‘Boycott Tanishq’ विज्ञापन के बहाने भाईचारा बिगाड़ने की कोशिश, लोग पूछ रहे-बिना आपसी सहयोग के क्या ‘भारत महान’ बन पाता ?
हिंदुस्तान आखिर किधर जा रहा है. छोटी-छोटी बातें भी लोग नहीं पचा पा रहे. तनिष्क ज्वैलरी के एक साधारण से विज्ञान को ही ले लें. उसमें एक मुस्लिम परिवार की हिंदू बहू की गोदभराई की रस्म क्या दिखाई गई, इसे आधार बनाकर एक तबका भाईचारा बिगाड़ने के लिए सक्रिय हो गयाहै. यही नहीं, हिंदुत्ववादी संगठनों ने ’तनिष्क’ के बाइकाट की भी घोषणा कर दी है.
करीब 43 सेकंड के तनिष्क के विज्ञापन में खूबसूरत सी गर्भवती युवती दिखाई गई, जो हिंदू है. उसका विवाह मुस्लिम घर मंे हुआ है. मुस्लिम परिवार उसकी गोद भराई की रस्म अदा करता है. इसपर युवती अपने मुस्लिम साल से कहती है-‘मां, यह रस्म आपके घर तो नहीं होती .’ जवाब में मुस्लिम महिला कहती है-‘ क्या हुआ ! बेटियों को खुश रखने के लिए रस्म तो हर घर में होती है.’ अब विज्ञापन को आधार बनाकर कुछ लोग धार्मिक भावना भड़काने पर आमादा हैं. जबकि सबको मालूम है, प्रत्येक वर्ष अपने ही देश में न जाने कितने इंटर-रिलीजन मैरेज होते हैं. इसके अलावा यह तनिष्का का मात्र विज्ञापन है.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने तनिष्क का यह विज्ञापन जब सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, तो नफरती गैंग उनके पीछे पड़ गए. शशि थरूर ने अपने पोस्ट में लिखा है-‘तनिष्क ज्वैलरी का इसलिए हिंदुत्व के बड़े लोगों ने बहिष्कार का आह्वान किया है, क्योंकि इस खूबसूरत विज्ञापन के जरिए हिंदू-मुस्लिम एकता उजागर किया गया है.’ खबर लिखने तक उनके इस ट्वीट को 1.1 हजार बार रि-ट्वीट किया गया, जबकि 6 हजार लोगों ने पसंद. मगर विरोध में भी कम प्रतिक्रियाएँ नहीं आई हैं. प्राउड हिंदू राजीव बड़े भद्दे अंदाज़ में शशि थरूर को जवाब देते हैं-‘तेरी बहन को भेज दें मुल्ला के घर. फिर गोद भराई कर. देखना कितनी खुश रहती है वो.‘ तनिष्क के विज्ञान एवं शशि थरूर के कमेंट के विरोध में कुछ लोगों ने हाल में दिल्ली में प्रेम प्रसंग के दौरान मारे गए हिंदू लड़के की तस्वीर पोस्ट की है. दिलीप जैन ट्वीट पर सवाल उठाते हैं-‘क्या हिंदू-मुस्लिम एकता की सारी ज़िम्मेदारी हिंदुआंे की है ?’ इसी तरह अभिषेक कुमार की विज्ञापन पर प्रतिक्रिया है-‘मुझे समझ नहीं आ रहा कि ये भाईचारा कब था. मैंने तो नहीं देखा. 1860 से हिंदू-मुस्लिम दंगे हो रहे हैं. अब तनिष्क ज़बरदस्ती का भाईचारा दिखा रहा है, जो कभी नहीं था. मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान में हिंदू की क्या स्थिति ये किसी से छुपी नहीं है.’
एक सेवानिवृत्त बैंकर अनिल भल्ला लिखते हैं-‘हिंदू-मुस्लिम एकता हिंदू सहिष्णुता और कम्परमाइज का बाइप्रोडक्ट है. यह नकली धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है.’
अब भाईचारा में पलीता लगाने वालों से कोई पूछे कि सांप्रदायिक दंगे के लिए क्या केवल एक कौम जिम्मेदार है ? भारत को ‘महान‘ सिर्फ एक समुदाय ने बनाया ? क्या बिना सांप्रदायिक सौहार्द के मुल्क की तरक्की संभव है ?
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संपादक