समान नागरिक संहिता और वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
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आईयूएमएल राष्ट्रीय मुख्यालय अब दिल्ली में होगा स्थानांतरित
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,तिरुचि
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने उत्तराखंड में लागू किए गए समान नागरिक संहिता (UCC) और केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का ऐलान किया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. के.एम. कादिर मोहिउद्दीन ने तिरुचि में आयोजित एक प्रेस वार्ता में यह घोषणा की।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में लागू की गई समान नागरिक संहिता भेदभावपूर्ण है क्योंकि यह राज्य की 40% से अधिक पहाड़ी जातियों पर लागू नहीं होती, बल्कि केवल अन्य समुदायों के लिए प्रभावी की गई है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग इस कानून को संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ मानती है और इसे चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
इसके अलावा, वक्फ संशोधन विधेयक पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रो. कादिर मोहिउद्दीन ने कहा कि यह एक संशोधन कानून नहीं, बल्कि वक्फ संपत्तियों को खत्म करने का षड्यंत्र है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस विधेयक में 44 संशोधन किए गए हैं, जो वक्फ संपत्तियों की संरक्षा और प्रबंधन को कमजोर करने के लिए बनाए गए हैं।
समान नागरिक संहिता: केवल नाम समान, असल में भेदभावपूर्ण?
आईयूएमएल ने उत्तराखंड सरकार पर लगाया दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप
27 जनवरी 2024 से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू की गई, लेकिन आईयूएमएल का आरोप है कि यह “समान” नहीं बल्कि एकतरफा कानून है।
प्रो. मोहिउद्दीन ने कहा:
“इस कानून का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करना बताया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि यह उत्तराखंड की 40% पहाड़ी जातियों पर लागू नहीं होगा, जबकि अन्य समुदायों को इसके दायरे में रखा गया है। यह साफ तौर पर संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) के खिलाफ है।”
आईयूएमएल का कहना है कि इस कानून के नाम पर मुस्लिम पर्सनल लॉ, हिंदू संयुक्त परिवार व्यवस्था और अन्य परंपरागत कानूनों को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। पार्टी ने इसे मुस्लिम, सिख, ईसाई और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन बताया।
वक्फ संशोधन विधेयक: क्या सरकार वक्फ संपत्तियों को खत्म करना चाहती है?
प्रो. मोहिउद्दीन ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भी केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को “वक्फ संपत्तियों को खत्म करने का प्रयास” बताया और कहा कि यह संविधान के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने लोकसभा में 44 संशोधन पेश किए, जिनका मकसद वक्फ बोर्ड की शक्ति को कम करना है। उन्होंने कहा:
“यह विधेयक वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने और उन्हें गैर-वक्फ संस्थानों को सौंपने की साजिश है। अगर यह कानून लागू होता है, तो भारत में लाखों वक्फ संपत्तियां खतरे में पड़ जाएंगी।”
आईयूएमएल प्रमुख ने कहा कि डीएमके, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने भी इस विधेयक का लोकसभा में कड़ा विरोध किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने विपक्ष की किसी भी सिफारिश को स्वीकार नहीं किया।
आईयूएमएल का राष्ट्रीय मुख्यालय अब दिल्ली में होगा
प्रो. मोहिउद्दीन ने प्रेस वार्ता में एक और अहम घोषणा की कि आईयूएमएल का राष्ट्रीय मुख्यालय अब चेन्नई से दिल्ली स्थानांतरित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि:
“10 मार्च 1948 से पार्टी का मुख्यालय 36, मरकियार लीबाई स्ट्रीट, मन्नार, चेन्नई में स्थित था। लेकिन अब राष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रभावी काम करने के लिए इसे दिल्ली स्थानांतरित किया जाएगा।”
आईयूएमएल का सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान: क्या होगा अगला कदम?
प्रो. मोहिउद्दीन ने स्पष्ट किया कि पार्टी शीघ्र ही सुप्रीम कोर्ट में दोनों मुद्दों पर याचिका दायर करेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि:
- समान नागरिक संहिता को अदालत में चुनौती दी जाएगी क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 25, और 26 का उल्लंघन करता है।
- वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ भी संवैधानिक प्रावधानों के तहत कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।
- देशभर में अल्पसंख्यक समुदायों के नेताओं से बातचीत कर एक व्यापक रणनीति तैयार की जाएगी।
बैठक में मौजूद प्रमुख नेता
इस प्रेस वार्ता में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए, जिनमें शामिल हैं:
- के.ए. एम. मुहम्मद अबू बकर (राज्य महासचिव)
- एम.एस.ए. शाहजहां (राज्य कोषाध्यक्ष)
- मो. अब्दुल रहमान (प्रदेश उपाध्यक्ष)
- अब्दुल बासित (राज्य सचिव)
- वी.एम. फारूक (राज्य उप सचिव)
- के.एम. हबीब-उर-रहमान (त्रिची दक्षिण जिला अध्यक्ष)
- सैयद हकीम (दक्षिण जिला सचिव)
- निजामुद्दीन (उत्तर जिला सचिव)
- अंसार अली (राज्य छात्र संघ अध्यक्ष)
निष्कर्ष: आईयूएमएल की कानूनी लड़ाई और भविष्य की रणनीति
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग समान नागरिक संहिता और वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ एक व्यापक कानूनी और राजनीतिक रणनीति बनाने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के अलावा, पार्टी अन्य विपक्षी दलों और नागरिक संगठनों को भी इस मुहिम में शामिल करने का प्रयास करेगी।
आने वाले महीनों में इस मुद्दे पर देशभर में बड़े विरोध प्रदर्शन और जनसभाएं भी आयोजित की जा सकती हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है और सरकार इन आलोचनाओं का किस तरह जवाब देती है।