Muslim World

Jamaat-e-Islami Hind आर्थिक बदहाली दूर करने को दिखाएगी सक्रियता

कोविड-19 एवं सरकार की गलत नीतियों के कारण देश की आम जनता गंभीर आर्थिक संकट का शिकार है। इस आर्थिक स्थिति से निकालने के लिए जमाअत इस्लामी हिन्द (Jamaat-e-Islami Hind )  ने हर स्तर पर सक्रिय रहने की योजना बनाई है। इस सिलसिले में राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक क्षेत्र में सुधार एवं वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था पेश करने के लिए नेशनल कांफ्रेंस, सेमिनार आयोजित किया जाएगा जो सरकार को सलाह एवं  प्रस्ताव देगा। जबकि स्थानीय स्तर पर जमाअत अपनी ईकाइयों एवं अन्य संगठनों की मदद से देशवासियों की आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए प्रयास करेगी।


 यह बात जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने देश के विभिन्न राज्यों के अमीर-ए- जमाअत एवं मजलिसे शूरा के सदस्यों से ऑन लाइन संबोधन में कही। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में एक कमेटी गठित की गई है जो कार्यक्रम तैयार करेगी। इस संदर्भ में चौम्बर्स ऑफ़  कामर्स की सेवाएं भी ली जा रही हैं। सैयद सआदतुल्लाह ने कोविड के दौरान जमाअत से जुड़े महिला एवं पुरुष स्वयं सेवकों द्वारा रीलिफ के कामों की प्रशंसा की। कहा कि इंसानों के लिए हमारी यह निस्वार्थ सेवा जारी रहाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जमाअत इस्लामी हिन्द से जुड़े डॉक्टर्स लोगों की उम्मीदों का केन्द्र बने। उनकी हिम्मत एवं हौसले के साथ की गई चिकित्सा सेवा को समाज सदा याद रखेगा।

युवा मुस्लिम वर्ग बढ़ रहा आगे

जमाअत के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि सदभावना मुहिम ने साबित कर दिया कि लोग आज भी समाज को एक दूसरे से जोड़ने में दिलचस्पी रखते हैं। उन्होंने कहा कि देश का मुस्लिम समुदाय एक जवान समुदाय है। हिन्दुस्तान में आबाद मुसलमानों की औसत उम्र 22 से 25 वर्ष है। हमें अपने नौजवानों की सही रहनुमाई करनी होगी। उनकी क्षमताओं और योग्यताओं को देश व समुदाय के निर्माण के लिए तैयार करना होगा। शिक्षा के क्षेत्र में हमारे नौजवान विगत सालों की तुलना में आगे बढ़े हैं। इसमें और बेहतरी लाने की आवश्यकता है।

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संपादक

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