हिंदुत्वादी नेताओं के कारण अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की फजीहत
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
लगता है हिंदुत्वादी सोंच रखने वालों ने भारत की छवि पर बट्टा लगाने की सूपारी ले रखी है. इस चक्कर में वो इतने अंधे हो चुके हैं कि उनकी हरकतों के कारण भारत को बार-बार शर्मिंदगी उठानी पड रही है.
कोरोना संक्रमण की शुरूआती दौर में सोची-समझी रणनीति के तहत तब्लीगी जमात को निशाना बनान के कारण अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को फजीहतज झेलनी पड़ी थी. अब हरिद्वारा के धर्मसंसद में कुछ हिंदुत्वादी नेताओं द्वारा मुसलमानों के बारे में अंड-बंड बकने से पाकिस्तान जैसे उन मुल्कों को भारत के खिलाफ मुंह खोलने का मौका मिल गया है, जिनके यहां अल्पसंख्यकांे की बदतर हालत है. कई अंतरराष्ट्रीय संगठन प्रत्येक वर्ष करीब एक हजार अल्पसंख्यक कमसिन बच्चियों को जबरन धर्मपरिवर्तन कराने के मामले में पाकिस्तान को चेतावनी दे चुका है.अब वही देश भारत को नसीहत दे रहा है.
गत दिनों हरिद्वार के धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ ‘हेट स्पीच’ देने पर पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायोग के अधिकारी को तलब कर विरोध और चिंता प्रकट किया है.
इस्लामाबाद में भारत के उच्चायोग के अधिकारी एम सुरेश कुमार को सोमवार की दोपहर पाकिस्तानी अधिकारियों ने तलब किया.इस दौरान उनसे हरिद्वार में तीन दिवसीय ‘धार्मिक सभा‘ में हिंदुत्ववादी नेताओं द्वारा मुसलामनों के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर अपनी ‘गंभीर चिंता‘ व्यक्त की.
भारत के प्रभारी एम सुरेश कुमार को सोमवार दोपहर पाकिस्तानी अधिकारियों ने तलब किया था. बता दें कि हिंदुत्वादी नेताओं ने अपने भाषणों में मुसलमानों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हिंसक हमलों का आह्वान किया था.
एक आधिकारिक बयान में, पाकिस्तान मंत्रालय ने कहा, ‘‘आज, भारतीय प्रभारी को विदेश मंत्रालय, इस्लामाबाद में तलब किया गया और व्यापक रूप से भारत सरकार को पाकिस्तान सरकार की गंभीर चिंताओं से अवगत कराया गया.
बता दें कि पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय भारत के खिलाफ अक्सर आलोचनात्मक बयान देता रहता है, लेकिन भारतीय राजनयिक को बुलाना दुर्लभ था. हालांकि भारत भी विभिन्न मुद्दों पर पाकिस्तान के राजनयिकों को तलब करता रहा है.
अपने बयान में, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ जहरीली बयानबाजी … एक आदर्श बन गई है.‘‘ इसमें कहा गया है कि देश को उम्मीद है कि भारत नफरत भरे भाषणों की जांच शुरू करेगा और यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय करेगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.
धर्म संसद- एक नफरत सम्मेलन
हिंदुत्व के ध्वजवाहक और नफरत फैलाने वाले यती नरसिंहानंद द्वारा आयोजित तीन दिवसीय हेट कॉन्क्लेव के वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद भारत में आक्रोश फैल गया. उत्तराखंड के हरिद्वार में 17-19 दिसंबर के बीच आयोजित ‘‘धर्म संसद‘‘ में हिंदुत्ववादी नेताओं ने अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों और उनके धार्मिक स्थलों पर हमला करने के लिए ‘शास्त्र मेव जायते‘ के नारे के साथ आह्वान किया गया था.
सम्मेलन को कई प्रमुख हिंदुत्व नेताओं ने संबोधित किया और भड़काऊ टिप्पणी की थी. मुसलमानों के खिलाफ खुले नरसंहार का आह्वान किया गया था.
आक्रोश के बाद, अभद्र भाषा के संबंध में कुछ के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. स्वामी धर्मदास और साध्वी अन्नपूर्णा, जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी) के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है.
प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) आईपीसी की धारा 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.हालांकि अभी तक किसी को पुलिस की ओर से तलब नहीं किया गया है.उधर, कई विपक्षी नेताओं ने हेट स्पीच के खिलाफ अपनी राय रखी है, लेकिन सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक निंदा नहीं की गई है.
डरने की जरूरत नहीं: सरेशवाला
इस बीच, पीएम मोदी के करीबी माने जाने वाले तथा मौलाजा आजाद उर्दू यूनिवर्सिटी के चांसलर रहे जफर सरेशवाला ने एक वेबिनार में कहा कि मुसलमानों को इनसे डरने की जरूरत नहीं. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग शेर की सवारी जारी रखने के लिए तरह-तरह की हरतकें कर रहे हैं, पर उन्हें पता नहीं कि एक दिन उन्हें शेर अपनी पीठ से उठाकर दूर फूंक देगा. उन्होंने कहा कि पहले मुसलमानों को भड़का कर वे अपना उल्लू सीध किया करते थे. जब से मुसलमानों ने ऐसे लोगों पर प्रतिक्रिया देना बंद किया है, वे पगला गए हैं. उन्हांेने कहा कि जिस तरह आतंकवाद से मुसलमान लड़ रहे हैं एक दिन ऐसे लोगों से हिंदुओं को निपटना पड़ेगा.