मुगल गार्डन के बाद अब मध्य प्रदेश के इस्लाम नगर का नाम बदला
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, भोपाल
संघ परिवार और बीजेपी सरकारें ‘गुलामी ’ की निशानी बताकर केवल मुगलों के बनाए निर्माणों की ही पहचान नहीं मिटा रहे हैं, मुसलमाना और इस्लामी तहजीब से जुड़े चिन्ह और नाम भी खत्म किए जा रहे हैं.
कुछ दिनों पहले बीजेपी शासित कर्नाटक से एक मस्जिद के गुंबदनुमा बस स्टाप को गिराने और सरकारी भवन का रंग हरा से भगवा करने की खबर आई थी. अब राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का नाम ‘अमृत उद्यान’ करने के साथ ही मध्य प्रदेश के ‘इस्लाम नगर’ का नाम बदले जाने का समाचार सामने आया है.
मध्य प्रदेश से आई रही खबरों के अनुसार, पिछले साल हबीबगंज का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन और होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम करने का मुद्दा अभी जनता के जेहन से गायब नहीं हुआ है, गांव का नाम बदलने की अधिसूचना जारी कर दी गई है.
उल्लेखनीय है कि भोपाल राज्य के संस्थापक सरदार दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर में इस्लामनगर के किले की स्थापना की थी. जगदीशपुर की जमीन दोस्त मुहम्मद खान को गोंड रानी कमलापति द्वारा दी गई थीए जब रानी कमलापति ने अपने पति निजाम शाह की हत्या का बदला लेने के लिए दोस्त मुहम्मद खान की मदद मांगी थी. रानी कमलापति को दोस्त मुहम्मद खान ने मदद की और अपने पति का बदला लेने की इच्छा में उन्होंने सरदार दोस्त मुहम्मद खान को जगदीशपुर क्षेत्र की भूमि उपहार में दी, जिस पर भोपाल राज्य के संस्थापक सरदार दोस्त मुहम्मद खान के नाम से इस्लामनगर एक किला बनाया गया था.
इस्लामनगर भोपाल राज्य की पहली राजधानी थी, जिसे बाद में भोपाल स्थानांतरित कर दिया गया.
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव अब्दुल नफीस ने बातचीत में कहा कि सरकार अपनी नाकामी छिपाने और लोगों को गुमराह करने के लिए ऐतिहासिक नाम बदल रही है. सरकार को पता होना चाहिए कि नाम बदलने से विकास नहीं होता. दोस्त मुहम्मद खान को लोग कातिल कह रहे हैं. मैं उससे पूछना चाहता हूं कि रानी कमलापति के पति निजाम शाह को किसने मारा.
उन्होंने कहा कि दोस्त मुहम्मद खान ने रानी से मदद मांगने पर अपने पति की हत्या का बदला लिया था, जिस पर रानी ने प्रसन्न होकर दोस्त मुहम्मद खान को उपहार के रूप में जगदीशपुर का इलाका दिया था, जिस पर उन्होंने इस्लामनगर को दे दिया था. इस्लामनगर के लिए किले के नाम पर बनाया गया था. नफरत के जो भी हथकंडे जनता जानती है सरकार अपनाएगी और इस बार मध्य प्रदेश में जनता सरकार बदलेगी.
इसपर मध्य प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलोजा ने कहा कि भोपाल की फंडा पंचायत के लोगों की पुरानी मांग को पूरा करते हुए इस्लामनगर का नाम बदलकर जगदीशपुर करने की अधिसूचना जारी की गई है. इस स्थान का इतिहास सभी जानते हैं कि 1715 में एक भगोड़े सैनिक दोस्त मुहम्मद खान ने राजपूत शासक देवराज चैहान को बेस नदी के किनारे बुलाया और उसकी हत्या कर दी और जगदीशपुर का नाम बदलकर इस्लामनगर कर दिया. तभी से लोग इसका नाम बदलने की मांग कर रहे हैं. लोगों की भावनाओं को समझते हुए शिवराज सरकार ने अपना नाम बदल लिया है.
उन्होंने कहा कि यह खेद का विषय है कि कांग्रेस को इस नाम परिवर्तन पर आपत्ति है. उन्हें इस्लामनगर नाम से प्यार है, जगदीशपुर नाम से नहीं. कांग्रेस जुबानी राजनीति में नाम बदलने का विरोध कर रही है. कांग्रेस मुगल शासकों और उनके द्वारा दिए गए नामों की शौकीन है, इसलिए वे नाम परिवर्तन को राजनीति बता रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार लोगों की भावनाओं का सम्मान करती है और हमने जहां भी और जब भी ऐसा करने का फैसला किया है.
मध्य प्रदेश: भोपाल जिले के इस्लाम नगर गांव का नाम तत्काल प्रभाव से बदलकर जगदीशपुर कर दिया गया है। pic.twitter.com/xQsMzxVq3O
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 2, 2023
उधर, मध्य प्रदेश उलेमा बोर्ड के अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी का कहना है कि सरकार और उसके लोग इस्लामनगर को हत्या से जोड़ रहे हैं, लेकिन गोंड रानी कमलापति के पति को किसने मारा, यह नहीं कहते हैं. दोस्त मुहम्मद खान को मदद के लिए उनके अनुरोध पर रानी द्वारा सहायता प्रदान की गई, जिससे प्रसन्न होकर रानी कमलापति ने उन्हें जगदीशपुरा का क्षेत्र उपहार में दिया. जहां दोस्त मुहम्मद खान ने इस्लामनगर किले का निर्माण किया.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार को विकास करना है तो मील का पत्थर बदलकर विकास का पाठ नहीं लिखना चाहिए, बल्कि कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे सही मायने में जनता और क्षेत्र का विकास हो सके.
दरअसल, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए नफरत का एजेंडा फैला रही है. ताकि जनता उनसे विकास कार्यों का हिसाब न मांगे.
वैसे नाम बदलने का क्रम पिछले साल लालकिला से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुलामी की निशानी मिटाने के आहवान से शुरू नहीं हुआ है. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आते ही यह सिलसिला शुरू हो गया था, जो अब तक जारी है और आगे भी जारी रहने की संभावना है. दरअसल, नाम बदलने का विरोध करने वाले इसे ‘हिंदू राष्ट्र’ के लिए चल रहे प्रयासों से जोड़ कर देखते हैं.