अजमत सहाबा और अहल अल-बैत सम्मेलन: साथियों के पदचिन्हों पर चलने में ही मुस्लिम उम्मत की कामयाबी
अबू शाहमा अंसारी,सआदत गंज, बारा बांकी
कस्बे के तनावली बाग में अहल अल बैत का भव्य सम्मेलन आयोजित किया गया. इस दौरान मौलाना इसरार रजा नूरी ने सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि अल्लाह तआला ने पवित्र पैगंबर (अल्लाह की शांति और आशीर्वाद) को अपने कार्य को पूरा करने के लिए दुनिया में भेजा. उन्होंने अपने साथी चुने जिनका उद्देश्य था लोगों को नेकी की राह पर बुलाना, खुदापरस्ती सिखाना और उपदेश देना.
मौलाना ने कहा कि इन सज्जनों ने बहुत कुछ सहा और इस्लाम की मान्यताओं और उसूलों को फैलाने में अपने प्राणों की आहुति तक दे डाली. इससे पूरे मजहब का उद्धार हुआ. ये सज्जन पवित्र पैगंबर के सच्चे प्रतिनिधि बने. अभ्यास द्वारा ज्ञान भी सिखाया और प्रदर्शित किया. अल्लाह तआला ने उनकी ईमानदारी की सराहना की और उनकी मेहनत को स्वीकार किया.
मौलाना इमाम-उल-हक नूरी गोंडा ने सम्मेलन की निजामत की. उन्हांेने पैगंबर साहब का हवाला देते हुए कहा कि अल्लाह उन्हें आशीर्वाद दे और शांति प्रदान करे. उन्हांेने महान बातें पीढ़ियों तक बड़ी भरोसे के साथ पहुंचाईं.
मौलाना ने कहा कि पैगंबर के साथियों का समुदाय (अल्लाह की शांति और आशीर्वाद) है. कुरान और हदीस में उनके गुणों का उल्लेख किया गया है. अल्लाह के रहस्योद्घाटन ने उन्हें सही किया. उन्हें शुद्ध किया. उनकी ईमानदारी और धर्मपरायणता की गवाही दी और उन्हें एक उच्च दर्जा दिया ताकि वह पैगंबर मुहम्मद (उन्हें शांति मिले) के साक्षी बने.
सगीर अहमद ने कहा कि साथियों का विश्वास ही मानक है. पुनरुत्थान के दिन तक पूरी मानव जाति के लिए सत्य और मजहब को उम्मत तक पहुंचाने में सहायक हैं. इसलिए साथियों से विश्वास हट जाए तो मजहब के प्रति अविश्वास शुरू हो जाएगा. यही वजह है कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि साथियों का प्यार मेरा प्यार है. उनसे नफरत करना सीधे तौर पर मुझसे नफरत करना है.
मौलाना ने कहा कि आज मुस्लिम उम्मत पूरी तरह से विफल हो रही है, क्योंकि हमने उम्मती का रास्ता छोड़ दिया. हमारे जीवन का लक्ष्य दुनियादारी बन गया है, जबकि उम्मत का लक्ष्य परलोक में सफलता प्राप्त करना है. मौलाना ने कहा, अफसोस की बात है कि हमारे सभी कार्य मजहब और शरीयत के खिलाफ हैं, जिसे पैगंबर (आरए) के साथियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर संरक्षित किया था. यही वजह है कि आज उम्मत दर-दर ठोकरें खा रही है.उनमंे कायरता इस कदर हावी हो गई है कि जब हमारे दीन और शरीयत पर उंगलियां उठती हैं तो हमें फर्क नहीं पड़ता. वो इतने पागल हो गए हैं कि जिधर देखो, उधर ही हजरत अमीर मुआविया के बारे में बकवास करते देख सकते हैं. ऐसे लोग इस्लाम धर्म को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उन्हें दूर रखने की जरूरत है.
सम्मेलन में रजा इस्माइली, मोअज्जम हुसैन इस्माइली ने नात शरीफ पेश किया. बैठक में कारी मुहम्मद जाबेर रामपुर, मौलाना हामिद रजा बारा बांकी, मौलाना अरशद रजा, मुहम्मद अहमद रजा, हाफिज मुहम्मद अनस रजा नूरी, हाफिज मुहम्मद अदनान रजा, हाफिज शाहनवाज हुसैन इस्माइली, सबीह आलम इस्माइली मौजूद रहे.