बांग्लादेश की पगला मस्जिद: दान पेटी में रिकॉर्ड 8 करोड़ 21 लाख टका मिले, एक ऐतिहासिक घटना
Table of Contents
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,किशोरगंज ( बांग्लादेश)
बांग्लादेश के शहर किशोरगंज की ऐतिहासिक पगला मस्जिद ने फिर से इतिहास रच दिया. हाल ही में मस्जिद की दान पेटियों को खोलने पर रिकॉर्ड 8 करोड़ 21 लाख 34 हजार 304 टका (( Approximate 746,364 USD) नकदी प्राप्त हुए. इसके अलावा, विदेशी मुद्राएं, सोने के आभूषण और अन्य कीमती सामान भी मिले हैं.
दान पेटियों की गिनती का अभूतपूर्व आयोजन
शनिवार, 30 नवंबर की सुबह 7 बजे, 10 दान पेटियों और एक बड़े टैंक को खोला गया. दान पेटियों को खोलने के बाद, सभी राशि को गिनने के लिए मस्जिद की दूसरी मंजिल पर ले जाया गया. इस कार्य में लगभग 400 लोगों की एक टीम ने हिस्सा लिया, जिन्होंने 10 घंटे तक लगातार मेहनत कर गिनती पूरी की.
गिनती प्रक्रिया के दौरान, किशोरगंज जिले के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट मिज़ाबे रहमत ने शाम करीब 6 बजे पूरे दिन की गिनती के परिणामों की पुष्टि की. इस आयोजन में प्रशासन, मस्जिद प्रबंधन, बैंक कर्मियों, और कानून प्रवर्तन बलों ने प्रमुख भूमिका निभाई.
दान पेटी खोलने का इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब पगला मस्जिद की दान पेटियों में इतनी बड़ी राशि मिली हो.
- 20 अप्रैल, 2023: तीन महीने 27 दिनों के बाद जब 9 दान पेटियां खोली गई थीं, तो कुल 7 करोड़ 78 लाख 67 हजार 537 टका प्राप्त हुए थे.
- 9 दिसंबर, 2022: तीन महीने 20 दिनों बाद पेटियां खोली गईं और कुल 6 करोड़ 32 लाख 51 हजार 423 टका प्राप्त हुए थे.
- 19 अगस्त, 2022: आठ पेटियां खोली गईं और 5 करोड़ 78 लाख 9 हजार 325 टका नकदी के साथ-साथ सोने और चांदी के आभूषण भी प्राप्त हुए.
दान की प्रक्रिया और प्रबंधन
दान पेटियों को खोलने का कार्य सख्त सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की निगरानी में किया जाता है.इस बार की गिनती में किशोरगंज जिला अपर उपायुक्त (समग्र) मो. रूबेल महमूद, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट मिज़ाबे रहमत, और रूपाली बैंक के सहायक महाप्रबंधक रफीकुल इस्लाम के साथ 285 मदरसा छात्र, 80 बैंक कर्मचारी, 34 मस्जिद प्रबंधन सदस्य और 10 कानून प्रवर्तन बल के अधिकारी शामिल थे.
पगला मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व और आस्था
पगला मस्जिद केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है. स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, यह मस्जिद एक आध्यात्मिक संत के नाम से जुड़ी है, जो नरसुंडा नदी के ऊंचे टीले पर रहते थे. उनकी मृत्यु के बाद, यह स्थल “कामेल पागल पीर की मस्जिद” के नाम से जाना जाने लगा.
आज, यह मस्जिद सभी धर्मों और जातियों के लोगों के लिए आस्था और मन्नत का केंद्र बन चुकी है.लोग नकदी, सोने-चांदी के आभूषण, विदेशी मुद्रा, और यहां तक कि जानवर जैसे गाय और बकरी भी दान में देते हैं.ऐसा माना जाता है कि यहां मन्नत मांगने से इच्छाएं पूरी होती हैं.
मस्जिद का विस्तार और सामाजिक कल्याण कार्य
पगला मस्जिद अब केवल एक साधारण मस्जिद नहीं है. वर्तमान में इसका परिसर लगभग 3.88 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. मस्जिद की दान राशि का उपयोग विभिन्न सामाजिक और धार्मिक कार्यों में किया जाता है, जैसे:
- मस्जिदों, मदरसों और अनाथालयों की सहायता.
- कोरोना महामारी के दौरान मरीजों और स्वयंसेवकों की मदद.
- जिले के अन्य सामाजिक कल्याण कार्य.
मस्जिद प्रबंधन ने अब इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों का इस्लामिक कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना बनाई है. इस ‘पगला मस्जिद इस्लामिक कॉम्प्लेक्स’ के निर्माण की अनुमानित लागत 115 करोड़ टका आंकी गई है. यह कॉम्प्लेक्स 30,000 से अधिक नमाजियों को एक साथ प्रार्थना करने की सुविधा प्रदान करेगा.
एकता और सेवा का प्रतीक
पगला मस्जिद केवल धार्मिक महत्व का स्थल नहीं है, बल्कि यह एकता, आस्था और सामाजिक सेवा का प्रतीक बन गई है. हर शुक्रवार, दूर-दूर से लोग यहां आते हैं, मस्जिद में प्रार्थना करते हैं, और अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं.
यह स्थल न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहां हर जाति और धर्म के लोग मानवता और सेवा के लिए एकजुट होते हैं.
पगला मस्जिद की दान पेटियों में रिकॉर्ड धनराशि केवल आर्थिक योगदान का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उन लोगों की गहरी आस्था और सेवा की भावना को भी दर्शाती है. यह मस्जिद न केवल इतिहास और संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि एक ऐसे भविष्य की ओर भी इशारा करती है जहां आस्था और एकता से सामाजिक कल्याण को बढ़ावा मिलेगा.