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जगमोहन ने कश्मीरी पंडितो को बनाया था मोहराः 1990 का पत्र कश्मीर फाइल्स पर हंगामे के बीच ऑनलाइन

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

कुछ राजनीतिक एवं तथाकथित राष्ट्रवादी संगठन अपने बुरे दिन को दबाने के लिए कश्मीर फाइल्स के जरिए कश्मीरी पंडितों के विरोध दूसरी ओर करने के प्रयास में. इसके लिए विवादास्पद फिल्म के निर्माण में न केवल पर्दे के पीछे से मदद की गई अब उसके प्रचार-प्रसार में खुल्ल्म-खुल्ला लगे हैं. मगर विवादित फिल्म कश्मीर फाइल्स में दिखाए गए कश्मीरी पंडितों के पलायन की “अतिरंजित और एकतरफा कहानी“ का पर्दाफाश तब हो जाता है
जब 19 सितंबर 1990 को एक पत्र में दावा किया गया कि कुछ कश्मीरी नेताओं और तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन के साथ “नाटक का मंचन भाजपा-आरएसएस द्वारा किया गया है.’’

19 मार्च के संस्करण में अलसाफा अखबार में प्रकाशित पत्र (स्क्रीनशॉट इनसेट) के अनुसार, भारत सरकार ने “कश्मीरी मुसलमानों के एक बड़े वर्ग, विशेष रूप से 14 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों का नरसंहार करने की योजना बनाई थी. ऑनलाइन सामने आया यह पत्र कश्मीर के मुसलमानों को 23 प्रमुख कश्मीरी पंडितों द्वारा संबोधित किया गया है

पत्र की शुरुआत यह स्वीकार करने से होती है कि पंडित समुदाय को जगमोहन, उनके समुदाय के कुछ स्वयंभू नेताओं और अन्य निहित स्वार्थों द्वारा ’बलि का बकरा’ बनाया गया. लेखक उनके पलायन को ’राज्य प्रशासन की मिलीभगत ’ का नाटक करार देते हैं.

इस बारे में मिरर डाॅट काॅम में एक रिपोर्ट छपी है. इसके मुताबिक,पत्र में लिखा है, “इस नाटक का मंचन बीजेपी, आरएसएस जैसे हिंदू सांप्रदायिक संगठनों ने किया था और मुख्य किरदार आडवाणी, वाजपेयी, मुफ्ती और जगमोहन ने निभाए थे.राज्य प्रशासन को एक जोकर की भूमिका निभाने के लिए बनाया गया था.“

पत्र में यह भी कहा गया है कि कश्मीर में राजनीतिक संघर्ष को दक्षिणपंथी हिंदू दलों द्वारा सांप्रदायिक रंग दिया गया और इस तरह पंडितों को घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया.
पत्र में कहा गया है,“हम कश्मीरी मुसलमानों के साथ सब कुछ साझा करते हैं. हमारा इतिहास, संस्कृति, लोकाचार, परंपराएं, रीति-रिवाज और भाषा आम है. ”

प्रतिनिधियों ने पत्र में कश्मीरी मुसलमानों से “विश्वासघात“ के लिए उन्हें माफ करने और उन्हें लौटने की अनुमति देने की अपील की थी. उन्होंने यह भी कहा कि वे भारतीय बलों द्वारा कश्मीरी मुसलमानों पर किए जा रहे “अत्याचारों“ की निंदा करते हैं.पत्र में, केपी प्रतिनिधियों ने दुनिया और संयुक्त राष्ट्र से भारत को कश्मीरियों के खिलाफ “अत्याचार“ करने से रोकने की अपील की थी.

पत्र में यह भी कहा गया, “हम यूएनओ से भी भारत को मजबूर करने और कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार देने और जम्मू और कश्मीर राज्य में जनमत संग्रह कराने के लिए 1948 में पारित प्रस्तावों को लागू करने की अपील करते हैं.“

पत्र पर बृजनाथ भान, एमएल धर, के.एल. काव, कन्या लाल रैना, जी.एन. दफ्तरी, मोती लाल मैम, सीएल काक, चुन्नी लाल रैना, एमएल मुंशी, बीएन गुंजू, अशोक कौल, सीएल परिमू, पुष्कर नाथ भट, प्रेम नाथ खेर, आरके कौल, एमएल राजदान, पुष्कर नाथ कौल, बी.एन. भट, मोती लाल कौल, अशोक धर, कमल रैना, एच. कौल और एस.एन. धार एंड के हस्ताक्षर हैं.
इस बीच, कई कश्मीरी पंडित “कश्मीर फाइल्स“ की आलोचना करने के लिए आगे आए हैं. इस मामलंे में तो एक बुजुर्ग का वीडियो खूब वाॅयरल हो रहा है, जबकि दूसरी तरफ एक बड़ी सियासी पार्टी और एक तथाकथित राष्ट्रवादी संगठन सिनेमाहाल और इसके बाहर कश्मीर फाइल्स के विशेष शो कराकर मुसलमानों के खिलाफ हवा बनाने में लगा है. इसकी पैरवी में सरकारी स्तर के नेता और मिश्नरी भी लगी है. इसके लिए सभाएं की जा रही हैं.