इज़राइल-लेबनान तनाव: इज़राइली सेना के पिछले महीने 50 से ज़्यादा ‘आतंकवादी ठिकानों’ पर हमले, दक्षिण बेरूत पर कार्रवाई
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यरूशलेम/बेरूत
इज़राइली सेना ने सोमवार को घोषणा की कि उसने पिछले महीने लेबनान में 50 से अधिक “आतंकवादी ठिकानों” को निशाना बनाया है। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब नवंबर 2024 के युद्धविराम के बावजूद इज़राइल और हिज़बुल्लाह के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। रविवार को इज़राइली बलों ने तीसरी बार दक्षिण बेरूत पर हमला किया, जिससे क्षेत्र में अशांति और गहरी हो गई है।
पृष्ठभूमि: युद्धविराम के बावजूद जारी संघर्ष
27 नवंबर 2024 को लागू हुए युद्धविराम का उद्देश्य इज़राइल और हिज़बुल्लाह के बीच लगभग एक साल से जारी सशस्त्र संघर्ष को समाप्त करना था। समझौते के तहत हिज़बुल्लाह को अपने लड़ाकों को लिटानी नदी के उत्तर में हटाना था, जो इज़राइली सीमा से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। साथ ही, उसे दक्षिणी लेबनान में अपने सभी सैन्य ढांचों को ध्वस्त करना था। दूसरी ओर, इज़राइल को भी अपनी सेनाओं को दक्षिण लेबनान से पूरी तरह वापस बुलाने की शर्त थी, लेकिन इज़राइल ने पांच ऐसे क्षेत्रों में अपनी सैन्य मौजूदगी बनाए रखी है, जिन्हें वह “रणनीतिक” महत्व का मानता है।
हालांकि, समझौते के बावजूद दोनों पक्षों के बीच छिटपुट संघर्ष और हवाई हमले जारी रहे हैं। इज़राइली सेना ने आरोप लगाया है कि हिज़बुल्लाह ने युद्धविराम का उल्लंघन करते हुए अपनी गतिविधियों को जारी रखा और इज़राइली नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डाला।
इज़राइली सेना का बयान और हालिया हमले
इज़राइली डिफेंस फोर्स (IDF) ने एक आधिकारिक बयान में कहा,
“पिछले महीने में, आईडीएफ ने लेबनान में 50 से अधिक आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाते हुए हमले किए हैं। ये हमले युद्धविराम और समझौतों के उल्लंघन की प्रतिक्रिया में किए गए हैं, जो इज़राइली राज्य और नागरिकों के लिए खतरा बन गए थे।”
रविवार को किए गए हमले में, इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय के अनुसार, एक ऐसी इमारत को निशाना बनाया गया जहां हिज़बुल्लाह कथित तौर पर “सटीक-निर्देशित मिसाइलें” संग्रहीत कर रहा था। नेतन्याहू ने दोहराया कि इज़राइल हिज़बुल्लाह को बेरूत के दक्षिणी उपनगरों को “सुरक्षित पनाहगाह” के रूप में इस्तेमाल करने से रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।
हिज़बुल्लाह की प्रतिक्रिया: हमला ‘राजनीतिक उद्देश्य’ से प्रेरित
हिज़बुल्लाह के वरिष्ठ नेता नईम क़ासिम ने सोमवार को एक सार्वजनिक संबोधन में इज़राइली हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा,
“यह हमला पूरी तरह से राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया गया है। इसका कोई सैन्य औचित्य नहीं है। इज़राइल बलपूर्वक क्षेत्रीय नियमों को बदलने की कोशिश कर रहा है।”
क़ासिम ने आगे कहा कि हिज़बुल्लाह किसी भी उकसावे का जवाब देगा और लेबनानी संप्रभुता की रक्षा करेगा।
दक्षिण बेरूत में हालात और नागरिक जीवन
रविवार के हमलों के बाद दक्षिण बेरूत के इलाकों में तनाव व्याप्त है। विस्फोटों के बाद धुएं के गुबार आसमान में फैल गए और कई इलाकों में नागरिकों को अपने घर छोड़ने के आदेश दिए गए। बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में भारी सैन्य उपस्थिति देखी जा रही है और कई सड़कों को बंद कर दिया गया है। स्थानीय नागरिकों में भय और असुरक्षा की भावना गहरी होती जा रही है।
लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने भी अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग करते हुए फ्रांस और अमेरिका जैसे गारंटर देशों से युद्धविराम का पालन सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।
भविष्य की राह: बढ़ती अनिश्चितता
इस्राइल और हिज़बुल्लाह के बीच तनाव का बढ़ना न केवल लेबनान और इस्राइल के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। युद्धविराम के बाद भी दोनों पक्षों द्वारा सैन्य कार्रवाई से शांति प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह टकराव इसी तरह जारी रहा, तो इससे क्षेत्रीय स्थिरता बुरी तरह प्रभावित हो सकती है और एक और बड़े पैमाने पर संघर्ष की आशंका बढ़ सकती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है ताकि दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाया जा सके और स्थायी समाधान की दिशा में काम किया जा सके।