बीजेपी सरकार ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने को पैसे पानी की तरह बाए, एसजी-एएसजी को प्रति सुनवाई दिए 4 लाख रुपये
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के लिए पैसे पानी की तरह बहाया. इसने भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज को प्रत्येक सुनवाई पर 4,40,000 लाख रुपये का भुगतान किया. उन्होंने हिजाब प्रतिबंध के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से पैरवी की है.
सियासत डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह खुलासा तब हुआ जब फातिमा बुशरा बनाम कर्नाटक राज्य से संबंधित मामले के लिए पारिश्रमिक के संबंध में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया. उडुपी जिले के कुंडापुरा की मूल निवासी फातिमा ने राज्य के सभी सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी.
मेहता और नटराजन के पारिश्रमिक के संबंध में प्रस्तुत एक दस्तावेज से पता चला है कि राज्य सरकार ने मेहता की नौ दिन की उपस्थिति के लिए 39,60,000 लाख रुपये और सर्वोच्च न्यायालय में नटराजन की ग्यारह दिन की उपस्थिति के लिए 48,40,000 रुपये का भुगतान किया गया.
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भारत का सॉलिसिटर जनरल भारत के महान्यायवादी के अधीनस्थ होता है. वे देश के दूसरे सबसे बड़े कानून अधिकारी हैं और उन्हें भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (अतिरिक्त एसजीआई) द्वारा सहायता प्रदान की जाती है. उनका वेतन भारत के राष्ट्रपति द्वारा तय किया जा सकता है और इसलिए भारत के संविधान द्वारा तय नहीं किया गया है.
दूसरी तरफ द इंडियन एक्सप्रेस की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि हिजाब प्रतिबंध के बाद उडुपी जिले में सरकारी पीयूसी में मुस्लिम छात्राओं के प्रवेश में लगभग 50 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है.रिपोर्ट में कहा गया है कि कई मुस्लिम छात्रों, विशेषकर लड़कियों ने सरकारी कॉलेज छोड़कर निजी कॉलेजों में जाना पसंद किया.
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कर्नाटक का हिजाब विवाद
दिसंबर 2020 में उडुपी के एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के छह मुस्लिम छात्रों को कॉलेज परिसर में उनके धार्मिक दायित्व के तहत हिजाब पहनने पर रोक लगाने के बाद हिजाब विवाद छिड़ गया. कई विरोधों के बाद यह मुद्दा छा गया, जिसके बाद उनके हिंदू सहपाठियों के साथ झड़पें हुईं, जो भगवा स्कार्फ पहनकर आए. इसपर राज्य सरकार को जिले में कॉलेजों को बंद करना पड़ा.
हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के आदेश के विरोध में कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हालांकि, तीन जजों की बेंच ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के इंतजार में है.