ब्रिटिश पत्रकार का सफरनामा: बदल गई मलाला यूसुफजई की स्वात घाटी
रानी शेख
मैंने सेरेना होटल में पहुंचकर देखा, खूबसूरत पहाड़ी इलाकों के बीच बसा यह स्थान बहुत सुंदर है. स्वात की मेरी अंतिम यात्रा तब हुई थी जब मैं 9 साल की भी नहीं थी. तब मैं और मेरे परिवार के लोग संयोग से इसी होटल में रुके थे. प्रवेश द्वार परिचित लगा. कुली ने मेरे सामान को दूसरी मंजिल पर स्थित डैफोडिल सूट तक ले जाने में मदद की. जहां से दिन में इस शानदार घाटी का नजारा अच्छा लगा.
यह कल्पना करना मुश्किल है कि महज 10 साल पहले स्वात घाटी तालिबान शासन के कब्जे में थी. अभी भी हवा में उसकी कसक मौजूद है. मैंने अपने सेब के जूस की चुस्की ली, जो होटल के विशाल बगीचों से लिए गए फलों से ताजा-ताजा तैयार किया गया था.
फिर जल्दी से अपने भरोसेमंद गाइड से मिलने के लिए होटल के गेट की ओर बढ़ी. सेरेना के बाहर का माहौल जीवन और गतिविधियों से गुलजार था. महिलाएं सड़कों पर स्वतंत्र रूप से घूमती मिलीं. दूर से पश्तो संगीत बजता सुनाई पड़ा. बच्चे स्कूल जाने के लिए अपना रास्ता लिए आठ के झुंड में एक रिक्शा के पीछे भागते मिले.
गाइड सह कार ड्राइवर ने बताया,लोग यहां शिक्षा को महत्व देने लगे हंै. हम इसे जीवन का एक तरीका बनाने के लिए अपनी पूरी कोशिश में हैं. उसने बताया कि अभी-अभी उसने इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है.”
इसपर मैंने पूछा, क्या यहां अब महिलाओं के लिए सब कुछ समान है? क्या लड़कियों को पुरुषों के बराबर शिक्षा मिलती है?”
इंजीनियर ड्राइवर ने जवाब दिया, हां, चीजें बदल रही हैं. लड़कियां अब आगे की शिक्षा के लिए बड़े शहरों में जाने लगी हैं. एक दशक पहले कभी यह संभव नहीं था. आप जानते हैं, स्वात में लड़कियों के लिए दरवाजे खोलने के लिए हमारे पास एक रोल मॉडल है.
मैंने सहमति में सिर हिलाया. यह अकल्पनीय है कि एक बार तालिबान ने मिंगोरा को नियंत्रित किया.पाकिस्तान के स्वात जिले की राजधानी लड़कियों की शिक्षा के लिए लड़ाई का केंद्र रही है.मलाला यूसुफजई की ताकत और लचीलेपन ने दुनिया भर में उनकी योग्य प्रशंसा हासिल की है. यह कहना कि उनकी प्राणपोषक यात्रा ने ही बाकी लड़कियों के आगे के दरवाजे खोले होंगे. बता दें कि पढ़ने जाने के क्रम में ही तालिबान ने मलाला यूसुफजई के सिर में गोली मार दी थी. बहुत मुश्किल से उनकी जान बचाई गई थी. अभी वह लंदन में रहती हैं.
ब्रिटिश पत्रिका वोग के कवर पर उनकी 2021 की कवर स्टोरी ने इस रिपोर्टर को स्वात घाटी की ओर आकर्षित किया. मुझे लगता है कि हमारे बीच कुछ तत्व समान हैं. हम दोनों यूके में पाकिस्तानी हैं. हम दोनों ऑक्सफोर्ड गए थे. हम नारीवादी हैं और हमें पढ़ने और लिखने में आनंद मिलता है. मुझे भी एक बार उनका साक्षात्कार करने का अवसर मिला था ताकि दूसरे जन्म में हम दोस्त बन सकें.
हालांकि, इस समय, मेरे अंदर के पत्रकार का झुकाव हमारे राष्ट्रीय नायक की यात्रा की शुरुआत के नक्शेकदम पर चलने की ओर था. मिंगोरा अपने बाजार के हुड़दंग के बीच बसा हुआ है. यहां तक मोटरवे से सीधे तंग सड़कों के जरिए पहुंचा जा सकता है. यहां से सेरेना होटल 10 मिनट की कार की दूरी पर है. इससे पहले कि मैं कुछ और जानती, मेरी किराए की कार एक खुशाल स्कूल एंड कॉलेज के बाहर रुक गई.
मैंने मलाला के पिता जियाउद्दीन द्वारा स्थापित खुशहाल स्कूल का दौरा किया. तब दोपहर का 1ः30 बजा था. यह बाजार सामान्य भीड़ से भरा हुआ था. यहां पढ़ने वाली लड़कियों के पिता लेने आए थे. कुछ पिता दोपहर की पाली के लिए अपने बेटियों को छोड़ते भी दिखे. बच्चियां पारंपरिक रूप से ढीले सफेद पतलून, एक रंगीन ओढ़नी और सफेद हेडस्कार्फ की वर्दी पहनी हुई थीं.
खुशाल एक पारम्परिक पाकिस्तानी स्कूल भवन में बड़े खेल के मैदान और एक तरफ लेक्चर हॉल के साथ कार्य कर रहा है. बाहर बोल्ड में स्कूल के नाम के साथ एक गर्व का चिन्ह लटका हुआ है. जैसे ही मैंने स्कूल के बाहरी हिस्से की तस्वीरें लीं, रुके हुए बच्चे उत्सुकता से देखने लगे. वे मुस्कुराते पर भ्रमित और जिज्ञासु दिखे.
खुशाल स्कूल की स्थापना 27 साल पहले मलाला के पिता जियाउद्दीन यूसुफजई ने की थी. वो मानते हैं कि पाकिस्तान की समस्याओं का समाधान अपनी महिलाओं को शिक्षित करने में ही निहित है. कुछ बच्चे मेरे पास आए और मेरे कैमरे को करीब से देखने के लिए कहा. मैंने इसे भविष्य में करियर के उन रास्तों के बारे में विनम्र बातचीत करने के अवसर के रूप में लिया. बच्चियों से बातचीत में पता चला कि वो आगे बढ़ाना चाहती हैं. एक लड़नी ने कहा कि वह डाॅक्टर बनना चाहती है, जब कि एक अन्य ने फैशन डिजाइनर. मैं एक छोटी बच्ची से बात करने के लिए नीचे झुकी, जो धीरे-धीरे बोल रही थी. मैंने उससे पूछा तुम फैशन की पढ़ाई कहां से करोगी?
मेरे इस सवाल पर मुस्कराते, सकुचाते जवाब दिया-लाहौर!
मुझे सुखद आश्चर्य हुआ. इन बच्चों को उम्मीदों और इच्छाओं के साथ देखना बहुत खुशी की बात थी. दस साल पहले, यह एक विसंगति रही होगी. स्वात के पास अब अपना स्वयं का विश्वविद्यालय है.2017 में स्थापित यह काॅलेज पूरी तरह से महिलाओं के लिए समर्पित परिसर है. भले ही इसके पाठ्यक्रम सीमित हैं, पर यह महिलाओं के कौशल सुधारने में मददगार साबित हो रहा है. विश्वविद्यालय से पहले केवल एक मेडिकल कॉलेज मौजूद. रूढ़िवादी परिवार अपनी बेटियों को बाहर जाकर कहीं और पढ़ने की अनुमति नहीं देते थे.
-डाॅन से साभार. रिपोर्ट कैसी लगी जरूर कमंेट करें.