मौलवी शौका अली मालीपोर को सैय्यद अब्दुल रहमान अल-अजहरी पुरस्कार 2024 सम्मान
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,कालीकट, केरल
केरल विश्वविद्यालय के अरबी भाषा विभाग के पूर्व छात्र संघ ने प्रतिष्ठित शैक्षिक विद्वान और लेखक मौलवी शौका अली मालीपोर को वर्ष 2024 के सैय्यद अब्दुल रहमान अल-अजहरी उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की है. यह पुरस्कार उन्हें अरबी भाषा के प्रचार-प्रसार और अनुवाद के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया जाएगा.
पुरस्कार की पृष्ठभूमि
सैय्यद अब्दुल रहमान अल-अजहरी अल-एदारौसी के सम्मान में यह पुरस्कार वर्ष 2017 में स्थापित किया गया था. अल-अजहरी, जिन्हें एक महान अरबी भाषाविद् के रूप में याद किया जाता है, ने अपने कार्यों और लेखन के माध्यम से अरबी भाषा और संस्कृति को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनकी रचनाएं वैज्ञानिक दृष्टिकोण और गहन अध्ययन की मिसाल मानी जाती हैं. इस पुरस्कार का उद्देश्य केरल में अरबी भाषा को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों को प्रोत्साहित करना और उनके योगदान को मान्यता देना है.
चयन प्रक्रिया और जूरी
इस वर्ष के पुरस्कार के चयन के लिए जूरी में प्रमुख शिक्षाविद् और विशेषज्ञ शामिल थे। इनमें कालीकट विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार और अरबी भाषा विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. अब्दुल मजीद अदोमा, डॉ. जमाल अल-दीन अल-फारूकी, डॉ. नज़र अल-दीन, और डॉ. ताज अल-दीन अल-मन्नानी (अरबी भाषा विभाग के पूर्व प्रमुख) सम्मिलित थे.
सम्मान समारोह
यह सम्मान समारोह जनवरी 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अरबी भाषा दिवस के अवसर पर केरल विश्वविद्यालय के अरबी भाषा विभाग में आयोजित किया जाएगा. इस कार्यक्रम में विजेता मौलवी शौका अली मालीपोर को प्रशंसा प्रमाण पत्र और एक स्मारक शील्ड प्रदान की जाएगी. यह आयोजन न केवल अरबी भाषा के प्रति सम्मान व्यक्त करेगा, बल्कि इसके प्रचार-प्रसार के महत्व को भी उजागर करेगा.
मौलवी शौका अली मालीपोर का योगदान
मौलवी शौका अली मालीपोर को अरबी भाषा के प्रति उनके समर्पण और उल्लेखनीय कार्यों के लिए जाना जाता है. उन्होंने अनुवाद के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पूरे किए हैं और अरबी भाषा की शिक्षा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में मदद की है। उनके कार्यों ने न केवल भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अरबी भाषा की प्रतिष्ठा को बढ़ावा दिया है.
विभागीय प्रतिक्रिया
इस अवसर पर केरल विश्वविद्यालय के अरबी भाषा विभाग के अधिकारियों, जिनमें डॉ. हफीज बौजल, डॉ. हरिथ अल-अशारी, और डॉ. नौशाद अल-हदावी शामिल हैं, ने मौलवी शौका अली मालीपोर के योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार अरबी भाषा और उसकी वैश्विक पहचान को सशक्त बनाने के लिए किए गए प्रयासों का सम्मान है.
डॉ. हफीज बौजल ने कहा, “मौलवी मालीपोर ने अरबी भाषा को लोकप्रिय बनाने और इसके अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए जो प्रयास किए हैं, वे अनुकरणीय हैं. यह पुरस्कार न केवल उनके योगदान की मान्यता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा.”
सैय्यद अब्दुल रहमान अल-अजहरी पुरस्कार के माध्यम से केरल में अरबी भाषा के महत्व को बढ़ावा देने और इसे वैश्विक पहचान दिलाने का प्रयास जारी है. मौलवी शौका अली मालीपोर जैसे समर्पित व्यक्तित्वों का सम्मान करना न केवल उनके प्रयासों को सराहना देना है, बल्कि यह अरबी भाषा और साहित्य के उज्जवल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है.