हिज़्बुल्लाह के ड्रोन ने नेतन्याहू के बेडरूम को बनाया था निशाना, इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, तेल अवीव
इजरायल की सुरक्षा एजेंसियों, विशेष रूप से उसकी सेना और खुफिया एजेंसी मोसाद, ने वर्षों से अपनी उच्चस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था का दावा किया है. लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इन दावों की पोल खोल दी है. पिछले एक साल में कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे साबित होता है कि इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर खामियां हैं. इन खामियों के कारण कोई भी विद्रोही गुट इजरायली राष्ट्रपति के बेडरूम तक मिज़ाइल से हमला कर सकता है. इसी कड़ी में 7 अक्टूबर, 2023 को हुए हमास के हमले की तरह, लड़ाके न केवल इजरायल की सीमाओं में घुस सकते हैं बल्कि हजारों नागरिकों का अपहरण और बड़े पैमाने पर हिंसा कर सकते हैं.
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इसी बीच एक और बड़ा खुलासा सामने आया है. इजरायली सेना ने जानकारी दी है कि 7 ईरानी एजेंट, जो इजरायल की सेना के खिलाफ जासूसी कर रहे थे, को गिरफ्तार किया गया है. इन जासूसों ने इजरायल के खिलाफ लगभग 600 मिशन पूरे किए हैं. हैरानी की बात यह है कि इनमें से कई जासूस नाबालिग थे और आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. यह घटना यह भी दर्शाती है कि इजरायल में समृद्धि का दावा एक ढोंग हो सकता है.
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नेतन्याहू के घर पर हमला और सुरक्षा की विफलता
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के घर पर हाल ही में हिज़बुल्लाह द्वारा ड्रोन हमला किया गया. इस हमले में प्रधानमंत्री के बेडरूम की खिड़की को नुकसान पहुंचा. नेतन्याहू और उनकी पत्नी घटना के समय घर में मौजूद नहीं थे, जिससे उनकी जान बच गई. हिज़बुल्लाह ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए इसे नेतन्याहू को निशाना बनाकर किया गया ऑपरेशन बताया. यह हमला ईरान समर्थित गुटों द्वारा इजरायल के खिलाफ लगातार बढ़ते हमलों की एक कड़ी है.
इजरायली सेना ने बताया कि यह हमला लेबनान से किया गया था. तीन ड्रोन लॉन्च किए गए थे, जिनमें से दो को मार गिराया गया, लेकिन तीसरा ड्रोन इजरायली रडार से गायब हो गया और नेतन्याहू के घर पर गिरा। यह इजरायली चेतावनी प्रणाली की विफलता को उजागर करता है, क्योंकि इस घटना के समय कैसरिया में कोई भी चेतावनी सायरन नहीं बजा. यह घटना इजरायली सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है.
ईरान के लिए जासूसी करते हुए 7 गिरफ्तार
इजरायली सुरक्षा एजेंसियों ने 7 नागरिकों को ईरान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है. इन आरोपियों ने इजरायल की महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों और इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में जानकारी इकट्ठा की और उसे ईरान के एजेंटों को दिया.इस जासूसी नेटवर्क में 16-17 साल के दो नाबालिग भी शामिल हैं, जो आर्थिक तंगी के कारण इस काम में लिप्त हुए थे.
पुलिस के अनुसार, इन जासूसों ने इजरायल के विभिन्न सैन्य ठिकानों की तस्वीरें लीं और उन्हें ईरानी एजेंटों तक पहुंचाया. इसमें तेल अवीव के किर्या डिफेंस हेडक्वार्टर, नेवातिम एयरबेस, और रमत डेविड एयरबेस जैसी जगहों की जानकारी शामिल है.
चौंकाने वाली बात यह है कि इन जासूसों ने अपनी जासूसी की गतिविधियों के तहत उन जगहों की भी जानकारी जुटाई, जिन्हें हाल के संघर्षों के दौरान निशाना बनाया गया था. इन ठिकानों पर ईरानी मिसाइल हमले भी हो चुके हैं। उदाहरण के लिए, नेवातिम एयरबेस को दो ईरानी मिसाइल हमलों में निशाना बनाया गया, जबकि रमत डेविड एयरबेस पर हिज़बुल्लाह ने हमला किया था.
इजरायली सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि इन जासूसों ने आयरन डोम बैटरियों, बंदरगाहों और एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर की जानकारी भी इकट्ठा की, जिसमें हदेरा पावर प्लांट भी शामिल है. इनकी जानकारी से ईरान भविष्य में इजरायल पर अपने हमलों की सटीकता को और बढ़ा सकता है.
पैसे की तंगी से जासूस बने नागरिक
इजरायली अधिकारियों ने खुलासा किया कि गिरफ्तार किए गए जासूसों में से कई पैसे की तंगी से जूझ रहे थे और इसलिए उन्होंने ईरानी एजेंटों के निर्देशों पर काम करना शुरू किया. यह भी बताया गया कि उन्होंने तुर्की के एक मध्यस्थ के माध्यम से ईरानी एजेंटों के साथ संपर्क स्थापित किया था.
इजरायली खुफिया एजेंसी शिन बेट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “जांच के दौरान हमने बड़ी मात्रा में जानकारी और मटेरियल जब्त किया है, जिसे इन जासूसों ने ईरानी एजेंटों तक पहुंचाया था। इसमें इजरायल के रक्षा बलों के ठिकानों, बंदरगाहों, और एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर की तस्वीरें और वीडियो शामिल हैं.”
इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
इजरायली सुरक्षा एजेंसियों की इन विफलताओं ने न केवल इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि देश की अंदरूनी कमजोरियों को भी उजागर किया है. जिस तरह से हिज़बुल्लाह ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू के घर पर हमला किया और 7 जासूसों ने ईरान के लिए जासूसी की, यह दिखाता है कि इजरायल की सुरक्षा में गंभीर खामियां हैं. अगर इन घटनाओं पर जल्द ही कार्रवाई नहीं की गई, तो यह इजरायल की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है.