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बोल्ड पोडकास्ट बनाम एजाज खान : देश की अश्लीलता पर अब धर्म आधारित ‘सेंसरशिप’!

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली से रिपोर्ट

देश के डिजिटल स्पेस में जब अश्लीलता का तूफान चल रहा हो, तो उसमें एक नाम ‘उल्लू’ ऐप से निकलकर सीधे पुलिस स्टेशन पहुंच जाए और वो नाम हो एजाज खान — तो मामला सिर्फ एडल्ट कंटेंट का नहीं, भेदभाव और दोगले मापदंडों का भी बन जाता है।

अब भला बताइए, उल्लू ऐप का ‘हाउस अरेस्ट’ शो देख लिया किसीने और इतना भावुक हो गया कि एजाज खान पर एफआईआर ठोक दी गई। जबकि एजाज महाशय तो बस शो के होस्ट हैं, कंटेंट के निर्माता-निर्देशक नहीं। अब कोई अगर शो होस्ट करते हुए पूछ ले, “क्या आप अंतरंग सीन में सहज हैं?” — तो क्या उसे राष्ट्रद्रोह मान लिया जाए?

एजाज खान से ही क्यों ‘मोरल पुलिसिंग’? बाकी अश्लीलता ‘सांस्कृतिक धरोहर’?

कितनी हैरत की बात है कि देश के नामी-गिरामी पॉडकास्ट प्लेटफॉर्म्स पर जब ‘संभोग की मनोविज्ञान’, ‘लस्ट स्टोरीज़’, ‘ऑर्गैज़्म गाथा’ जैसे एपिसोड चटखारे लेकर सुने जाते हैं, तो कोई चूं तक नहीं करता। वहां तो पूर्व पोर्न स्टार से लेकर मौजूदा ब्यूटी इन्फ्लुएंसर तक, सब खुलेआम बता रही हैं कि ‘पहली बार कैमरे के सामने कपड़े उतारते वक़्त कैसा लगा’। वो पॉडकास्ट्स हैं या ‘संवेदनशील अश्लील आत्मकथाएं’ — ये अब तक तय नहीं हो पाया है।

मगर उन पर कोई एफआईआर नहीं। क्यों? क्योंकि वो मुसलमान नहीं हैं?

गहना वशिष्ठ: पॉडकास्ट में ‘बेधड़क बेडरूम बयानों’ की क्वीन!

‘हाउस अरेस्ट’ की एक्ट्रेस गहना वशिष्ठ तो खुद दर्जनों पॉडकास्ट में बड़ी शान से बताती हैं कि कौन-से को-स्टार के साथ सबसे अच्छा इंटीमेट सीन किया और किसके साथ शूट के बाद डेट पर गईं। अब यदि यही कंटेंट ‘हाउस अरेस्ट’ में आया तो क्या गंगा अशुद्ध हो गई?

जब पोर्न सुपरस्टार बने पॉडकास्ट गुरु

एक ‘एडल्ट इंटरटेनमेंट लीजेंड’ (हां, अब यही designation चल रहा है) भी इन दिनों पॉडकास्टिंग के बाजार में कूद पड़ा है। उसके मुंह से निकले ‘टूल किट रिवील’ ने सबको चौंका दिया। साहब ने पूरे गर्व से बताया कि शूटिंग से पहले ‘साफ-सफाई’ के लिए एक बैग ले जाते हैं, जिसमें intimate hygiene से लेकर after-spray तक सबकुछ होता है।

अब ज़रा सोचिए, इस ‘गोपनीय किट’ की जानकारी राष्ट्रहित में है या राष्ट्रविरोधी — इस पर कोई डिबेट क्यों नहीं?

बजरंग दल एक्टिव, बाकी जनता एंटरटेन

इस बीच, बजरंग दल के एक सज्जन (गौतम रावरिया) इतने उत्तेजित हो गए कि उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दी। महाराष्ट्र बीजेपी की चित्रा वाघ भी एकदम बिफर पड़ीं। उन्हें बच्चों के भविष्य की चिंता हो गई — लेकिन तब नहीं हुई जब YouTube पर 10 मिलियन व्यूज वाले पॉडकास्ट में पोर्नस्टार मेहमान बन कर बर्थडे केक काट रही थीं और फैंस पूछ रहे थे, “मैम, अगली मूवी कब आ रही है?”

तो सवाल यह उठता है: अश्लीलता की अदालत में सिर्फ एजाज ही मुलजिम क्यों?

अगर समाज को गंदा करने वाली चीजें वाकई चिंताजनक हैं — तो गंदगी साफ-साफ बराबरी से उठाइए। धर्म देखकर डस्टबिन मत सजाइए!

शायद भारत को अब ‘डिजिटल अश्लीलता नियंत्रण आयोग’ की ज़रूरत है — जहां सबसे पहले तय किया जाए कि ‘कौन-सी गंदी बातें मनोरंजन हैं और कौन-सी राष्ट्रद्रोह।’

क्योंकि जब तक एजाज खान मुसलमान रहेंगे, और बाकी पॉडकास्टर ‘ग्लैमरस क्रिएटिव आर्टिस्ट’ — तब तक डिजिटल नैतिकता एक बड़ा मज़ाक बनी रहेगी।


विशेष नोट:
इस लेख का उद्देश्य किसी समुदाय या व्यक्ति को दोषी ठहराना नहीं, बल्कि ‘समानता के नाम पर असमान कार्रवाई’ पर व्यंग्यात्मक प्रकाश डालना है। अश्लीलता यदि बुरी है, तो वो हर प्लेटफॉर्म पर बुरी है — चाहे नाम एजाज खान हो या कोई ‘एडल्ट आर्टिस्ट’!