मध्य प्रदेशः ऐतिहासिक स्थलों के नाम बदलने के खिलाफ मुस्लिम संगठन जाएंगे कोर्ट
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,भोपाल
मध्य प्रदेश में मुस्लिम राजाओं, मुस्लिम नवाबों द्वारा बनवाए गए ऐतिहासिक स्थलों का नाम सरकार द्वारा एक-एक कर बदले जाने को लेकर मुस्लिम संगठन गुस्से में हैं. हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के बाद होशंगाबाद, हलालपुर, इस्लामनगर का नाम सरकार द्वारा बदले जाने से जहां इसे सत्ता का कट्टर हिंदुओं को खुश करने का प्रयास माना जा रहा है, वहीं कांग्रेस ने इसकी जमकर आलोचना की है. अब मुस्लिम संगठन इस मामले में सरकार से दो-दो हाथ करने के मूड में हैं. इसे लेकर सरकार के रुख के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया है.
इस्लामनगर के बाद सत्ता पक्ष ने हलालपुर का नाम बदलने की तैयारी शुरू कर दी है. इस मामले को लेकर मुस्लिम संगठनों ने कोर्ट जाने का फैसला किया है.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बैरसिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक विष्णु खत्री का कहना है कि इस्लामनगर का नाम बदलने के लिए 2008 में उनके द्वारा आंदोलन शुरू किया गया था. इस मामले में केंद्र से पत्र भी आया था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि इस पत्र को दबा दिया. अब सरकार द्वारा उठाया गया कदम लोगों के दिल की आवाज है. इस्लामनगर अब जगदीशपुर कहलाएगा. यहां अपनी सांस्कृतिक पहचान स्थापित करने के लिए स्वामी जगदीश के नाम पर एक भव्य मंदिर स्थापित किया जाएगा. इस्लामनगर का नाम बदलने के बाद हलालपुर बांध का नाम बदलने का आंदोलन शुरू हो गया है और जल्द ही इस मामले में भी लोगों को बड़ी सफलता मिलेगी.
इस संबंध में जब प्रमुख इतिहासकार रिजवान अंसारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस्लामनगर की स्थापना भोपाल रियासत के संस्थापक सरदार दोस्त मुहम्मद खान ने किसी किले को तोड़कर या किसी मंदिर को तोड़कर नहीं की थी. इस्लामनगर इस्लाम के नाम पर बना ही नहीं था. इस्लाम शाह एक संत थे जिनके नाम पर दोस्त मुहम्मद खान ने इस किले का निर्माण करवाया था. यह भूमि उन्हें गोंड रानी कमलापति ने उनकी वफादारी और सेवाओं के प्रतीक के रूप में उपहार में दी थी. इस्लामनगर किले को धार्मिक चश्मे से देखना ठीक नहीं. सरकारें गलत परंपरा शुरू कर रही हैं.
वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस के सचिव अब्दुल नफीस का कहना है कि मध्य प्रदेश में 2030 में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावों को लेकर बीजेपी और आरएसएस ने जो सर्वे कराया है, उसमें उनकी हालत बहुत खराब है. गुमराह करने के लिए नाम बदले जा रहे हैं. नाम बदलने का निर्णय उस दिन लिया गया जिस दिन केंद्र सरकार का बजट आया है. यह निर्णय उस दिन इस लिए लिया गया ताकि जनता बजट, महंगाई और अन्य पहलुओं के बारे में सवाल न पूछे.
उन्होंने कहा कि दोस्त मुहम्मद खान ने कभी जगदीशपुर का नाम नहीं बदला. इतना ही नहीं रामपुर और सीतापुर में भी मुस्लिम राज्य थे, लेकिन उन्होंने इन नामों को कभी नहीं बदला.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता तौफीक मोहम्मद खान का कहना है कि देश में नाम बदलने की प्रक्रिया मुगलों ने शुरू की थी. औरंगजेब ने दक्कन के ऐतिहासिक शहर पर कब्जा कर लिया और अपने नाम पर औरंगाबाद शहर का नाम रखा. सभी जानते हैं कि औरंगाबाद को औरंगजेब ने नहीं बसाया. इस शहर को मलिक अनबर ने अपने बेटे फतेह खां के नाम से फतेहनगर बसाया था.फिर आक्रमणकारियों की पहचान करने वाले काम को बदलने में कोई हर्ज नहीं है. दूसरी बात यह है कि नाम बदलने का मामला गजट नोटिफिकेशन के जरिए होता है. अगर किसी को आपत्ति है तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाए.
मध्य प्रदेश उलेमा बोर्ड का कहना है कि अगर मुस्लिम राजाओं ने एक हजार साल तक शासन किया तो यह शासन शांति पर आधारित था. अगर अत्याचार होता तो दूसरे धर्मों के लोग यहां नहीं होते. मील के पत्थर, ऐतिहासिक स्थलों और शहरों के नाम बदलकर सरकार लोगों को गुमराह कर रही है. सरकार बताए कि अब तक जिन जगहों के नाम बदले गए हैं वहां विकास के नाम पर क्या किया गया ? वहां कितने स्कूल, कॉलेज खोले? रोजगार के लिए कितना उद्योग स्थापित किया गया है? इस मामले को लेकर उलेमा बोर्ड अपनी प्रांतीय बैठक करेगा और फिर अदालत का दरवाजा खटखटाएगा.