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गुजरात यूनिवर्सिटी हाॅस्टल में नमाज के दौरान विदेशी छात्रों पर हमला नींदनीय कृत्य: जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने गुजरात यूनिवर्सिटी के एक हॉस्टल में विदेशी छात्रों पर हुए हमले की निंदा की है.एक बयान में जमाअत उपाध्यक्ष ने कहा, ” जमाअत गुजरात विश्वविद्यालय के परिसर में हुई चौंकाने वाली घटना जिसमें नमाज़ के दौरान विदेशी छात्रों के एक समूह पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया, की कड़े शब्दों में निंदा करती है .

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पांच छात्र घायल हुए जिनमें दो को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. नमाज़ के दौरान कुछ बाहरी लोगों ने परिसर में प्रवेश किया . छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया. इसके बाद पथराव और तोड़फोड़ की.

आश्चर्य की बात है कि पुलिस ने समय पर कार्रवाई नहीं की. अपराधियों को विश्वविद्यालय परिसर में आगजनी करने की अनुमति दे दी. पुलिस की निष्क्रियता की भी जांच होनी चाहिए. जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित किया जाना चाहिए.’ परिसर में मौजूद पुलिस की निष्क्रियता बताती है कि नफरत फैलाने वालों और असामाजिक तत्वों को कानून का डर क्यों नहीं है.”

प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा, “यह निंदनीय कृत्य, जिसमें विदेशी छात्रों पर धार्मिक क्रियाकलापों के लिए हमला किया गया. हमारे देश द्वारा समर्थित सहिष्णुता और बहुलवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है. ऐसी घटनाएं न केवल निर्दोष छात्रों के जीवन को खतरे में डालती हैं, देश का नाम भी खराब करती हैं.

हम अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं कि इस हिंसा के दोषियों को अतिशीघ्र न्याय के कटघरे में लाया जाए. हम इसमें शामिल सभी लोगों की पहचान करने और उन्हें उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए गहन जांच की मांग करते हैं. हम गुजरात पुलिस से इस संबंध में अपने प्रयासों में तेजी लाने और सभी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं.

चाहे उनकी राष्ट्रीयता या धर्म कुछ भी हो. इस घटना को अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए. यह भारत में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ वर्षों से विकसित नफरत और ध्रुवीकरण के माहौल का परिणाम है.

मुसलमानों के ख़िलाफ़ लक्षित हिंसा को सामान्य बना दिया गया है. जब तक नफरत के इस माहौल का सामना नहीं किया जाता; हम ऐसी सांप्रदायिक घटनाओं के मूल कारण का पता नहीं लगा पाएंगे. समावेशिता और सहिष्णुता के मूल्यों को बनाए रखना और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सक्रिय उपाय करना शैक्षणिक संस्थानों का भी दायित्व है.”

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