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21 वां नेल्सन मंडेला वार्षिक व्याख्यान में मलाला बोलीं, तालिबान ने लड़की होना अवैध बना दिया

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,जोहान्सबर्ग

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने लड़की होना अवैध बना दिया है. उन्होंने लैंगिक भेद को मानवता के खिलाफ अपराध बताया.नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई जोहान्सबर्ग के थिएटर में 21वां नेल्सन मंडेला वार्षिक व्याख्यान में बोल रही थीं.

दक्षिण अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला की मृत्यु की 10वीं वर्षगांठ पर आयोजित व्याख्यान में पाकिस्तानी सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, तालिबान ने लड़की होने को अवैध बना दिया है. इसका भारी नुकसान हो रहा है.उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे अफगानी लड़कियां स्कूल नहीं जा पा रही हैं, वो अवसाद का शिकार है.नशीले पदार्थों की ओर मुड़ रही हैं. आत्महत्या का प्रयास कर रही हैं.

रायटर्स की खबर के अनुसार, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने मंगलवार को नेल्सन मंडेला के फाउंडेशन द्वारा दक्षिण अफ्रीका में आयोजित एक व्याख्यान में अफगानिस्तान में महिलाओं पर तालिबान द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की तुलना रंगभेद के तहत काले लोगों के साथ किए जाने वाले व्यवहार से की.

बता दें कि लड़कियों को शिक्षा से वंचित करने के पाकिस्तानी तालिबान के कदमों के खिलाफ अभियान चलाने के दौरान यूसुफजई को 15 वर्ष में उनके मूल पाकिस्तान में एक बंदूकधारी ने सिर में गोली मार दी थी, पर वह बच गईं.2014 में नोबेल शांति पुरस्कार जीतने के बाद से, अब 26 साल की यूसुफजई, दमन के सामने महिलाओं के लचीलेपन का एक वैश्विक प्रतीक बन गई हैं.

उन्हांेने कहा,यदि आप अफगानिस्तान में एक लड़की हैं, तो तालिबान ने आपके लिए अपना भविष्य तय कर लिया है. आप एक माध्यमिक विद्यालय या विश्वविद्यालय में नहीं जा सकतीं. आपको एक खुली लाइब्रेरी नहीं मिल सकती, जहाँ आप पढ़ सकें. आप अपनी माताओं और अपनी बड़ी बहनों को कैद और विवश देखते है.

यूसुफजई ने कहा कि तालिबान के कार्यों को लैंगिक रंगभेद माना जाना चाहिए. इसने असल में…लड़कीपन को अवैध बना दिया है.उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय राजनेताओं को तालिबान के साथ संबंधों को सामान्य नहीं करना चाहिए. तालिबान 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता में लौट आया है. अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना 20 साल के युद्ध के बाद वापस चली गई है.

इस बीच तालिबान के प्रवक्ता ने यूसुफजई की टिप्पणी पर तुरंत जवाब नहीं दिया. वैसे यह सच है कि सत्ता में लौटने के बाद से, तालिबान ने अधिकांश अफगान महिला कर्मचारियों को सहायता एजेंसियों में काम करने पर रोक लगा दी ह., ब्यूटी सैलून बंद करा दिए हैं. महिलाओं के पार्कों में जाने पर पाबंदी है. पुरुष अभिभावक की अनुपस्थिति में महिलाओं की यात्रा में कटौती कर दी गई है.

तालिबान का कहना है कि वे इस्लामी कानून और अफगान रीति-रिवाज की अपनी व्याख्या के अनुरूप महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करते हैं. सरकार लड़कियों के हाई स्कूल खोलने की योजना पर काम कर रहे है. अलग बात है कि 18 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उन्होंने अभी तक कोई समय सीमा नहीं दी है.

अपने व्याख्यान के बाद एक साक्षात्कार में, यूसुफजई ने कहा कि उन्हें चिंता है कि तालिबान लड़कों से भी विज्ञान और आलोचनात्मक सोच छीन लेगा.उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वह न केवल लड़कियों के लिए शिक्षा तक पहुंच की रक्षा के लिए कदम उठाए, यह भी सुनिश्चित करें कि यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो, यह उपदेश नहीं.

गाजा में युद्ध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि तत्काल युद्धविराम हो और बच्चे स्कूल और अपने सामान्य जीवन में लौट सकें.उन्होंने आगे कहा, हम युद्धों को देखते हैं.खासकर गाजा में हुई बमबारी का,जिसने बच्चों से सामान्य जीवन छीन लिया है.