Kapil Mishra का ‘हिंदू इकोसिस्टम’ शुरू, देश में भय और असुरक्षा की खेती की तैयारी
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एनडी टीवी के रवीश कुमार, द वाॅयर के बारे में कहा-आरोपियों को बचाने को खबरों से बनाया जाता खास तरह का माहौल
विशेष उद्देश्य को सिरे चढ़ाने के लिए कपिल मिश्रा का ‘हिंदू इकोसिस्टम’ HinduEcosystem
‘देश का बहुसंख्यक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है’ तथा ‘वामपंथी विचारधारा के लोग देश एवं धर्म विरोधी हैं.’ ऐसे वाक्य सुनकर भले आपकी हंसी छूट जाए, पर ऐसे ही बातों का भ्रम जाल बनाकर मुल्क में भय और असुरक्षा की खेती कर एक बड़े टकराव की तैयारी है. इस योजना के सूत्र धार हैं दिल्ली दंगे में संदिग्ध भूमिका निभाने के आरोपी भारतीय जनता पार्टी नेता कपिल मिश्रा.
एमनेस्टी इंटरनेशनल, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग सहित कई संगठनों की रिपोर्ट में कपिल मिश्रा पर दिल्ली दंगे के लिए एक समुदाय को भड़काने का आरोप है. वही शख्स अब एक खास उद्देश्य के लिए ‘हिंदू इकोसिस्टम’ ( HinduEcosystem ) नाम से अपनी जैसी सोच वालों को इकट्ठा कर एक बड़ा अभियान छेड़ना चाहता है. इस क्रम में समान विचारधारा वालांे से फार्म भरवा जा रहा.
‘हिंदू इकोसिस्टम’ क्या है ? इसे समझने के लिए खबर के अंत में एक वीडियो साझा किया गया है. कपिल मिश्रा के वक्तव्य से अंदाजा होगा कि वह क्या करने का इरादा रखतेे हैं. ‘जयपुर डायलाॅग’ नाम से हाल में एक वेबिनार किया गया था, जिसमें कपिल मिश्रा सहित कई लोग शामिल हुए. इस दौरान विशेषज्ञ के तौर पर अपने विचार रखते हुए भाजपा के पूर्व सांसद ने कट्टरवाद से लड़ने वाले वाम विचारधारा को अराजकता फैलाने वाला बताया. कहा कि ये मीडिया, शिक्षण संस्थान पर पूरी तरह हावी हैं. ‘लाल सलाम’ का नारा देकर युवाओं को आकर्षित करते हैं. देश की संपत्तियों को नुक्सान पहुंचा रहे हैं.
इस वेबिनार में कपिल मिश्रा ने अपने अभियान की रूप-रेखा का खुलासा किया. उनकी बातें सुनकर भ्रम का शिकार हो जाएंगे कि जिस बहुसंख्यक समुदाय से आते हैं, दुनिया ही नहीं, भारत में भी उनके अस्तित्व पर खतरा है. उन्होंने मुंबई ब्लास्ट, कठुआ बलात्कार कांड, दिल्ली दंगे, नक्सलवाद, आतंकवाद का उदाहरण देकर समझाने का प्रयास किया कि विशेष प्रकार की विचारधारा वाले मीडिया, सोशल मीडिया, न्यायालय, शिक्षण संस्थान सहित हर जगह हावी हैं, जो सुनियोजित तरीके से बहुसंख्यक समुदाय के विरूद्ध काम कर रहे हैं. मुज़रिम को बचाने के लिए खास तरह का नरेटिव सेट किया जाता है. वे न्यायिक व्यवस्था पर हावी हैं. सज़ायाफ्ता मुज़रिम के लिए आधी रात को अदालत का दरवाज़ा खुलवा लेते हैं.
एनडी टीवी और वाॅयर पर खबरों के जरिए आरोपियों को बचाने का आरोप
‘एनडीटीवी’ के रवीश कुमार एवं न्यूज़ वेबसाइट ‘द वाॅयर’ का नाम लेकर कपिल मिश्रा कहते हैं, समाचारों के माध्यम से एक खास समुदाय को बचाने के लिए नरेटिव सेट किया जाता है. वे अपने हिसाब से समाचार पेश करते हैं, ताकि आरोपियों को कटघरे में खड़ा करने की बजाए उनके प्रति सहानुभूति का माहौल बने. दिल्ली दंगे के आरोप में जेल में बंद ताहिर हुसैन का उदाहरण देते हुए मिश्रा ने कहा कि ‘द वायर’ ने उसे एक्टिविस्ट की सूची में डाल दिया. उन्होंने बेंगलुरू दंगे का भी उदाहरण दिया. हालांकि कपिल मिश्रा अपने उपर लगे दंगे के आरोप और दंगे के दौरान मुसलमानों को निशाना बनाने वालों का कोई जिक्र नहीं किया. चूंकि अपने समुदाय को निरीह साबित करने को अभियान चलाया जा रहा है. ऐसे में ऐसी बातों का जिक्र का मतलब है, अपने ही अभियान पर पानी फेरना. कपिल मिश्रा ने दिल्ली सरकार द्वारा माॅबलिंचिंग का शिकार इख्लाक अहमद के परिजनों को एक करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता देने पर भी आपत्ति उठाया. कहा, टैक्स का पैसा बर्बाद नहीं किया जा सकता.
‘हिंदू इकोसिस्टम’ अभियान से भविष्य में टकराव का खतरा
कपिल मिश्रा की नजर में 1976 से खास रणनीति के तहत वामपंथी एवं कांग्रेस विचार धारा के लोग काम कर रहे हैं. शिक्षण संस्थान वामपंथियों के हवाले कर काँग्रेसी शासन करते रहे. तब से गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा. हत्यारों को दया वान बनाने कोशिश की गई है. 1400 वर्ष पूर्व एक समुदाय विशेष के साथ किस तरह का अत्याचार हुआ, इतिहास में नहीं पढ़ाया जाता. उनका इशरा इस्लाम के विस्तारवाद की ओर है. उनकी मानें तो भारत के वामपंथी अधर्मी एवं देश विरोधी हैं. ऐसे लोगों की घेराबंदी के लिए उन्होंने ‘हिंदू इकोसिस्टम’ नाम से अभियान चलाया है. इसके तहत वह ऐसी व्यवस्था खड़ी करना चाहते हैं, ताकि उन जैसी विचारधारा वालों को मीडिया, सोशल मीडिया पर प्रोजेक्ट किया जा सके. उनका कोई समर्थक किसी विवादास्पद मामले में फंसे तो उसे कानूनी मदद देने को वकीलों की फौज मौजूद रहे. नए सिरे से इतिहास लिखे जाएं. अपने समुदाय का हवाला देते हुए मिश्रा कहते हैं- देश-दुनिया में वे अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे’. कपिल मिश्रा की बातों से लगता है, भय की खेती कर वह कुछ ऐसा करने जा रहे जिससे निश्चित ही भविष्य में टकराव की भयंकर स्थिति पैदा हो सकती है.
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संपादक