORIES

एबीवीपी के प्रचार के बाद इंदौर लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल रहमान और सहायक प्राध्यापक मोजिज बेग निलंबित, लेखिका डॉ.फरहत खान गिरफ्तार

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, इंदौर

चूंकि पिछले कुछ सालों से लोगों के जेहन में हिंदू-मुसलमान का इतना जहर भर दिया गया है, इसलिए इसके नाम पर किसी की भी नौकरी खाई जा सकती है और किसी को भी जेल में डाला जा सकता है. जब माहौल ऐसा हो तो कुछ भी संभव है. भाजपा के सत्तारूढ़ मध्य प्रदेश के इंदौर के सरकारी लॉ कॉलेज में कथित रूप से धार्मिक कट्‌टरता फैलाने और अनुशासनहीनता के मामले में कथित जांच के बाद कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ इनामुर रहमान और सहायक प्राध्यापक डॉ मिर्जा मोजिज बेग को निलंबित कर दिया गया है. इसके अलावा लेखिका डॉ.फरहत खान को पुलिस ने पुणे के एक अस्पताल से गिरफ्तार किया है.

आखिर यह तो होना ही था. आरोप है कि पिछले कुछ दिनों से आरएसएस के छात्र संगठन विद्यार्थी परिषद की ओर से इंदौर लॉ कॉलेज के मुस्लिम प्रोफेसरों को निशाना बनाया जा रहा था. सोशल मीडिया सहित तमाम मंचों से भ्रामक प्रचार किए जा रहे थे. उससे स्पष्ट हो गया था कि आने वाला समय इन मुस्लिम प्रोफेसरों के लिए भारी पड़ने वाला है.

इस खबर के साथ विद्यार्थी परिषद की चिट्ठी भी संलग्न है. इस चिट्ठी को पढ़कर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है. इस चिट्ठी पर संदेह जताते हुए काश नामक ट्विटर हैंडल से बताया गया- विद्यार्थी परिषद से जुड़े 9 छात्रों ने पिछले 2-3 सालों से ना फीस भरी और ना क्लास गए. कुछ महीनों से यूनिवर्सिटी इन पर फीस भरने के लिए दबाव बना रही थी. शिकायतकर्ता दीपेंद्र ठाकुर 4 बार फेल होने के साथ उनकी 30 हजार फीस बकाया है.

यानी खुद की कमजोरी छुपाने के लिए नया प्रपंच रचा गया. इसके लिए एक पुस्तक को कंधे की तरह इस्तेमाल किया गया. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार पुस्तक 2014 में खरीदी गई थी. इससे संबंधित लोग सरकार में मौजूद हैं. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री कहते हैं कि आरोपियों की पृष्ठभूमि की जांच की जाएगी. इस मामले में सवाल गृहमंत्री से भी है कि एबीवीपी के प्रचार से पहले प्रदेश की सुरक्षा एजेंसी क्या सो रही थी. आरोपी छात्रों की पृष्ठभूमि की जांच कराने की क्यों बात नहीं की जा रही है ? देशद्रोही होने के लिए किसी धर्म विशेष का होना जरूरी नहीं है. ऐसे अनेक उदाहरण सामने हैं.बहरहाल, आखिर में मामला अदालत में ही जाना है और न्यायालय में ही दूध का दूध और पानी का पानी होगा.