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महमूद मदनी का CAA समर्थन और ओवैसी पर हमला: मुस्लिम तबके में नाराजगी

मुस्लिम नाउ स्पेशल

मौलाना महमूद मदनी, ‘चिश्ती’ और ‘इलियासी’ जैसे तथाकथित मुस्लिम नेताओं की वास्तविकता अब देश के मुसलमानों के सामने खुलकर आ चुकी है. ये नेता किसकी जमीन पर खड़े हैं, किनके समर्थक हैं और उनका चूल्हा किसकी कृपा से जलता है, यह सब लोगों को बखूबी पता है. इसके बावजूद, मुस्लिम तबका इसलिए खामोश रहता है क्योंकि पूरी दुनिया में इस कौम के बीच फूट डालने की साजिशें हो रही हैं. ऐसे माहौल में, अगर महमूद मदनी जैसे नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोला जाए, तो समुदाय के भीतर दरारें और गहरी हो सकती हैं.

हाल ही में, महमूद मदनी ने एक राष्ट्रवादी पत्रकार सुशांत सिन्हा के पोडकास्ट शो पर जाकर खुद को विवादों में घसीट लिया. सुशांत सिन्हा का झुकाव और उनके विचार सबको पता हैं. जो लोग सिन्हा को बेहतर जानना चाहते हैं, वे उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स पर एक नजर डाल सकते हैं.

इस इंटरव्यू के दौरान, जिस तरह के सवाल महमूद मदनी से पूछे गए और उन्होंने जो जवाब दिए, उससे साफ जाहिर होता है कि दोनों को इस बातचीत के नतीजों का पहले से अंदाजा था. यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद पराचा इस इंटरव्यू को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

इस इंटरव्यू के दौरान, महमूद मदनी ने CAA और NRC का समर्थन करते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान और बांग्लादेश से मुसलमान भारत में बसने आते हैं, तो वे खुद उनके खिलाफ खड़े हो जाएंगे. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की CAA कानून के लिए सराहना की, जबकि देश का अधिकांश मुसलमान इस कानून का विरोध कर रहा है.

मुस्लिम समाज का मानना है कि धर्म के आधार पर कोई कानून बनाना उचित नहीं है. यदि पड़ोसी देशों से प्रताड़ित हिंदू, सिख और बौद्ध नागरिक भारत आ सकते हैं, तो वहां के पीड़ित मुसलमान क्यों नहीं?

यही सवाल उठाकर देशभर में CAA के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन हुए थे, और कई मुस्लिम युवा इस दौरान गिरफ्तार हुए, जो अभी भी जेलों में बंद हैं. पराचा का मानना है कि महमूद मदनी की कोई ठोस नीति नहीं है, और किसी दिन वे इन युवाओं के खिलाफ अदालत में बयान दे सकते हैं. मदनी का CAA पर मोदी की तारीफ करना, कई मुसलमानों को चुभ रहा है.

सबसे अधिक विवाद तब खड़ा हुआ जब महमूद मदनी ने ओवैसी पर निशाना साधते हुए कहा कि ओवैसी मुसलमानों को बांट रहे हैं. उनके समर्थकों को ‘पागल’ करार दिया. इसके बाद महमूद मदनी का तीखा विरोध शुरू हो गया.सोशल मीडिया पर मदनी के खिलाफ और ओवैसी के समर्थन में प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. पंजाब के शाही इमाम मौलाना मोहम्मद नसीरूद्दीन ने मदनी की आलोचना करते हुए कहा कि मौलाना महमूद मदनी का रास्ता उनके पूर्वज मौलाना हुसैन अहमद मदनी से बिल्कुल अलग है.

वहीं, मौलाना सज्जाद अहमद नोमानी ने भी ओवैसी के खिलाफ मदनी की टिप्पणी को गलत बताया, और ओवैसी को सलाह दी कि वे अपनी रणनीति पर और विचार करें.दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने भी महमूद मदनी के बयान से असहमति जताते हुए कहा कि वह इस बयान से खुद को अलग करते हैं.

इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी शेयर किया गया है, जिसमें महमूद मदनी की बयानबाजी और उनके असली चरित्र को उजागर करने की कोशिश की गई है. वीडियो में यह दिखाया गया है कि मदनी अक्सर बोलते तो हैं, लेकिन जब सड़कों पर उतरने की बारी आती है, तो वे चुप्पी साध लेते हैं.

मालेगांव से विधायक और दारुल उलूम देवबंद की शूरा कमेटी के सदस्य मुफ्ती इस्माइल कासमी ने भी एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो जारी कर महमूद मदनी को कड़ा जवाब दिया है.

इस इंटरव्यू के बाद से मौलाना महमूद मदनी पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गए हैं. मुस्लिम नेतृत्व की बिरादरी में अब तक उनकी हिमायत में कोई आवाज नहीं उठी है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब कश्मीर और हरियाणा में चुनाव हो रहे हैं, तो ऐसे वक्त में इस इंटरव्यू का मकसद क्या है?

क्या महमूद मदनी किसी सरकारी पद, जैसे राज्यपाल बनने की तैयारी कर रहे हैं, या फिर वे दूसरी ओर जाकर ‘सरकारी मौलाना’ बनने की कोशिश में हैं?