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सीएसआरई की पहल से मुसलमान युवक बना न्यायिक अधिकारी, अकोला के उजैर अहमद की सफलता ने बढ़ाया गौरव

✍ मुस्लिम नाउ ब्यूरो | नागपुर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय और संतरे की मिठास के लिए मशहूर नागपुर शहर से एक और प्रेरणादायक खबर सामने आई है। यहां स्थित गैर-सरकारी संगठन “सीएसआरई” (Centre for Study and Research in Empowerment) ने एक बार फिर मुस्लिम समाज के एक होनहार युवा के भविष्य को संवारने में अहम भूमिका निभाई है।

इस बार सफलता मिली है अकोला निवासी उजैर अहमद को, जिन्हें महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (MPSC) की न्यायिक सेवा परीक्षा में जेएमएफसी (Judicial Magistrate First Class) पद के लिए चयनित किया गया है। वे मुस्लिम समुदाय के उन पांच उम्मीदवारों में शामिल हैं, जिन्हें इस बैच में न्यायिक पद के लिए सफल घोषित किया गया है।


सीएसआरई की कानूनी टीम ने निभाई अहम भूमिका

उजैर अहमद की इस सफलता के पीछे एक सशक्त सहयोग रहा है सीएसआरई की कानूनी टीम का, विशेषकर जेबी बशीर अहमद शेख साहब का, जिन्होंने उन्हें मुख्य परीक्षा में सफलता के बाद साक्षात्कार की तैयारी के लिए मार्गदर्शन दिया। इस सहयोग ने उजैर को इंटरव्यू में आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शन करने में मदद की।

अपनी सफलता के बाद उजैर अहमद ने नागपुर स्थित सीएसआरई कार्यालय का दौरा किया और अपने मार्गदर्शक बशीर साहब से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने सीएसआरई की टीम को अपनी सफलता का श्रेय देते हुए कहा कि यदि यह सहयोग न मिलता, तो शायद वह इस मुकाम तक न पहुंच पाते।


मुस्लिम युवाओं के लिए एक प्रेरक उदाहरण

अल्पसंख्यक समुदाय विशेषकर मुस्लिम युवाओं के लिए, उजैर अहमद की सफलता एक प्रेरक उदाहरण बन गई है। जहां एक ओर न्यायिक सेवाओं में मुस्लिम प्रतिनिधित्व बेहद सीमित है, वहीं उजैर की नियुक्ति इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखी जा रही है।

सीएसआरई की ओर से जारी बयान में कहा गया है,

“हम उजैर अहमद को उनकी सफलता पर बधाई देते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह एक निष्पक्ष, संवेदनशील और न्यायप्रिय अधिकारी के रूप में देश की न्याय प्रणाली को सशक्त बनाएंगे।”


न्यायिक सेवाओं में मुस्लिम भागीदारी – एक जरूरी बहस

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि भारत की न्यायपालिका में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व बेहद कम है। कई रिपोर्टों में यह बात सामने आ चुकी है कि मुस्लिम समुदाय से आने वाले न्यायिक अधिकारियों की संख्या बेहद सीमित है। ऐसे में उजैर अहमद की नियुक्ति न सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि सामुदायिक सहभागिता और सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।

सीएसआरई जैसी संस्थाओं की भूमिका यहां अहम हो जाती है, जो बिना किसी भेदभाव के योग्य उम्मीदवारों को तैयारी, मार्गदर्शन और संसाधन मुहैया कराती हैं।


उजैर अहमद के सामने नया रास्ता

फिलहाल उजैर अहमद अपने पोस्टिंग ऑर्डर का इंतज़ार कर रहे हैं। जल्द ही वे बतौर जेएमएफसी न्यायिक सेवा में कार्यभार संभालेंगे। उन्हें मुस्लिम नाउ टीम की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं और उम्मीद है कि वे अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करेंगे।


उम्मीद, मेहनत और मार्गदर्शन से बदली किस्मत

उजैर अहमद की कहानी बताती है कि योग्यता और प्रयास के साथ जब सही मार्गदर्शन और संस्थागत सहयोग मिल जाए, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। सीएसआरई जैसे संगठनों की समाज में भूमिका इससे साफ होती है और यह उदाहरण इस बात का प्रमाण है कि मुस्लिम युवा भी न्यायपालिका जैसी चुनौतीपूर्ण सेवाओं में अपनी जगह बना सकते हैं।


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