कश्मीरी सर्जन ने नियाग्रा फॉल्स के चर्च में स्थापित किया कश्मीर संग्रहालय
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, श्रीनगर
कश्मीरी संस्कृति को समर्पित दुनिया का पहला संग्रहालय नियाग्रा फाल्स में स्थापित होने जा रहा है. इस पहल के पीछे एक कश्मीरी सर्जन और उनकी पत्नी का हाथ है. कश्मीरी डॉक्टर दंपति, खुर्शीद और लुबना न्यूयॉर्क के नियाग्रा फॉल्स क्षेत्र में कश्मीर संग्रहालय बनाने को लेकर काफी चर्चा में हैं.
दरअसल, नियाग्रा दक्षिणी छोर पर तीन झरनों का एक समूह है, जो कनाडा के ओंटारियो प्रांत और संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य के बीच की सीमा में फैला हुआ है. यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है और यहां एक वर्ष में लगभग 12 मिलियन लोग आते हैं.
दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्र की तीसरी गली और डाउनटाउन के आसपास प्रमुख भारतीय रेस्तरां में दक्षिण एशियाई लोगों की भीड़ लगी रहती है, पर शहर में कोई सांस्कृतिक स्थल नहीं है, उन्हें यहां आने वाले एशियाईयों को जोड़े रखे.
इसके बाद ही खुर्शीद को यहां संग्रहालय बनाने का ख्याल आया. इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी अली मुजम्मिल ने बताया, यह संग्रहालय कश्मीर को समर्पित होगा.इस पहल के पीछे एक कश्मीरी सर्जन डॉ खुर्शीद हैं. वह मारे गए कश्मीर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अब्दुल अहद के बेटे. उनके पिता की 1 अप्रैल, 1993 को श्रीनगर में हत्या कर दी गई थी. खुर्शीद एक वरिष्ठ रोबोटिक अॉन्कोलॉजिकल सर्जन हैं और रोसवेल पार्क कैंसर केंद्र में यूरोलॉजी विभाग का नेतृत्व करते हैं. यह दुनिया का सबसे पुराने कैंसर उपचार सुविधा केंद्रों में से एक है. वह अपनी पत्नी लुबना के साथ पिछले 17 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उनकी पत्नी लॉकपोर्ट में बाल रोग विशेषज्ञ हैं. वे 2005 से ईस्ट एमहर्स्ट में रहते हैं. यहां वे कला क्षेत्र में निवेश करना चाहते हैं.
लुबना ने बताया, इसकेस लिए हम यहां जगह की तलाश में थे ताकि यहां कश्मीरी मूल के प्रवासी इकट्ठे हो सकें. इसके लिए हमने सबसे उपयुक्त जगह नियाग्रा फॉल्स का चुनाव किया. यहां ही कश्मीरी संग्रहालय की स्थापना की जा रही है. इस जोड़े ने इसके लिए कलाकृतियों के अलावा कश्मीर पर लगभग 1500 दुर्लभ पुस्तकें इकट्ठी की हैं, जिसे कश्मीर के बाहर कश्मीर पर सबसे बड़ा संग्रह माना जा रहा है.
कश्मीरी समुदाय ने 2020 में पार्क प्लेस (नियाग्रा हॉल) पर क्राइस्ट साइंटिस्ट नामक एक चर्च खरीदा है ताकि द सेंटर फॉर कश्मीर नामक संग्रहालय स्थापित किया जा सके . इसका अपना इतिहास है. चर्च को 1917 में गॉथिक रिवाइवल शैली में नियाग्रा फॉल्स के ईसाई वैज्ञानिकों की पहली सोसायटी द्वारा बनाया गया था जो 26 जुलाई, 1903 से अस्तित्व में है.
खरीद के बाद, आंतरिक रीमॉडेलिंग शुरू हुई. छतें हटाई गईं. छत का नवीनीकरण किया गया. खिड़कियों को सील किया गया. लिफ्ट स्थापित की गई. वे कश्मीरी कलाकारों, विद्वानों और योगदानकर्ताओं को आवासीय स्थान प्रदान करने के लिए दो अतिरिक्त घर खरीदने की भी योजना बना रहे हैं.
जल्द ही म्यूजियम खुल जाएगा. जिन वस्तुओं को प्रदर्शित करने की योजना है, उनमें पेंटिंग, रेखाचित्र, अप्रचलित पुस्तकें और शॉल, गलीचे, लकड़ी की नक्काशी, कागज की लुगदी और अन्य चीजों सहित कश्मीरी हस्तशिल्प शामिल हैं.कलाकृतियों को पहले चर्च के पूजा क्षेत्र में प्रदर्शित किया जाएगा, जबकि मुख्य प्रवेश द्वार के अंदर का क्षेत्र केंद्र का पुस्तकालय और अभिलेखागार संग्रह होगा. वर्तमान कोरल बालकनी में एक सम्मेलन कक्ष भी स्थापित किया जाना है.
नवीनीकरण और मरम्मत की प्रक्रिया 2023 की गर्मियों तक पूरी होने की उम्मीद है. परियोजना पर काम करने वाले अधिकांश लोग कश्मीरी अमेरिकी हैं, जिनके पास राष्ट्रव्यापी समुदाय से धन आता है. नियाग्रा काउंटी औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने इसके निर्माण के लिए केंद्र को दान देकर अपना समर्थन दिया है.
अधिकांश नियोजन और बजट कार्य कोविड 19 के चरम के दौरान किए गए. मुजम्मिल ने बताया कि लागत बढ़ रही है और वे लगातार धन उगाहने के मोड में हैं.
केंद्र ने अपने वर्तमान मालिक, माइकल सुजेक से 200,000 डॉलर में संपत्ति का अधिग्रहण किया. निर्माण और सुधार पर 1.25 मिलियन डॉलर, फर्नीचर और उपकरणों के लिए 250000 डॉलर और अन्य लागतों के लिए 300000 डॉलर लगाने के बाद लागत में वृद्धि हुई है. इस तथ्य के बावजूद कि न्यूयॉर्क के अधिकारियों ने सितंबर 2021 में 9400 वर्ग फुट की इमारत के लिए कर रियायत को मंजूरी दे दी थी.