जम्मू-कश्मीर के बाद अब असम का परिसीमन विवाद, बदरुद्दीन अजल बोले- चुनाव आयोग भाजपा को लाभ और एआईयूडीएफ को खत्म करना चाहता है
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, गुवाहाटी
जम्मू-कश्मीर की तरह अब असम में परिसीमन को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं. दोनों सूबे में परिसीमन के जरिए भाजपा को लाभ पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं.लोकसभा सांसद और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने असम में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा प्रकाशित मसौदा प्रस्ताव की आलोचना की है.
अजमल के मुताबिक, आयोग ने भाजपा के प्रभाव में आकर ड्राफ्ट तैयार किया है.अजमल ने यहां संवाददाताओं से कहा, कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच काफी लंबी बैठक हुई थी. उन्होंने प्रस्ताव भेजा और ईसीआई ने उसी के अनुसार मसौदा तैयार किया.
उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा नेताओं ने पहले परिसीमन के मसौदे को मंजूरी दी, जिसके बाद ईसीआई ने इसे प्रकाशित किया.एआईयूडीएफ प्रमुख ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस का असम में हिमंत बिस्वा सरमा के साथ एक गुप्त गठजोड़ है.
उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री ने कांग्रेस को मसौदा दिखाया, जो इस पर सहमत हो गई. कांग्रेस अक्सर हमें भाजपा की बी टीम कहती है, लेकिन वास्तव में कांग्रेस राज्य में भाजपा की ए प्लस टीम है.
मंगलवार को प्रकाशित मसौदा प्रस्ताव में ईसीआई ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 170 और अनुच्छेद 82 के तहत प्रदान की गई 2001 की जनगणना के आधार पर राज्य के सभी विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन किया जाना है. 2001 की जनगणना के आंकड़े, जैसा कि जनगणना आयुक्त द्वारा प्रकाशित किया गया है, इस प्रकार अकेले इस उद्देश्य के लिए विचार किया गया है.
विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों में सीटों की संख्या क्रमशः 126 और 14 पर बरकरार रखी गई है.मसौदा प्रस्ताव में विधानसभा की 19 सीटें अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को आवंटित की गई हैं. तीन सीटों की वृद्धि हुई है, जबकि 14 संसदीय सीटों में से दो सीटें एसटी को आवंटित की गई हैं.
इसी तरह, विधानसभा में 9 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) को आवंटित की जाती हैं, एक सीट की वृद्धि, जबकि लोकसभा में एक सीट अनुसूचित जाति को आवंटित की जाती है.अजमल ने यह भी कहा कि परिसीमन के कारण अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कम से कम 10-12 सीटों का लाभ होगा, जबकि एआईयूडीएफ के कई नेताओं का अगला चुनाव हारना तय है.
उन्होंने कहा, भाजपा और कांग्रेस ने असम में एआईयूडीएफ को खत्म करने की योजना बनाई है.इस बीच, विपक्षी एकता वार्ता के लिए नीतीश कुमार और लालू प्रसाद से मिलने के लिए एआईयूडीएफ प्रमुख गुरुवार को पटना जाएंगे. वह परिसीमन के मुद्दे पर चुनाव आयोग के समक्ष एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने के लिए वहां से दिल्ली जाएंगे.
उन्होंने प्रेस को बताया, हम परिसीमन के मसौदा प्रस्ताव का विरोध करेंगे.इससे पहले एआईयूडीएफ विधायक करीम उद्दीन बरभुइया ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग भाजपा के शासन में पिंजरे में बंद तोते की तरह है.