NewsTOP STORIES

हिजाब में उड़ान: 21 साल की मुस्कान बेगम बनीं हैदराबाद की सबसे कम उम्र की कमर्शियल पायलट

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,हैदराबाद
हिम्मत, जुनून और सपनों की ऊंची उड़ान ने हैदराबाद की 21 वर्षीय मुस्कान बेगम को भारत की मुस्लिम बेटियों के लिए एक नई मिसाल बना दिया है। मुस्कान ने दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में अपनी एविएशन ट्रेनिंग पूरी करने के बाद कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) हासिल कर लिया है। इसके साथ ही वह शहर की सबसे कम उम्र की महिला कमर्शियल पायलट बन गई हैं—और वह भी हिजाब के साथ।

स्कूली शिक्षा से सपनों की उड़ान तक का सफर

मुस्कान की पढ़ाई की शुरुआत नारायणा स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने श्री चैतन्य कॉलेज से इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की। शुरुआत में वह मेडिकल क्षेत्र में जाना चाहती थीं, परंतु किस्मत ने उन्हें एक अलग रास्ते पर मोड़ दिया। उन्होंने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) की परीक्षा वी2 एविएशन अकादमी, खादरबाग, हैदराबाद से पास की।

जब ख्वाबों को मिला पर

2023 में, दक्षिण अफ्रीकी वीज़ा मिलने के बाद मुस्कान ने केप टाउन स्थित “4 एविएटर्स फ्लाइंग स्कूल” में दाखिला लिया। वहां उन्होंने थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों परीक्षाएं पूरी कीं और अपने CPL चेकराइड के लिए अधिकृत परीक्षक से परीक्षण पास किया।
“मैंने 250 घंटे से अधिक की उड़ान पूरी की है और अब मेरे पास एक मान्य कमर्शियल पायलट लाइसेंस है,” मुस्कान ने सियासत डॉट कॉम से बातचीत में कहा।

मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि, मजबूत हौसले

सात सदस्यों वाले मध्यमवर्गीय परिवार में पली-बढ़ी मुस्कान अपने माता-पिता के सहयोग को ही इस उपलब्धि की नींव मानती हैं।
“मेरी मां छोटा-मोटा व्यवसाय चलाती हैं और मेरे पिता दोहा, कतर में नौकरी करते हैं। शुरुआत में समाज और रूढ़ियों के कारण उन्हें मनाना आसान नहीं था। लेकिन जब मैंने अपने इरादों की सच्चाई और मेहनत दिखाई, तो उन्होंने मुझे पूरा समर्थन दिया,” उन्होंने बताया।

हिजाब के साथ आसमान की ओर

हिजाब पहनने वाली मुस्कान ने यह भी बताया कि दक्षिण अफ्रीका में हिजाब के साथ ट्रेनिंग लेना आसान नहीं था, लेकिन उनके आत्मविश्वास ने उन्हें कभी पीछे नहीं हटने दिया।
“सबसे जरूरी था कि मैं दूसरों की सोच को खुद पर हावी न होने दूं। मैंने अपने लक्ष्य को सामने रखा और वही मेरी ताकत बनी,” उन्होंने बताया।

भविष्य की तैयारियां और उम्मीदें

वर्तमान में मुस्कान उसी फ्लाइंग स्कूल में इंस्ट्रक्टर ट्रेनिंग ले रही हैं। उनका लक्ष्य है कि वे प्रशिक्षक के रूप में अनुभव प्राप्त करके जब किसी एयरलाइन में रिक्तियां आएं, तो सीधे चयन के लिए तैयार रहें।
“यहाँ पर प्रशिक्षण देते हुए मुझे अच्छे फ्लाइंग ऑवर्स और अनुभव मिल रहा है, जो भविष्य में एयरलाइन इंडस्ट्री में मेरी एंट्री को आसान बनाएगा,” उन्होंने कहा।

बचपन का सपना बना हकीकत

अपने बचपन को याद करते हुए मुस्कान ने मुस्कराते हुए कहा, “मैं एयरपोर्ट के पास से गुजरते हुए अक्सर आसमान में उड़ते जहाज़ों को देखती थी। तब से अपने आपको कॉकपिट में उड़ान भरते हुए देखती थी। उस कल्पना को साकार करना किसी चमत्कार से कम नहीं।”

“विमानन एक सपना था, अब यह मेरा जीवन बन चुका है,” मुस्कान ने भावुक होते हुए कहा।


निष्कर्ष:
मुस्कान बेगम की यह कहानी केवल एक व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी है कि अगर हौसले बुलंद हों और परिवार का साथ हो, तो कोई भी सामाजिक रुकावट एक मुस्लिम बेटी की उड़ान को नहीं रोक सकती। वह भारत में मुस्लिम महिलाओं के लिए एविएशन इंडस्ट्री में एक नई प्रेरणा बनकर उभरी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *