हिजाब विवाद पर ईरान की सफाई, बताया इसके पीछे पाकिस्तान, इजराइल और अमेरिका
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
देश में चल रहे हिजाब विवाद में ईरान का मामला भी शामिल हो गया है, जिसमें एक नया मोड़ आ गया है. ईरान के हिजाब विवाद की तस्वीर भारतीय अदालतों और हिजाब में पेश किए जाने पर ईरान ने आपत्ति जताई है. विपक्ष के उदाहरण के रूप में इस्तेमाल किया जाना पूरी तरह से गलत है. ईरान इस मामले को भारत सरकार के साथ राजनयिक स्तर पर उठाएगा. भारत में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई के प्रतिनिधि मेहदी महदवीपुर ने दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए यह बात की.
महदवीपुर ने कहा, इस्लामी गणतंत्र ईरान में हिजाब का विरोध हो रहा है, जो पूरी तरह से गलत है. ईरान के सब लोग हिजाब पहनते हैं और इसका समर्थन करते हैं.
महदवीपुर ने कहा कि हिजाब को लेकर भारत में चल रहा विवाद भारत का आंतरिक मामला है. इसमें हम दखल नहीं देंगे. यहां के लोगों को अपना फैसला खुद लेना है, लेकिन ईरान का हवाला देकर हिजाब के विरोध की बात करना गलत है. हम भारत सरकार के सामने हिजाब के विरोध में इस्लामिक देश ईरान की छवि को राजनयिक स्तर पर पेश करने का मुद्दा उठाएंगे. हमने ईरान में भारत के राजदूत से बात की है. इस मुद्दे को राजनयिक स्तर पर उठाया जाएगा.
हिजाब विवाद भारत का अंदरूनी मामला
मेहदी महदवीपुर ने कहा कि हम भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि हर देश की अपनी संस्कृति और विभिन्न प्रकार के कानून हैं. इस्लाम में हिजाब जरूरी है. यह 1400 साल से सुना गया है. कोई शिया विद्वान विरोध नहीं करते हैं. ईरान में कानूनी तौर पर हिजाब पहनना अनिवार्य है, लेकिन हिजाब न पहनने पर कोई सजा या जुर्माना नहीं है. केवल परामर्श दिया जाता है. हिजाब न पहनने पर सजा का एक भी मामला नहीं है, लेकिन कुछ जगहों पर बिना हिजाब के प्रवेश निषिद्ध है.
महसा अमिनी की मौत पर ईरान का स्पष्टीकरण
ईरान में हिजाब के विरोध का चेहरा बनी मेहसा अमिनी पर ईरान ने कहा कि मेहसा अमिनी की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. वह पहले भी कई अॉपरेशन करवा चुकी थी. एक सिर का भी अॉपरेशन हुआ था. मेहसा के माता-पिता ने स्वीकार किया है कि उसे प्रताड़ित नहीं किया गया. पुलिस ने देखा, उसके कपड़े सही नहीं थे. उसे एक परामर्श केंद्र ले जाया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई. आठ साल की उम्र में उसका अॉपरेशन किया गया था. उसकी मौत सिर्फ एक दुर्घटना है.
मेहदी महदवीपुर ने कहा कि हिजाब के खिलाफ प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में नहीं हैं. लाखों लोगों ने हिजाब के समर्थन में प्रदर्शन किया, लेकिन इसे मीडिया स्तर पर नहीं दिखाया गया. 100 से 200 और दो से चार हजार प्रदर्शनकारी हिजाब के खिलाफ एकत्र हुए लेकिन इसे खूब कवरेज किया गया. प्रदर्शनकारियों के नेताओं ने हिंसा का सहारा लिया. थाने में आग लगाई. 100 बैंक जलाए गए. हिंसा में शामिल नेताओं को गिरफ्तार किया गया है. सच्चाई यह है कि हिंसा के पीछे अमेरिका, पाकिस्तान, इजराइल और पश्चिमी देश हैं. पाकिस्तान के साथ सीमा क्षेत्र में जैश अदल नामक एक संगठन उभरा है. अमेरिका और पाकिस्तान इस संगठन के पीछे है. पाकिस्तान का अपने आतंकवादी संगठनों पर कोई नियंत्रण नहीं है. दुर्भाग्य से, पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल हिंसक आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है. ईरान ने इस मुद्दे को पाकिस्तानी सरकार के सामने उठाया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
इराक के सीमा क्षेत्र में अलगाववादी समूह का समर्थन करते हैं अमेरिका और इजरायल. इराक में अमेरिका ने हिज्ब अल-खामली को प्रशिक्षण दिया और इजरायल ने मदद की.
मेहदी महदवीपुर ने कहा कि हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के पीछे अमेरिका और पश्चिमी देशों का प्रचार है. ये लोग बहाना ढूंढ रहे थे और अब इसके बारे में प्रचार कर रहे हैं. जो हो रहा है वह एक सोची-समझी साजिश है. मेहदी महदवीपुर ंने कहा कि लोग ईरान में प्रदर्शन कर सकते हैं,पर दंगे नहीं. उन्हें गिरफ्तार किया गया है और जांच की जा रही है. अब स्थिति शांतिपूर्ण और नियंत्रण में है, लेकिन ईरान में कुछ लोग ईरानी क्रांति के समय से पश्चिमी संस्कृति के समर्थक रहे है. वे इन विरोधों में भाग लेते हैं. 1982 के जनमत संग्रह में 98 प्रतिशत लोगों ने ईरान में इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था का समर्थन किया था और लोग अब भी करते हैं.