शेखावाटी मुस्लिम युवाओं में बढ़ती अनैतिक प्रवृत्तियां : शिक्षा और नैतिकता से भटकती एक पीढ़ी
अशफाक कायमखानी,जयपुर
राजस्थान के शेखावाटी जनपद, जिसे सेना, पुलिस और खेती-किसानी की पारंपरिक पहचान के लिए जाना जाता रहा है, अब एक गहरे सामाजिक और नैतिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यहां के मुस्लिम समुदाय में एक ऐसा बदलाव देखा जा रहा है जो न केवल चिंताजनक है, बल्कि आने वाले समय में पूरे समाज के भविष्य को संकट में डाल सकता है।
शेखावाटी के मुस्लिम युवाओं की दिशा में विचलन
अरब देशों में मजदूरी करके लौटे लोगों ने जिस धन को कमाया, उसका उपयोग शिक्षा, व्यापार या सामाजिक सशक्तिकरण में करने के बजाय फ़िज़ूलखर्ची, प्रदर्शन और कई मामलों में अनैतिक गतिविधियों में झोंक दिया गया। अब यही प्रवृत्ति समाज के लिए बड़ी चुनौती बन रही है।
ताज़ा घटनाओं से उजागर होती सच्चाई
सीकर जिले के रानोली थाना क्षेत्र की एक मुस्लिम ढाणी में दो अलग-अलग मामलों में हाल ही में कोर्ट से आए निर्णयों ने समाज को झकझोर दिया। एक हत्याकांड में सात लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा मिली, जबकि एक बलात्कार के मामले में दो आरोपियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई। ये घटनाएं समाज में गिरते नैतिक स्तर और बेकाबू होती युवा मानसिकता का संकेत हैं।
डीडवाना जिले के दो युवा — जिनकी उम्र महज 21 और 23 वर्ष है — नशे की अवैध सामग्री सप्लाई करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए। वहीं पास के गांव में रहने वाला एक युवक दुबई में बैठकर स्थानीय गैंग के ज़रिये पाकिस्तान से अवैध हथियार और ड्रग्स की तस्करी में लिप्त पाया गया। हवाला के ज़रिये पैसे के लेन-देन में भी कुछ लोग विदेशी माफियाओं के संपर्क में आकर लूट को पेशा बना चुके हैं।
धन ही सब कुछ? समाज की चिंताजनक मानसिकता
अब शेखावाटी के कुछ हिस्सों में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि समुदाय में धनबल को ही सम्मान और इज़्ज़त का पैमाना मान लिया गया है। अनैतिक तरीकों से कमाई करने वाले लोग मंचों पर सम्मानित हो रहे हैं और समाज उन्हें आदर्श के रूप में देख रहा है। इससे नई पीढ़ी के युवाओं को गलत संदेश मिल रहा है — मेहनत और ईमानदारी के बजाय शॉर्टकट और हराम की कमाई को प्राथमिकता दी जा रही है।
उम्मीद की किरण: नैतिकता और शिक्षा से बदलाव लाने वाले परिवार
हालांकि इस अंधेरे के बीच कुछ ऐसे परिवार भी हैं जो समाज के लिए मिसाल बने हुए हैं। हाल ही में आए बोर्ड परीक्षाओं, नीट और जेईई के नतीजों ने दिखाया कि सामान्य जीवन जीने वाले, साधारण आय वाले माता-पिता अपने बच्चों को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। विशेष तौर पर लड़कियों ने शिक्षा में उल्लेखनीय प्रदर्शन कर समाज को नई राह दिखाई है।
सीकर स्थित कायम होस्टल और इसके संचालकों की भूमिका भी सराहनीय रही है, जिन्होंने बच्चों को सही मार्गदर्शन दिया और नैतिकता की दिशा में सजग रखा।
शिक्षा और नैतिकता: स्थायी समाधान की राह
जनपद के गांव — जैसे नुआ, झाड़ोद, चोलूखां, सुदरासन, जाबासर आदि — के कई परिवारों ने साबित किया है कि अगर बच्चों को बेहतर परवरिश, उचित शिक्षा और नैतिक सोच दी जाए तो वे ऊंचे पदों तक पहुंच सकते हैं। इसके उलट, ज़्यादातर परिवार आज भी अनावश्यक खर्च, दिखावे और अनैतिक गतिविधियों पर धन लुटा रहे हैं।
निष्कर्ष:
शेखावाटी के मुस्लिम समाज को अब एक ठोस आत्ममंथन की ज़रूरत है। केवल धनबल, भौतिकता और दिखावे की संस्कृति से बाहर निकलकर नैतिकता, शिक्षा और व्यापारिक आत्मनिर्भरता की राह अपनानी होगी। मंचों पर उन्हीं को सम्मानित किया जाना चाहिए जो नैतिकता, शिक्षा और समाजसेवा के आदर्श बने हों। वर्ना यह पीढ़ी केवल भौतिक समृद्धि में उलझकर अपने भविष्य और मूल्यों दोनों को खो देगी।