CultureMuslim World

कशीदाकारी को किया पुनर्जीवित, कश्मीरी महिला ने दिखाया रास्ता, घर पर खोला प्रशिक्षण केंद्र

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, श्रीनगर

जब युवा पारंपरिक शिल्प से दूर हो रहे हैं, तो जमरूदा अली ने बदामवारी, हवाल क्षेत्र में अपने घर पर एक कशीदाकारी प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया है. कमाल यह है कि इसकी कढ़ाई के डिजाइन न केवल पूरी दुनिया में बेचे जाते हैं, अपनी इकाई में 30 महिलाओं को रोजगार भी दिया है.

जमरूदा ने कहा, “मैंने 2015 में सक्रिय रूप से कढ़ाई करना शुरू किया. बाद में अपने घर में इस केंद्र की शुरुआत की. अभी, मैं 30 लड़कियों को  कढ़ाई में प्रशिक्षित कर रही हूं. ये महिलाएं अंशकालिक आधार पर भी कार्यरत हैं. हम खुद कच्चा माल लाते हैं और कढ़ाई करने के बाद उसे बेचते भी हैं. अब, इसका केंद्र रजिस्टर्ड हो गया है. हम अलग-अलग सामान जैसे ड्रेपरियां, बिस्तर और तकिए के कवर बनाते हैं.

जमरूदा ने कहा कशीदाकारी के लिए समर्पण की आवश्यकता है. इस बात को कंेद्र की महिलाएं अच्छी तरह समझने लगी हैं.

जमरूदा नेकहा,“अब, केवल महिला कारीगर ही कढ़ाई करती हैं. इसे करते समय वातावरण शांत होना चाहिए. इसके लिए काफी समर्पण की आवश्यकता होती है. दुर्भाग्य से, इतनी मेहनत के बावजूद कारीगरों को अधिक भुगतान नहीं मिल रहा है. परिणामस्वरूप, युवा पीढ़ी इस शिल्प कला से दूर हो रही है. हम इस पारंपरिक शिल्प को जीवित रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

हस्तशिल्प विभाग, कश्मीर के एक अधिकारी ने कहा कि उनकी इकाई ने अद्वितीय डिजाइन तैयार किए हैं. परिणामस्वरूप मांग बढ़ी है.जमरूदा एक कुशल कारीगर हैं. वह शिल्प में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं. अपने घर के बाहर एक प्रशिक्षण केंद्र संचालित कर रही हैं. वह पिछले कुछ समय से विस्तृत और अद्वितीय पैटर्न डिजाइन कर रही हैं, जो पूरी दुनिया में बेची जाने वाली कशीदाकारी कलाकृतियों में विशेषतः हाथ से बने अनुकूलन योग्य डिजाइनों को मौलिकता प्रदान करती है. इनमें ड्रैपरियां, बिस्तर, तकिए के कवर और थ्रो शामिल हैं. वह वर्तमान में अपने व्यवसाय में लगभग 30 महिलाओं को अंशकालिक आधार पर रोजगार दे रही हैं.

हस्तशिल्प विभाग ने क्राफ्ट सफारी के अमदकदल संस्करण में उनकी इकाई को भी शामिल किया है. वर्ष 2021 के लिए शिल्प और लोक कला श्रेणी में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की प्रतिष्ठित सूची में श्रीनगर के आने के बाद शहर के विभिन्न हिस्सों में सफारी पिछले साल शुरू की गई थी. सफारी के हिस्से के रूप में, हस्तशिल्प विभाग ने पुराने श्रीनगर शहर में कई कारीगरों और समूहों की पहचान की है.