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आर्थिक अनुसंधान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर जामिया में विशेषज्ञों ने दी अहम जानकारी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग ने 23 से 25 फरवरी, 2025 तक ‘आर्थिक मॉडलिंग के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक’ विषय पर तीन दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम (FDP) का आयोजन किया। यह कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में संचालित किया गया, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से 65 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं को आर्थिक मॉडलिंग और अनुसंधान के क्षेत्र में अत्याधुनिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तकनीकों से लैस करना था।

कार्यक्रम की भव्य शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष और कार्यक्रम निदेशक प्रो. अशरफ इलियान के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने अपने उद्घाटन संबोधन में बताया कि किस प्रकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) एक सामान्य प्रयोजन तकनीक के रूप में उभर रही है और अर्थशास्त्र विभाग शिक्षण और अनुसंधान में इस तकनीक को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. मूनिस शकील ने कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय दिया और आर्थिक अनुसंधान में AI और मशीन लर्निंग के महत्व पर प्रकाश डाला।

तकनीकी सत्र: विशेषज्ञों की व्याख्यान श्रृंखला

इस कार्यक्रम के दौरान कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान और कार्यशालाएं आयोजित कीं:

  • डॉ. सरफराज मसूद (एसोसिएट प्रोफेसर, कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया) ने उद्घाटन भाषण दिया और आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क (ANN) तथा जेनरेटिव एडवर्सरियल नेटवर्क (GAN) के आर्थिक मॉडलिंग में अनुप्रयोगों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की।
  • प्रो. मूनिस शकील (अर्थशास्त्र विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया) ने मशीन लर्निंग और पायथन प्रोग्रामिंग का परिचय देते हुए आर्थिक विश्लेषण में उनके उपयोग पर चर्चा की।
  • डॉ. ज़कारिया सिद्दीकी (एसोसिएट प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया) ने आर प्रोग्रामिंग पर कार्यशाला आयोजित कर प्रतिभागियों को एआई-संचालित आर्थिक विश्लेषण के लिए मौलिक कोडिंग कौशल प्रदान किया।

दूसरे दिन के प्रमुख सत्र

दूसरे दिन की शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय की कंप्यूटर विज्ञान विभाग की डॉ. गीतिका वशिष्ठ के व्याख्यान से हुई। उन्होंने के-निकटतम पड़ोसी (KNN), लॉजिस्टिक रिग्रेशन, विभेदक विश्लेषण और सपोर्ट वेक्टर मशीन (SVM) जैसी वर्गीकरण तकनीकों पर गहन चर्चा की।

इसके बाद डॉ. मोहम्मद जीशान अंसारी (सहायक प्रोफेसर, कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया) ने रिग्रेशन तकनीकों पर विस्तृत चर्चा की, जिसमें KNN, रैंडम फॉरेस्ट, XGBoost, लासो, रिज रिग्रेशन और इलास्टिक नेट शामिल थे।

तीसरे दिन की खास प्रस्तुतियां

तीसरे दिन की शुरुआत प्रो. सूर्या जाबीन (कंप्यूटर विज्ञान विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया) के सत्र से हुई, जिसमें उन्होंने नैवे बेयस, डिसीजन ट्री और न्यूरल नेटवर्क जैसी क्लासिफिकेशन तकनीकों पर प्रकाश डाला।

समापन तकनीकी सत्र डॉ. नेदा फातिमा (मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज, हरियाणा) ने दिया। उन्होंने रेखीय और गैर-रेखीय दोनों प्रकार की रिग्रेशन तकनीकों पर व्याख्यान दिया और प्रतिभागियों को एआई-संचालित आर्थिक विश्लेषण में व्यावहारिक अंतर्दृष्टि प्रदान की।

कार्यक्रम का समापन एवं प्रमाण पत्र वितरण

कार्यक्रम का समापन 25 फरवरी, 2025 को अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. अशरफ इलियान के समापन भाषण के साथ हुआ। उन्होंने प्रतिभागियों को इस तकनीकी ज्ञान को अपने अनुसंधान और शिक्षण कार्य में लागू करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर शोध छात्र अहमद रजा ने धन्यवाद ज्ञापन किया और सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।

प्रतिभागियों की उत्साहजनक भागीदारी

इस कार्यक्रम में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. वसीम अकरम और डॉ. मोहम्मद काशिफ खान सहित 65 से अधिक संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम को अत्यंत ज्ञानवर्धक बताया और भविष्य में इस प्रकार के और अधिक कार्यशालाओं के आयोजन की मांग की।

काबिल ए गौर

‘आर्थिक मॉडलिंग के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक’ पर यह संकाय विकास कार्यक्रम जामिया मिल्लिया इस्लामिया में शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल शोधकर्ताओं और शिक्षकों को नवीनतम तकनीकों से अवगत कराते हैं, बल्कि उन्हें अपने शोध और शिक्षण पद्धति को और अधिक प्रभावी बनाने में भी सहायक होते हैं।

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