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बीजेपी ने दानिश अली को आतंकवादी कहने वाले एमपी को राजस्थान के टोंक का चुनाव प्रभारी बनाकर मुस्लिम विरोधी होने का दिया सबूत

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

चुनाव में टिकट नहीं देने सहित केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी कई मौकों पर सबूत दे चुकी है कि उसकी नजरों में देश के सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी मुसलमानों की कोई औकात नहीं. इसी कड़ी में बीजेपी ने बीएसपी सांसद दानिश अली को संसद में आतंकवादी और अपशब्द कहने वाले बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी को राजस्थान के टोंक जिले का विधानसभा चुनाव प्रभारी बनाकर एक नया उदाहरण पेश किया है.

रमेश बिधूड़ी ने संसद में दानिश अली को लेकर जिन अपशब्दों का इस्तेमाल किया था, उसे देश का मुसलमान अपनी कौम का अपमान मानता है. इसको लेकर कई तरह के बयान भी आए. यहां तक कि विदेशी मीडिया में इसे सत्तारूढ़ बीजेपी का इस्लामोफोबिया बताया गया. बावजूद इसके इसने अपनी पार्टी के इस बिगैड़ बोल वाले नेता को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी है. दिलचस्प बात यह है कि संसद प्रकरण में बीजेपी के अध्यक्ष नड्डा ने बिधूड़ी को इस मामले में पंद्रह दिनों का कारण बताओ नोटिस दिया है. वह पंद्रह दिन अभी नहीं गुजरे हैं, पर बिधूड़ी को राजस्थान भेज दिया गया.

ऐसा तब है जब बीजेपी ने सांसद के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में रमेश बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिस पर रमेश बिधूड़ी ने अभी तक पार्टी नेताओं को जवाब नहीं दिया है.रमेश बिधूड़ी को नई जिम्मेदारी मिलने से एक बार फिर राजनीति गरमा गई है. राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने इसे बिधूड़ी के प्रति नफरत फैलाने का नया इनाम बताया.

वहीं महवा मोइत्रा ने पीएम नरेंद्र मोदी से पूछा कि क्या ये आपके प्यार का फैलाव है. सपा के समर्थन से राज्यसभा पहुंचे कपिल सिब्बल ने कहा कि विशेष सत्र के दौरान सदन में रमेश बिधूड़ी ने ऐसी बातें कहीं जो नहीं बोलनी चाहिए थीं.

अब बीजेपी ने बिधूड़ी को टोंक का प्रभारी बनाया है. टोंक की मुस्लिम जनसंख्या 29.25ः है. नफरत को राजनीतिक लाभ का प्रतीक माना जाता है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, ये सब इनकी बकवास है. बिधड़ी को टोंक भेजने का कारण टोंक में गूजरों की अधिक संख्या होना है.इतना ही नहीं, गुर्जर नेताओं के पास 4 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से सचिन पायलट भी विधायक हैं. रमेश बिधूड़ी भी गुज्जर समुदाय से आते हैं.

बीजेपी का मानना ​​है कि वे गुर्जर वोटों को अपनी ओर मोड़ सकते हैं.तृणमूल सांसद महवा मोइत्रा ने कहा कि जिस व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस दिया गया है उसे नई जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है? नरेंद्र मोदी जी, ये है अल्पसंख्यकों के प्रति आपकी प्रेम यात्रा, ये है आपके प्रेम का प्रसार?

इस प्रकरण से जुड़ा एक और दिलचस्प पहलू यह है कि बीजेपी पसमांदा के बहाने मुसमलनों के एक वर्ग का समर्थन प्राप्त करने के प्रयास में है. जबकि उसे शायद पता नहीं कि इस्लाम ने जो सबक दिया है, उसने इस कौन का छोटा वर्ग हो या बड़ा, हमेशा एकजुटता ही सिखाया है. इस कौम को तोड़ने की तमाम साजिशों के बावजूद भारत में इसके अनेक सबूत अब तक सामने आ चुके हैं. पसमांदा से पहले बीजेपी ने मुसलमानों में शिया और सुन्ना के नाम पर फूट डालने का आॅपरेशन चलाया था जिससे कौम की एकजुटता ने फेल कर दिया.