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मदरसा छात्रवृत्ति घोटाले पर हाईकोर्ट सख्त, मांगा जवाब,25 तक हलफ़नामा न देने पर निदेशक होंगें पेश 

एम मिश्र /लखनऊ.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मदरसा छात्रों से जुड़े करोड़ों रूपये के वजीफा घोटाले के लिये साल 2014 में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कड़ी नाराजगी जाहिर की- अदालत ने माइनोरिटी वेलफेयर के डायरेक्टर से पूछा है कि जांच मे दोषी पाए गए अफसरों से अभी तक वसूली क्यों नहीं की गई ? कोर्ट ने निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण से कहा है कि वह इसका हलफनामा दाखिल करें.  उसमें यह भी बताने को कहा है कि वसूली न करने के लिए जिम्मेदार अफसरों से क्यों न घोटाले की रकम की वसूली की जाए. कोर्ट ने मामले की अगली तारीख 25 जनवरी लगाते हुये कहा कि यदि तब तक शपथपत्र नहीँ आता है तो निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण को कोर्ट में हाजिर होना होगा.

मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति आलोक माथुर की खंडपीठ ने  यह आदेश इस्लामिक मदरसा मॉर्डनाइजेशन टीचर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. कोर्ट को जवाबी हलफनामे के जरिए बताया गया कि हाथरस के तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी बीपी सिंह ने छात्रों के फर्जी नाम से 24 करोड़ 92 लाख 76 हजार 312 रुपये के स्कॉलराशिप धनराशि की मांग की थी. यह भी बताया गया कि इस सम्बंध में सत्र 2011-12 व 2012-13 का कोई भी रिकॉर्ड कार्यालय में मौजूद नहीं है। मामले में बीपी सिंह के विरुद्ध एफआईआर दर्ज है। हालांकि, निदेशक द्वारा संस्तुति देने के बाद वर्ष 2019 में अभियोजन शुरू हो सका है. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि वह स्वयं इसमें शामिल हो अथवा उसके कार्यालय के स्टाफ ने संस्तुति सम्बंधी फ़ाइल दबा रखी हो.
कोर्ट को यह भी बताया गया कि दोषी पाए गए अधिकारी से 27 लाख 25 हजार रुपये वसूली की नोटिस भेजी गई थी। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वसूली पर रोक लगा दी. इस पर कोर्ट ने कहा कि मामला करोड़ों का है तो सिर्फ 27 लाख 25 हजार की वसूली का विवरण ही क्यों दिया गया. कोर्ट ने यह भी पूछा है कि वसूली न हो पाने के लिए कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं. मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी.