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Hijab Row मंगलवार सुबह 10: 30 बजे कर्नाटक हाई कोर्ट सुनाएगा फैसला, धारा 144 लागू,शिक्षण संस्थान भी बंद

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
कर्नाटक हाई कोर्ट की स्पेशल बेंच कल यानी 15 मार्च 2022 को सुबह 10.30 बजे हिजाब मामले में फैसला सुनाएगी. कोर्ट के इस फैसले पर देश भर की निगाहें टिकी हैं. बताते हैं कि कोर्ट का फैसला आने के बाद किसी तरह की कोई समस्या न खड़ी की जाए इसके मद्देनजर कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को प्रदेश के प्रमुख स्थानों पर धारा 144 लगा दी है और स्कूल-काॅलेज बंद रखने के आदेश दिए हैं.

इससे पहले, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर शुक्रवार, 25 फरवरी, 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

कर्नाटक हाई कोर्ट में हिजाब मामले की सुनवाई उस दिन दोपहर 2.30 बजे फिर से शुरू हुई. याचिकाकर्ताओं के वकील वाईएच मुछला ने तर्क दिया कि सिर का दुपट्टा चेहरे को नहीं बल्कि सिर को ढकने वाले कपड़े का एक टुकड़ा होता है, यह कहते हुए कि इसे इस्तेमाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

याचिकाकर्ताओं के वकील वाईएच मेवचाला ने कहा, ‘‘कॉलेज के लिए हमें ऐसा करने से रोकना सही नहीं है.‘‘ इसके बाद पीठ ने छात्रों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सभी वकीलों को शुक्रवार तक अपनी याचिकाएं पूरी करने को कहा गया. साथ ही कहा कि अगर याचिकाएं समाप्त हो जाती हैं तो फैसला सुरक्षित रखा जा सकता है.

इसी बीच गुरुवार (24 फरवरी, 2022) को सुनवाई के दसवें दिन तीन जजों की बेंच ने उन वकीलों की दलीलें सुनीं, जिन्होंने हिजाब के अधिकार पर जोर दिया था. वरिष्ठ वकील ए एम डार लड़कियों के वकील हैं. जिन लोगों को हिजाब पहनने के अधिकार से वंचित किया गया है, उन्होंने कुरान की आयतों का हवाला देते हुए एक व्यापक तर्क प्रस्तुत किया और कहा कि हिजाब मुस्लिम लड़कियों के लिए जीवन और मृत्यु का मामला है. उन्होंने पीठ के समक्ष दलील दी कि कक्षाओं में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के लिए उन्हें राज्य की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ सकता है.

बता दें कि उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज में शुरू हुआ हिजाब का विवाद राज्य में संकट में बदल गया है. मुस्लिम छात्रओं ने हिजाब के बिना कक्षाओं में भाग लेने से इनकार करते हुए कहा कि यह अंतिम है. निर्णय की प्रतीक्षा करेंगे. हालांकि हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए कक्षाओं के अंदर हिजाब और भगवा शॉल या स्कार्फ दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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