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बांग्लादेश में सरकारी नौकरी कोटा पर विवाद: सेना ने संभाली कमान

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली/ ढाका

बांग्लादेश की सेना ने शनिवारको ढाका की सड़कों पर कर्फ्यू लागू कर दिया है. सरकारी नौकरी कोटा के खिलाफ छात्रों द्वारा नेतृत्व किए जा रहे आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस आंदोलन में इस सप्ताह कम से कम 105 लोगों की मौत हो चुकी है. इंटरनेट और टेक्स्ट मैसेज सहित दूरसंचार सेवाओं के निलंबन ने बांग्लादेश को बाकी दुनिया से पूरी तरह से काट दिया है. विदेशी कॉल में कनेक्टिविटी की समस्या हो रही है . अधिकांश स्थानीय समाचार वेबसाइटें निष्क्रिय हैं.

ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक, शाम 5 बजे से 7 बजे के बीच 27 शव पहुंचे हैं. बांग्लादेश भर के अस्पतालों से मिली जानकारी से पता चलता है कि हजारों लोग इस भयावह स्थिति में घायल हुए हैं.

भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के कार्यकर्ता, आरक्षण कोटा प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसके तहत देश के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% पद आरक्षित किए गए हैं. छात्रों का कहना है कि यह कोटा प्रणाली देश की सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग के समर्थकों के पक्ष में है, जिसने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था.

सरकारी नौकरियों के लिए विवादास्पद कोटा के खिलाफ प्रदर्शन तब हिंसक हो गया जब सरकार समर्थक बांग्लादेश छात्र लीग और स्थानीय पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे भेदभाव विरोधी आंदोलन के प्रदर्शनकारियों पर हमला किया. इसके बाद देश में कई दिनों तक अशांति बनी रही.

इस बीच, कुल 778 भारतीय छात्र विभिन्न भूमि बंदरगाहों के माध्यम से भारत लौट आए हैं. विदेश मंत्रालय ने बताया कि लगभग 200 छात्र ढाका और चटगांव हवाई अड्डों के माध्यम से वापस लौटे हैं. मंत्रालय ने कहा कि उच्चायोग और सहायक उच्चायुक्त बांग्लादेश भर के विश्वविद्यालयों में फंसे 4000 से अधिक भारतीय छात्रों के साथ नियमित संपर्क में हैं.