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गुलाम नबी आजाद के बीजेपी जैसे बोल-कहा कश्मीर का विशेष दर्जा नहीं लौटेगा

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

एआईएमआईएम के मुखिया ओवैसी बीजेपी के एजेंट के तौर पर बदनामी झेल चुके, अब गुलाम नबी आजाद भी उसी राह पर चल पड़े हैं.उत्तरी कश्मीर के बारामूला में डाक बंगले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए गुलाम नबी आजाद ने जो कुछ कहा, उसके बाद से वह सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे हैं.

अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाने की योजना बना रहे कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ राजनेता गुलाम नबी आजाद ने रविवार को कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370, जो जम्मू-कश्मीर को अधिक स्वायत्तता प्रदान करता था, लेकिन दो साल पहले निरस्त कर दिया गया. उसे बहाल नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा,अनुच्छेद 370 को बहाल नहीं किया जाएगा. 370 की बहाली के लिए संसद में दो तिहाई बहुमत की जरूरत है. मैं 370 के नाम पर राजनीतिक दलों को लोगों का शोषण नहीं करने दूंगा. 370 के नाम पर मैं किसी को धोखा नहीं दूंगा. यह वापस नहीं आएगा. ”

बता दें कि कश्मीर की कई पार्टियां गुलाम नबी आजाद पर संसद के आंदर और संसद के बाहर धारा अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध नहीं करने को लेकर हमलावर होती रही हैं. ऐसे में बारामूला में जनसभा के दौरान उनका यह बयान विवाद में ला सकता है. चूंकि अभी अनुच्छेद 370 हटाने के विरोध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है, ऐसे में गुलाम नबी आजाद के बयान को कई अन्य लोग अन्य चश्मे से देखने लगा हैं.

जनसभा को संबोधित करते हुए आजाद ने कहा, कश्मीर में राजनीतिक शोषण ने एक लाख लोगों की हत्या की है और पांच लाख बच्चों को अनाथ किया है. मैं झूठ और शोषण के आधार पर वोट नहीं मांगूंगा. मैं केवल वही कहूंगा जो संभव है, भले ही इसके लिए मुझे चुनाव करना पड़. ”

दरअसल, आजाद की यह बातें अप्रत्यक्ष रूप से महबूबा मुफ्ती और अब्दुल्लाह बाप बेटे पर हमला था. अधिकतर समय इनकी ही जम्मू कश्मीर में सरकार रही है. वैसे गुलाम नबी आजाद भी इस प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. आज आजाद जैसा बोल रहे हैं, ऐसी बातें बीजेपी पहले से करती रही है.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नए राजनीतिक संगठन का एजेंडा जम्मू-कश्मीर के राज्य की बहाली और लोगों की नौकरी और भूमि अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा.

आजाद ने अगस्त में कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद कश्मीर घाटी में अपनी पहली जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, मैं अपने सहयोगियों को धन्यवाद देता हूं जो मेरे साथ खड़े हैं और मेरी नई पार्टी का आधार हैं, जिसकी घोषणा अगले 10 दिनों के भीतर की जाएगी.

उत्तरी कश्मीर के बारामूला में डाक बंगले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आजाद ने कहा कि उनकी नई पार्टी अपने नाम की तरह अपनी विचारधारा और सोच में आजाद (स्वतंत्र) होगी.
उन्होंने कहा,मेरी पार्टी आजाद होगी. मेरे कई सहयोगियों ने कहा कि हमें पार्टी का नाम आजाद रखना चाहिए. लेकिन, मैंने कहा कभी नहीं. लेकिन, इसकी विचारधारा स्वतंत्र होगी, जो किसी दूसरे से न तो जुड़ेगी और न ही विलीन होगी. मेरी मृत्यु के बाद ऐसा हो सकता है, लेकिन तब तक नहीं.

राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने और लोगों की नौकरी और भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करने पर जोर दिया जाएगा.उन्होंने कहा, मेरी पार्टी विकासोन्मुखी होगी. इसका एजेंडा लोगों को रोजगार के अवसर देना होगा.

आजाद ने कहा कि वह किसी भी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं हैं, चाहे वह राष्ट्रीय हो या क्षेत्रीय.उन्होंने कहा, पार्टी लाइन के कई लोग मेरे दोस्त हैं.

73 वर्षीय आजाद ने 26 अगस्त को कांग्रेस के साथ अपने पांच दशक लंबे नाता को समाप्त करते हुए पार्टी को व्यापक रूप से नष्ट करार दिया. उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर पार्टी के पूरे सलाहकार तंत्र को ध्वस्त करने के लिए आड़े हाथ लिया था. मजेदार बात यह है कि यह वही गुलाम नबी आजाद हैं जिन्हांेने हरियाणा प्रभारी रहने पर कांग्रेस पार्टी मंे व्याप्त फूट घटना की बजाए और बढ़ा आए थे. लंबे समय तक कश्मीर के जमीनी मुद्दे से दूर गुलाम नबी आजाद चुनाव में कुछ कर पाएंगे या नहीं ? यह देखना बेहद दिलचस्प होगा.