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UCC का मुद्दा छेड़कर पीएम मोदी ने फिर अहसास कराया, चुनाव में बीजेपी की नैया पार होना मुश्किल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफाॅर्म सिविल कोर्ड का मुद्दा छेड़कर एक बार फिर अहसास कराया कि वह चुनाव के ध्रुवीकरण के चक्कर में हैं और तीसरी बार बीजेपी के सत्ता मंे लौटने की उम्मीद मुश्किल है.पीएम मोदी आम तौर से सार्वजनिक मंचों से हिंदू-मुसलमान नहीं करते. मगर इस चुनाव में उन्होंने दो जनसभाओं में ऐसा करने की कोशिश की. यहां तक कि भारत के मुसलमानों को एक तरह से बाहरी बताने का प्रयास किया गया. मंगलसूत्र और हिंदुओं की संपत्ति मुसलमानों को देने जैसे भ्रम पैदा करने वाले संकेत दिए गए.

अब उन्हांेने यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड का मुद्दा उठाया है. अंग्रेजी अखबार द टाइम्स आॅफ इंडिया को दिए एक खास इंटरव्यू में यहां तक कहा-‘‘यूनिफाॅर्म सिविल कोर्ड के लिए वह सब कुछ करेंगे.’’

यहां उल्लेखनीय है कि बीजेपी ने मोदी की गारंटी शीर्षक से हाल में करीब 60 पेजों में एक घोषणा पत्र निकाला था, जिसमें उसमें चार लाइनों में यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड का जिक्र था. जबकि इससे कहीं अधिक बातें पिछले दस वर्षों की उपलब्धियां गिनाने के लिए कही गई थी. यहां तक भरोसा दिलाने का प्रयास किया था कि अगले पांच वर्ष भारत के लिए स्वर्णिम होगा.

मगर बीजेपी के इस घोषणा पत्र से लगता है मतदाता प्रभावित नहीं हैं.उन्हें रोजी-रोजगार जैसे मुद्दों पर ठोस आश्वासन की जरूरत है. जिस देश में तकरीबन 80 करोड़ जनता सरकारी अनाज पर पल रही है, वह भला दुनिया में अग्रणीय कैसे हो सकता है ?

मगर चुनाव में इसपर बीजेपी कोई बात नहीं कर रही है. अनुराग ठाकुर जैसे बीजेपी नेता भी मुसलमानों को ‘टार्गेट’ कर रहे हैं. जाहिर सी बात है बीजेपी का जादू लगता है चल नहीं रहा है, इसलिए मोदी जैसे बड़े और ठाकुर जैसे छोटे नेता अपने घोषणा पत्र पर कम, धु्रवीकरण करने वाली बातें अधिक प्रचारित कर रहे हैं.

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बीजेपी को उम्मीद थी कि राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक, अनुच्छेद 370 खत्म करने जैसे काम को अंजाम देने के बाद चुनाव में हिंदू मतदाता उसे हाथों-हाथ लेंगे. मगर दो चरणों में मतदाताओं की उदासीनता बताती है कि आसार अच्छे नहीं हैं. ऐसे में बीजेपी के सामने एक वर्ग विशेष के वोटरों में ‘मुसलमानों’ के नाम पर जोश भरने के सिवा कोई और चारा नहीं रह गया है. देखना है कि बीजेपी का यह प्रयास उसे तीसरी बार सत्ता के करीब लाता भी है या नहीं.