मेडक पुलिस ने कानूनों का किया उल्लंघनः फैक्ट फाइंडिंग टीम ने मोहम्मद खदीर खान की मौत पर लगाई लताड़
मुस्ल्मि नाउ ब्यूरो, हैदराबाद
सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक तथ्यान्वेषी टीम ने कथित पुलिस क्रूरता के बाद 21 फरवरी को मारे गए मोहम्मद खदीर खान के परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों से मुलाकात की. इस दौरान यह निष्कर्ष निकाला गया कि मेडक पुलिस कानून की प्रक्रिया का पालन करने में विफल रही. गिरफ्तारी और हिरासत के मामलों में सीआरपीसी के कई प्रावधानों, सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों और निर्णयों का उल्लंघन किया गया.
टीम ने 13 बिंदुओं वाली रिपोर्ट पेश की, जो बताती है कि खदीर को प्रताड़ित किया गया. सबूत मिटाने की कोशिश की गई.सिर्फ खादीर ही नहीं, बल्कि उसके दोस्त रिजवान और बहनोई मोइन को पीड़ित के साथ ले जाया गया और कथित तौर पर घंटों तक पीटा गया.
खदीर के खिलाफ कोई विशेष शिकायत या प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई. रिपोर्ट में कहा गया है, यह केवल गलत पहचान के आधार पर है कि उन्हें गिरफ्तार किया गया और प्रताड़ित किया गया.नियमित न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के बजाय, उसे कार्यकारी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जिससे संदेह पैदा हुआ कि सीसीटीवी कैमरे के फुटेज के कारण गलत पहचान पर उसे गिरफ्तार किया गया था.
मेडक पुलिस कर्मी खादीर को गिरफ्तार करने के लिए एक निजी वाहन (स्विफ्ट कार) में सादे कपड़े और बिना नाम के टैग के साथ हैदराबाद आए. इस प्रकार डीके बसु मामले में आरोपी को गिरफ्तार करने और पुलिस हिरासत में रखने के लिए निर्धारित शीर्ष अदालत के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया. इसके अलावा, पुलिस ने बिना किसी वारंट के खदीर के कॉल डेटा रिकॉर्ड एकत्र किए.
रिपोर्ट में कहा गया है, ऐसा लगता है कि चोरी के मामले में शामिल असली अपराधी को गिरफ्तार करने में अपनी विफलता को छिपाने के लिए पुलिस ने खदीर को निशाना बनाया.रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि खादीर को समय पर चिकित्सा प्रदान करने में पुलिस की हिचकिचाहट अपनी खाल बचाने के लिए थी.
अंततः फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को सिफारिशें सौंपी हैं. इसमेंखादीर का इलाज करने वाले डॉक्टरों के मेडिकल रिकॉर्ड और बयानों का संरक्षण करने की सिफारिश की गई है.दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ समय पर कार्रवाई नहीं करने पर मेदक के पुलिस अधीक्षक का तबादला करने की भी मांग की गई है.
सामाजिक कार्यकर्ताओं की तथ्यान्वेषी टीम में खालिदा परवीन, मुरली कर्णम, एस क्यू मसूद, कृष्णा कुमारी, मंगा, दीप्ति, कनीज फातिमा, करीमा, फरीसा कादरी, नसीम सुल्ताना, गायत्री और फरिया शामिल रहे.