Religion

धन्नीपुर मस्जिद विवाद बढ़ा, इकबाल अंसारी बोले- वहां खेती हो

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,अयोध्या

अयोध्या के राम मंदिर से करीब 22 किलोमीट दूर धन्नीपुर गांव में प्रस्तवित मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ रहा है. इस मस्जिद के निर्माण से पहले जिस प्रकार एक वर्ग विशेष के मुसलमानों की सरगर्मी बढ़ी है, उससे आम मुसलमान न केवल नाराज है, इसमें दिलचस्पी नहीं लेने के कारण मस्जिद बनाने के लिए पैसे जुटाने में दुश्वारी आ रही है.

हालांकि, धन्नीपुर मस्जिद को लेकर वर्ग विशेष लंबे चैड़े दावे करता रहा है. यहां तक कहा गया कि मस्जिद खूबसूरती में ताजमहल को टक्कर देगी. साथ ही उनका यह दर्द भी गाहे-बगाहे छल्लकता रहता है कि मस्जिद निर्माण के लिए देश का आम मुसलमान चंदा देने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है.

दरअसल, इस तरह के विवाद की नींव उस समय पड़ गई थी जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को धन्नीपुर गांव में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने और एक समिति गठित करने का हुक्म दिया था. अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद की लड़ाई लड़ने वाले अधिकांश लोगों को प्रस्तावित मस्जिद से दूर रखा गया है. अब तो स्थिति यह है कि समिति के बाइलाॅज में परिवर्तन कर इसका सर्वसर्वा मुंबई के एक बीजेपी नेता को बना दिया गया है. इसके बाद से विवाद में तेजी आई है. कहते हैं, समिति से जुड़े उत्तर प्रदेश के लोग खिंचे-खिंचे से रहने लगे हैं.

अब तो अप्रत्यक्ष रूप से इसके खिलाफ इकबाल अंसारी भी आ गए हैं. एक न्यूज एजेंसी को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने धुन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद को लेकर बड़ा बयान दिया है.अंसारी उस जमीन पर खेती करने और उपजे अनाज को हिंदू-मुसलमानों में बराबर बांट कर खाने की वकालत कर रहे हैं. एजेंसी से अंसारी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण से लेकर हर मुद्दे पर बातचीत की.

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रिपोर्ट में कहा गया कि जब उनसे पूछा गया कि धुन्नीपुर की प्रस्तावित मस्जिद का काम कब शुरू होगा ? इस सवाल पर उनके चहरे पर तनाव की स्थिति आ गई. उन्होंने कहा कि आज नहीं बहुत दिन से कह रहा हूं कि कोई मुसलमान यह नहीं पूछ रहा है कि वहां मस्जिद बनी कि नहीं बनी? फिर, उस बारे में तो इतना ही कहूंगा कि अब वहां मस्जिद की जरूरत भी नहीं है.’’

उन्हांेने कहा, मुसलमानों से एक अपील भी है. जो जमीन मिली है, पांच एकड़, जफर भाई को चाहिए, उसमें खेती करें. जो अनाज पैदा हो उसे हिंदू मुसलमानों में बांटें. हाँ, एक बात और है. धुन्नीपुर वाली मस्जिद के ट्रस्टी जफर फारूकी हैं. वक्फ बोर्ड के चेयरमैन हैं. वो, चाहे बनावे या ना बनाएं. अब मुसलमान उसको पूछता भी नहीं. सरकार ने जमीन दे दी है. मुसलमानों को कोई शिकायत नहीं.

उन्होंने कहा, मै उसमें कुछ भी नहीं हूँ. इस विवाद में मैं पड़ना भी नहीं चाहता. उन्होंने ‘मस्जिद निर्माण’ को विवाद क्यों कहा, इसपर गौर करने वाली बात है.

श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बारे में उन्होंने कहा कि देखिए, सवाल हमारे यहां अयोध्या का है. अच्छी बात है. मंदिर बनकर तैयार है. पूजा पाठ होने जा रहा है. देश विदेश के लोग आ रहे हैं. सबका सम्मान होना चाहिए. हमें भी आमंत्रण मिला है और हम जाएंगे भी. इसमें रिश्तेदार और पास पड़ोस का कोई लेना देना नहीं. अकेले हमको निमंत्रण मिला है. हम अकेले जाएंगे.

आम मुसलमानों की सोच और समस्याओं मे सवाल पर उन्होंने कहा कि अयोध्या का श्रीराम मंदिर बनने से यहां का विकास भी हो रहा है. सड़कें बन रहीं हैं. रोडवेज बन रहा है. अब रेलवे स्टेशन है, एयरपोर्ट भी. विकास रहा है. इससे रोजगार बढ़ेगा. जब यात्री यहां आएंगे तो रोजगार बढ़ेगा ही. जब यह सवाल हुआ कि आम मुसलमान ने भी कोर्ट को सम्मान दिया. शांति बनाए रखा. लेकिन ओवैसी साहब को यह नागवार गुजर रही है. अंसारी ने कहा कि ओवैसी को हम नहीं जानते हैं. न उनकी बात करते हैं.

अंसारी ने मथुरा और काशी के विषय भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जहां का मसला है, वहां के लोग निपटाएंगे. हम तो अयोध्या के हैं. जो भी रहा अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया, हमने उसका सम्मान किया. देश के मुसलमानों ने सम्मान किया.

उन्होंने कहा कि अभी तक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मेरे जाने या न जाने को लेकर किसी प्रकार से कोई रोक नहीं है. कोई फतवा भी नहीं लगा मेरे ऊपर. ना हमको किसी ने मना किया. भाई हम अयोध्या के रहने वाले हैं. अयोध्या का जो समाज है, हिंदू मुसलमानों का समाज. एक दूसरे लोगों का लगाव है. हर धार्मिक कार्यक्रम में लोग हमेशा आते जाते रहते हैं. हमारे यहां भी जब कव्वाली होती है तब हिंदू मुसलमान एक साथ बैठते हैं. आते हैं, जाते हैं. हमारे यहां भेदभाव नहीं है.

इकबाल अंसारी बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार में से एक रहे हैं. इससे पहले उनके पिता हाशिम अंसारी ने कोर्ट में बाबरी मस्जिद का केस लड़ा और वह इस केस में मुख्य पक्षकार बनकर सामने आए थे. हाशिम अंसारी बाबरी मस्जिद-जन्मभूमि केस के सबसे उम्रदराज वादी थे. फैसला आने से पहले हाशिम अंसारी का इंतकाल हो गया. इसके बाद इकबाल अंसारी मुख्य पक्षकार बने. फिर केस की कमान उनके बेटे इकबाल अंसारी ने संभाली. वह कोर्ट में ये केस लड़ते रहे.

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