Delhi Riots 208 अंतरराष्ट्रीय विद्वान दिल्ली पुलिस की मुखालफत में उतरे
दिल्ली पुलिस सीएए-एनआरसी (CAA,NRC) विरोधी आंदोलनों में सक्रिय लोगों को दंगे में गिरफ्तार कर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद ही अपनी मट्टी पली कर रही है। अमेरिका की ‘टाइम’ मैगज़ीन के बाद अब 208 अंतरराष्ट्रीय खकों, इतिहासकारों, कलाकारों ने उमर खालिद सहित ऐसे तमाम लोगों की गिरफ्तारी की आलोचना के साथ यूएपीए (गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) जैसे कड़े आतंकवादी रोधी कानून के तहत मुकदमा दर्ज करने का कड़ा विरोध किया है।
इस फरवरी, पूर्वाेत्तर दिल्ली दंगों के पहले, बीच एवं उसके बाद दिल्ली पुलिस की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं। जबकि उकसावे की हरकतें करने वाले सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी नेताओं को ‘विसिल ब्लोवर’ बताने की कार्रवाई का मुखालफत हो रहा है। आरोप है कि जान-बूझकर संशोधित नागरिकता कानून विरोधी आंदोलन में सक्रिय लोगों को फँसाया जा रहा। दंगे में सबसे अधिक मुसलमानों को जानी-माली नुक्सान पहुंचा। फिर भी मुकदमे सर्वाधिक इस कौम के खिलाफ दर्ज किए गए।
देशद्रोही बताने वालों को खरी-खरी
नफरती गैंग सीएए (CAA) आंदोलन को देश विरोधी गतिविधियों से जोड़ कर दुष्प्रचारित करता रहा है। दूसरी तरफ अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर से प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका ‘टाइम’ (TIME) ने बिलकिस को विश्व के 100 प्रतिभाशाली शख्सियतों में शामिल कर एक तरह से सीएए विरोधी आंदोलन को सही ठहरा दिया। इस लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम है। उनके बारे में पत्रिका में आरोप लगाया गया कि वह मुस्लिम विरोधी रूप अपना कर भारत के लोकतांत्रिक स्वरूप को बिगाड़ रहे हैं। और अब लिंग्विस्ट नोम चोम्स्की, लेखक सलमान रुश्दी (SALMAN RUSHDI), अमिताव घोष, अरुंधति रॉय, रामचंद्र गुहा, राज मोहन गांधी, फिल्म निर्माता मीरा नायर, आनंद पठान, इतिहास कार रोमिला थापर, इरफान हबीब (IRFAN HABEEB), कार्यकर्ता मेधा पाटकर, अरुणा रॉय जैसे 208 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विद्वानों ने ‘दिल्ली दंगे’ में सीएए विरोधी आंदोलन में सक्रिय लोगों को फंसाने और उनके खिलाफ यूएपीए जैसे आतंकवादी रोधी कानून के तहत मुकदमा दर्ज करने का विरोध किया है।
यूएपीए में गिरफ्तार लोगों को चाहिए आजादी
देश-विदेश की 208 नामचीन हस्तियों ने हस्ताक्षरयुक्त बयान जारी कर कहा कि खालिद एवं उन सभी को गलत तरीके से फँसाया गया। अन्याय पूर्ण ढंग से उनपर सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शन के लिए उकसाने के आरोप लगे। अंग्रेजी डेली इंडियन एक्सप्रेस
की रिपोर्ट के अनुसार,
200 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों, शिक्षाविदों , कलाकारों ने गुरुवार को जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद के समर्थन में बयान जारी किया। उनकी गिरफ्तारी फरवरी के दिल्ली दंगों में कथित भूमिका को लेकर हुई है। हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि खालिद को दिल्ली पुलिस यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत झूठा फंसा रही है। उन्होंने मांग की कि सरकार खालिद एवं उन सभी को आजाद करे जिन्हें गलत एवं अन्याय पूर्ण तरीके से दिल्ली दंगे में फँसाने की कोशिश हो रही है। कहा गया कि सीएए-एनआरसी आंदोलन लोकतांत्रिक तरीके से किया गया। बयान पर हस्ताक्षर करने वाले 208 प्रमुख लोगों ने उमर खालिद को बहादुर युवा विद्वान एवं कार्यकर्ता बताया है। उनपर देशद्रोह, हत्या की साजिश जैसी धाराएं लगाने पर आक्रोश जताते हुए कहा कि सीएए आंदोलन स्वतंत्र भारत में सबसे बड़ा शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक अधिकार आंदोलन था। महात्मा गांधी के नक्शेकदम पर आंदोलन चला। यह भारतीय संविधान की भावना का मूर्त रूप है। उमर खालिद आंदोलन में सच्चाई की शक्तिशाली युवा आवाज बने, जिन्होंने भारत के संविधान के मूल्यों को बनाए रखते हुए छोटे बड़े 100 से अधिक शहरों में बैठकें कीं। अब उमर को जिहादी बनाकर पेश किया जा रहा है, क्यों कि वह सरकार की नीतियों का मुखर आलोचक एवं मुसलमान है। बयान में उन सभी का जिक्र है, जिन्हें यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया। उनमें पिंजरा टोड़ की कार्यकर्ता देवांगना कलिता नताशा नरवाल भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि 21 लोगों में 19 आतंकवादी क़ानूनों के तहत दिल्ली दंगे के आरोपी बनाए गए है, जिनमें अधिकांश मुस्लिम हैं।
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संपादक