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शाहरुख खान क्या वास्तव में इंडियन सिनेमा के टॉम क्रूज हैं ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

25 जनवरी को रिलीज हुई सुपरस्टार शाहरुख खान की फिल्म पठान ने न केवल घरेलू बाजार में बल्कि विदेशों में भी बॉक्स अॉफिस पर तूफान ला दिया है. जैसे ही फिल्म सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है, एक अमेरिकी पत्रकार ने सुपरस्टार की तुलना हॉलीवुड अभिनेता टॉम क्रूज से कर दी.

सिद्धार्थ आनंद के निर्देशन में बनी यह फिल्म सुपरस्टार शाहरुख खान की वापसी का प्रतीक है, जिनकी आखिरी फिल्म जीरो 2018 में रिलीज हुई थी. फिल्म के पहले दिन से ही इस फिल्म को दर्शकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है.

अमेरिकी पत्रकार और आलोचक, स्कॉट मेंडेलसन ने अपने ट्विटर हैंडल पर ’इंडियाज टॉम क्रूज, शाहरुख खान मे हैव जस्ट सेव्ड बॉलीवुड विद हिज ब्लॉकबस्टर पठान’ शीर्षक से एक लेख साझा किया, जो वेबसाइट ‘द रैप’ ने प्रकाशित किया है. उन्होंने लेख में एक जगह लिखा है- कैसे शाहरुख की वापसी वाली फिल्म एक कमजोर अवधि के बाद हिंदी फिल्म उद्योग को पुनर्जीवित कर रही है. अभिनेता चार साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी कर रहे हैं.

मगर सुपरस्टार किंग खान के कई प्रशंसकों ने यह बात पसंद नहीं आई. उन्होंने अमेरिकी पत्रकार को लेख में सुधार का सुझाव दिया है. ‘द टॉप गन’ फिल्म के हीरो टॉम क्रूज को लेकर किंग खान के प्रशंसकों ने ट्विटर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उनके कई प्रशंसकों को लगता है कि लेखक ने सुपरस्टार का अपमान करने के लिए उनकी तुलना एक्शन स्टार टॉम क्रूज से की है.

एक यूजर ने दावा किया, सुपरस्टार शाहरूख खान भारतीय टॉम क्रूज नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय खजाने हैं, वह अपनी फिल्मों से परे एक व्यक्ति हैं.जबकि एक अन्य ने कहा, आपने अपने लेखक में एक भावनात्मक गलती की है. शाहरुख खान इमोशन हैं. वह श्रेष्ठ में श्रेष्ठ है, श्रेष्ठ में श्रेष्ठ है. हालांकि मैं टॉम को पसंद करता हूं, लेकिन अगर आप उन्हें अमेरिका के शाहरुख खान के रूप में संबोधित करेंगे तो मुझे बिल्कुल भी आपत्ति नहीं होगी.

हालांकि शाहरूख की तुलना टॉम क्रूज से करना बेमानी है. शाहरूख खान ने पहली बार इतनी बड़ी ब्लॉक बस्टर दी है, जबकि टॉम क्रूज न केवल दुनिया के चुनिंदा एक्शन हीरो में से एक हैं, बल्कि उन्होंने मेगाफिल्मों की झड़ी सी लगा रखी है. टॉम की कई फिल्में तो जेम्स बांड सीरिज की कई फिल्मों को मात देने वाली रही हैं.

रही बात पठान से बदहाल होते बॉलीवुड को आॅक्सीजन मिलने की तो यह भी गलत है. शाहरूख खान की इस फिल्म ने छोटे निर्माताओं के लिए परेशानी खड़ी कर दी है. हर निर्माता ढाई-तीन सौ करोड़ रूपये खर्च करने का माददा नहीं रखता. ऐसे में जब बड़े बजट की फिल्में नहीं आएंगी तो दर्शक सिनेमाघरों में कैसे जुटेंगे.