Politics

MOHAMMAD ALI JAUHAR जामिया संस्थापक, तुम्हें न भूल पाएगा इंडिया

न नमाज आती है मुझ को न वजू आता है, सज्दा कर लेता हूं जब सामने तू नजर आता है !!’ यह शेर ‘बज्म-ए-शोअरा’ ट्वीटर हैंडल से फिरंगी हुक़ूमत के ‘रोलेट एक्ट’ (The Rowatt act) के विरूद्ध ‘खिलाफत आंदोलन’ छेड़ने वाले मोहम्मद अली जौहर को खिराज-ए-अकीदत पेश करने केलिए समर्पित किया गया है. 10 दिसंबर को उनका जन्मदिन है.
 
   प्रखर सियासतदां, स्वतंत्रता सेना, शिक्षा शास्त्री, पत्रकार, कवि और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के संस्थापक मोहम्मद अली जौहर ने अंग्रेज हुक़ूमत के खिलाफ 1919-20 में छेड़े गए ‘खिलाफत मूवमेंट’ का नेतृत्व किया था. इस आंदोलन में उनके भाई शौकत अली भी साथ थे. अंग्रेज हुक़ूमत की ओर से भारतीयों पर अंकुश लगाने के लिए थोपे गए ‘द रोलेट एक्ट’(The Rowatt act) के खिलाफ आंदोलन छेड़ने के लिए 1919 में मुंबई में खिलाफत कमेटी की स्थापना की गई थी जिसका नेतृत्व दो युवा भाईयों मोहम्मद अली और शौकत अली जौहर ने किया था. 10 दिसंबर को उनमें से एक मोहम्मद अली की जयंती है.
 
   उन्हें याद करते हुए निसार अहमद लिखते हैं-‘मोहम्मद अली जौहर ने कहा था अंग्रेजों हमें आजादी का परवाना दो वर्ना हम यहां पर ही अपनी जान दे देंगे.’ हालांकि उनके आंदोलन के दौरान हिंदुस्तान को अंग्रेजों से छुटकारा नहीं मिला, बाद में हालात ऐसे बने कि मृत्यु उपरांत उन्हें यरूशलम में बैतुल मुकद्दस के करीब दफनाना पड़ा. मौलाना आजाद नेशनल यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर जफर सरेशवाला ने यरूशलम के अल अक्सा के निकट उनकी मजार ‘अल सैयद मोहम्मद अली अल-हिंद’ पर फातिहा पढ़ते अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की है. उन्हें याद करते हुए लिखते हैं-‘‘विनम्र श्रद्धांजलि एवं सम्मान.’’ मोहम्मद अली को याद करने के लिए सोशल मीडिया पर हैशटैग चलाया जा रहा है.  #JauharDay @jmiu_official

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