Irrfan Khan मौत के पांच महीने बाद तसलीमा नसरीन ने दफ़नाने का किया विरोध, बोलीं–डेडबॉडी मेडिकल छात्रों को दान कर देना चाहिए था
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तब से आज तक दफ़नाने पर न उनकी पत्नी तथा दो बेटों ने जताया ऐतराज और न ही रिश्तेदार-दोस्तों ने
अभिनेता इरफान खान की मौत के पांच महीने बाद इस्लाम विरोधी बांग्लादेशी साहित्यकार तसलीमा नसरीन (Taslima Nasreen) ने उन्हें दफ़नाने के फैसले का विरोध किया है। तसलीमा का कहना है कि इरफान पक्के मुसलमान नहीं थे, इसलिए उन्हें इस्लामिक कब्रिस्तान में दफनाना सही नहीं। इसके बजाए उनकी डेडबॉडी मेडिकल छात्रों के परीक्षण के लिए दे देनी चाहिए थी।
इरफान खान की मृत्यु के इतने दिनों बाद तसलीमा का उनके दफ़नाने पर ऐतराज करना लोगों को रास नहीं आ रहा। इसलिए उन्हें खूब बुरा- भला कहा जा रहा। इरफान खान की मौत कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लंबे समय तक लड़ते हुए 20 अप्रैल 20 को हुई थी। चूंकि उस समय कोरोना वायरस के फैलाव का शुरूआती दौर था। इसलिए मृत्यु के कुछ घंटे बाद ही उन्हें मुंबई के एक कब्रिस्तान में मुस्लिम रीरिवाज के साथ दफन कर दिया गया था। इस मौके पर उनके परिवार एवं कुछ करीबी दोस्त ही मौजूद थे। तब से लेकर आज तक उनके दफ़नाने पर न तो उनकी पत्नी सुतापा सिकदर तथा दो बेटों बाबिल व आयान ने ऐतराज जताया और न ही किसी रिश्तेदार-दोस्त ने। मगर तसलीमा नसरीन इस मुद्दे को लेकर अचानक कूद पड़ी हैं।
इरफान ने कभी नहीं कहा कि वह मुसलमान नहीं
इरफान की पैदाईश टोंक के एक मुस्लिम घराने में हुई थी। फिल्मी कॅरियर अपनाने के बाद वह आम मुसलमानों की तरह रोजा, नमाज के पाबंद नहीं रहे। यहां तक कि उन्हें कुछ इस्लामिक उसूलों से असहमति भी थी। बावजूद इसके उन्होंने खुद को मुसलमान होने से कभी इनकार नहीं किया। मगर अपने इस्लाम विरोधी नज़रिया के कारण बांग्लादेश से निकाली गईं तसलीमा नसरीन को लगता है कि इरफान आम मुसलमानों जैसे रोजा-नमाज के पाबंद नहीं थे, इसलिए उन्हें दफनाना नहीं चाहिए था। तसलीमा ने इरफान खान की कब्र पर लगी तख्ती सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा है-‘‘अभिनेता इरफान खान की कब्र ! वह प्रैक्टिकल मुसलमान नहीं थे, लेकिन उन्हें मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाया गया। कब्र पर लगी तख्ती काफी इस्लामिक लग रही है। गैर धार्मिक व्यक्ति का अंतिम संस्कार धार्मिक नहीं होता। मानवतावादी संस्कार होता है। अच्छा होता यदि शव चिकित्सा विज्ञान के लिए दान कर दिया जाता।’’ इरफान ने मरते दम तक अपने मुसलमान नहीं होने की बात न कही हो, पर तस्लीमा ने उन्हंे
एक तरह से नास्तिक घोषित कर दिया।
दफ़नाने का विरोध करने पर तसलीमा की घेराबंदी
तसलीमा के ऐसे ‘बेहूदा’ विचारों से लोग बेहद नाराज़ हैं। सोशल मीडिया पर उनकी जमकर आलोचना हो रही है। एसके वर्मा ने आपत्ति जताते हुए कहा-‘‘यह बहुत कठोर एवं अपमान जनक शब्द है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह पाबंदी से रोजा-नमाज करने वाले मुसलमान थे या नहीं। अगर उनका अंतिम संस्कार इस्लामी तरीके से किया जाता है, तो किसी को इसकी निंदा करने का अधिकार नहीं। वह एक मुसलमान थे। उनका जन्म मुसलमान घर में हुआ था।’’
इस मुद्दे पर शक्तिधर्म की प्रतिक्रिया थी-‘‘ मृत्यु अंतिम है। हमें टिप्पणी नहीं करनी चाहिए कि किसी का अंतिम संस्कार कैसे किया गया।’’
बहुत सारे लोगों ने तसलीमा नसरीन की आलोचना करते हुए कहा कि इरफान के दफ़नाने का मामला पारिवारिक फैसला है। हम कौन हैं इसपर टिका-टिप्पणी करने वाले। वैभव कुमार गौतम ने तसलीमा की समझदारी पर सवाल उठाते हुए लिखा-‘‘इरफान की मृत्यु कैंसर जैसे गंभीर बीमारी से हुई। उनका शव मेडिकल परीक्षण के लायक था, मुझे संदेह है।’’ चूंकि उनकी मृत्यु कोरोना काल में हुई थी, इसलिए भी शव को अधिक दिनों तक रखना गैरमुनासिब था।
इरफान खान का संक्षिप्त जीवन परिचयः-
इरफान खान भारतीय फिल्म अभिनेता हैं और वे बॉलीवुड में अपने दमदार अभिनय के लिए जाने जाते हैं । वे अपने हॉलीवुड फिल्मों में किए गए कामों की वजह से भी जाने जाते हैं । उन्हें तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका हैा उन्हें पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा जा चुका हैा दर्शक ऐसा मानते हैं कि वे अपनी आंखों से ही पूरा अभिनय कर देते हैं और यही उनकी विशेषता भी हैा वे लीक से हटकर फिल्में करने की वजह से मशहूर हैं।
पृष्ठभूमि– इरफान खान का जन्म एक मुस्लिम परिवार में टोंक में हुआ था।
पढ़ाई- इरफान जब एम.ए. की पढ़ाई कर रहे थे तभी उन्हें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में पढ़ाई के लिए स्कालरशिप प्राप्त हुई थीा
शादी– इरफान की शादी सुतापा सिकदर से हुई जिनसे उन्हें दो बच्चे हैं- बाबिल और अयान।
इरफ़ान खान की फिल्मोग्राफी
करियर- उनके करियर की शुरूआत टेलीविजन सीरियल्स से हुई थीा अपने शुरूआती दिनों में वे चाणक्य, भारत एक खोज, चंद्रकांता जैसे धारावाहिकों में दिखाई दिए। उनके फिल्मी करियर की शुरूआत फिल्म ‘सलाम बाम्बे’ से एक छोटे से रोल के साथ हुईा इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में छोटे बड़े रोल किए लेकिन असली पहचान उन्हें ‘मकबूल’, ‘रोग’, ‘लाइफ इन अ मेट्रो’, ‘स्लमडॉग मिलेनियर’, ‘पान सिंह तोमर’, ‘द लंचबाक्स’ , ‘हिंदी मीडियम’ जैसी फिल्मों से मिली।
इरफ़ान की हालिया रिलीज़ फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ है। कैंसर के इलाज के दौरान ही इरफ़ान ने इस फिल्म की शूटिंग की थी।
मृत्यु- इरफ़ान की मृत्यु 29 अप्रैल 2020 को कोकिलाबेन अस्पताल, मुंबई में, कैंसर के इलाज के दौरान, कोलन इन्फेक्शन से हुई।
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संपादक