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अबु आज़मी के चाचा हाफ़िज़ इल्तिफ़ात साहब का इंतिकाल, सामाजिक जगत में शोक की लहर

📍 मुंबई | मुस्लिम नाउ ब्यूरो

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र की मुस्लिम सियासत का एक बड़ा नाम अबु आसिम आज़मी इन दिनों ग़मगीन हैं। उनके चाचा हाफ़िज़ इल्तिफ़ात साहब का इंतिकाल हो गया है। इस खबर के सामने आते ही आज़मी समर्थकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मुंबई के मुस्लिम समाज में शोक की लहर दौड़ गई है।

अबु आज़मी ने अपने चाचा के इंतिकाल की जानकारी सोशल मीडिया के ज़रिए साझा की। उन्होंने एक मार्मिक पोस्ट में अपने चाचा की तस्वीर साझा करते हुए लिखा:

“إِنَّا ِلِلَّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ
बड़े अफ़सोस के साथ ये ख़बर दी जाती है के मेरे चाचा हाफ़िज़ इल्तिफ़ात साहब का आज इंतिक़ाल हो गया है।
वह एक नामवर बिजनेसमैन और नेकदिल समाजसेवी थे, जिनका दिल सोने का था। वो हमेशा लोगों की मदद के लिए तैयार रहते थे और ख़ामोशी से भलाई करने में यक़ीन रखते थे।
हमारी दुआ है के अल्लाह सुभ्हानहू तआला उन्हें जन्नतुल फ़िरदौस में आला मुक़ाम अता फ़रमाए और तमाम अहले ख़ानदान को सब्र-ए-जमील अता करे। आमीन।”

एक नेकदिल समाजसेवी के रूप में पहचान

हाफ़िज़ इल्तिफ़ात साहब न केवल एक सफल व्यवसायी के रूप में जाने जाते थे, बल्कि उनकी पहचान एक मददगार और सौम्य समाजसेवी की भी थी। वह मुंबई में मुस्लिम समाज के बीच अपने बेआवाज़ सेवा कार्यों और जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा सक्रिय रहते थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, वह सामाजिक कामों में दिखावे से दूर रहते हुए खामोशी से अपना फर्ज़ निभाते थे।

अबु आज़मी के लिए निजी क्षति

अबु आज़मी के लिए यह केवल पारिवारिक क्षति नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और सहयोगी को खो देने जैसा है। पार्टी कार्यकर्ताओं और समाजवादी विचारधारा से जुड़े लोग इस दुख की घड़ी में आज़मी परिवार के साथ खड़े हैं।

अंतिम संस्कार की जानकारी अभी नहीं आई

हालांकि अब तक अबु आज़मी या उनके परिवार की ओर से हाफ़िज़ इल्तिफ़ात साहब के जनाज़े या अंतिम रस्मों के बारे में कोई सार्वजनिक जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन उम्मीद है कि मुंबई के विभिन्न मुस्लिम संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी उनके जनाज़े में देखी जाएगी।


निष्कर्ष

हाफ़िज़ इल्तिफ़ात साहब का निधन न सिर्फ़ अबु आज़मी के परिवार के लिए, बल्कि मुंबई के मुस्लिम समाज और सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिए भी एक बड़ी क्षति है। उनकी यादें, उनके नेक कामों के ज़रिए हमेशा ज़िंदा रहेंगी।

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