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असम सरकार का एक और मदरसा विरोधी कदम, अंग्रेजी पढ़ाने वाले 1300 मदरसे स्कूल में तब्दील

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,गुवाहाटी

असम सरकार का एक और मदरसा विरोधी कदम सामने आया है. इसने एक ही झटके में 1300 मदरसों की व्यस्था बदलकर स्कूल में तब्दील कर दी. यह सब मुस्लिम बच्चों को आला तालीम देने के नाम पर किया गया है, जबकि हकीकत यह है कि इससे पहले जो 600 मदरसों को स्कूल में तब्दील किया गया, उनके शिक्षक आज भी उसी स्थिति में जीने को मजबूर हैं जैसे मदरसे में हुआ करते थे.

सरकार से फंडिंग का विरोध करने वाले मुस्लिम सगठनों का जो अंदेशा है वह असम में सच होता दिख रहा है. इन संगठनों का मानना है कि जनता के पैसे से चलने वाले मदरसे यदि सरकारी फंडिंग लेने लगे तो उसकी व्यवस्था पूरी तरह बदल कर गैर इस्लामिक कर दी जाएगी. असम में कुछ ऐसा ही हो रहा है.

असम सरकार के आदेश के अनुसार, पूरे प्रदेश में लगभग 1,300 मिडिल इंग्लिश (एमई) मदरसों को तत्काल प्रभाव से सामान्य एमई स्कूलों में तब्दील कर दिया गया.प्राथमिक शिक्षा निदेशक सुरंजना सेनापति द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के तहत राज्य भर में 1,281 उच्च प्राथमिक एमई मदरसे तत्काल प्रभाव से एमई स्कूल के रूप में जाने जाएंगे. यानी एक ही झटके में तकरीबन 1300 मदरसे स्कूल में बदल दिए गए.

इससे पहले अप्रैल 2021 में, मदरसा बोर्ड के तहत सभी 610 राज्य संचालित मदरसों को उच्च प्राथमिक, उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में परिवर्तित कर दिया गया था. इसमें शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की स्थिति, वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

संपर्क करने पर, सेनापति ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि लगभग 1,300 मदरसा एमई स्कूलों में कक्षाएं नियमित रूप से चल रही थीं. सरकारी निर्देश के अनुसार केवल उनका नामकरण थोड़ा बदला गया है.उन्होंने आगे कहा,“मदरसों में छात्र, शिक्षक और अन्य कर्मचारी हैं. इन वर्षों में कक्षाएं चल रही थी. यह बिना किसी बदलाव के जारी रहेंगी. ”

यह पूछे जाने पर कि क्या आदेश जारी होने से पहले तक इस्लाम की किताबें भी पढ़ाई जा रही थीं, सेनापति ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.पीटीआई के पास जो सूची उपलब्ध है, उसमें सभी मदरसों और उनके नए नामों का जिक्र है. बजाली में आनंदपुर एमई मदरसा को आनंदपुर एमई स्कूल के नाम से जाना जाएगा, बारपेटा में चरकपारा एमई मदरसा चरकपारा एमई स्कूल बन गया है.

दिसंबर 2020 में, असम मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण) अधिनियम, 1995 और असम मदरसा शिक्षा (कर्मचारियों की सेवाओं का प्रांतीयकरण और मदरसा शैक्षणिक संस्थानों का पुनर्गठन) अधिनियम, 2018 को निरस्त कर दिया गया है.भाजपा के नेतृत्व वाली पहली असम सरकार के इस कदम ने सभी राज्य-वित्त पोषित मदरसों को बंद करने और उन्हें सामान्य स्कूलों में बदलने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है.