Mumbai मुसलमानों, दलितों, पिछड़ों को सुनियोजित निशाना बनाने के खिलाफ ‘चैत्यभूमि‘ पर कैंडल मार्च
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विरोध प्रदर्शन के बीच उत्तर प्रदेश से एक और बुरी खबर आई, फिर दलित युवती से सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या
मुंबई में रात डॉक्टर बाबा साहब भीम राव अम्बेदकर की समाधि ‘चैत्यभूमि’ पर जब दलित, आदिवासी, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों को सुनियोजित निशाना बनाने के विरोध में कैंडल मार्च एवं विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम चल रहा था। उत्तर प्रदेश से एक और दिल दहलाने वाली खबर आई। हाथरस की बिटिया की तरह बलरामपुर की एक दलित युवती से सामूहिक बलात्कार के बाद उसके दोनों पैर एवं रीढ़ की हड्डी तोड़कर मौत के घाट उतार दिया गया।
पखवाड़े भर पहले ऐसी ही घटना उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित लड़की के साथ पेश आई थी। अगड़ी जाति के चार युवकांें ने न केवल उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। गर्दन में चुन्नी फंसाकर उसे इस बुरी तरह घसीटा-पीटा कि उसकी गर्गदन की हड्डी टूट गई। जुबान काट दिया गया।
स्थानीय पुलिस का रवैया इस मामले में बेहद अमानवीय रहा। पहले मुकदमा दर्ज करने में आना-कानी की गई। समुचित इलाज नहीं देने पर लड़की की हालत खराब होने पर उसे दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। मगर बच्ची जीवन से हार गई। उसकी अस्पताल में मौत हो गई। इसके बावजूद पुलिस के रवैए में कोई फर्क नहीं आया।
दलित बिटिया का शव 30 सितंबर की आधी रात को सफ़दरजंग अस्पताल से ले जाकर उसके गांव में परिजनों के विरोध के बावजूद खेत में फूंक दिया। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इससे पहले बच्ची के परिजनों के सामने ऐसी स्थिति पैदा कर दी गई कि वे घर से न निकल पाएं।
अब बलरामपुर में दलित लड़की से सामूहिक बलात्कार
घटना को लेकर बवाल मचने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पंद्रह दिनों बाद सक्रिय हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोन करने पर एसआईटी गठित किया। पीड़ित परिवार को 25 लाख रूपये की आर्थिक मदद एवं परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने की घोषणा की। इसके बावजूद देश भर में गम गुस्से का माहौल है।
बलात्कार एवं पुलिस कार्रवाई के विरोध में 30 सितंबर को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी सहित विभिन्न संगठनों ने धरना-प्रदर्शन किया। अखबर ‘फ्री प्रेस जरनल’ की रिपोर्ट के अनुसार, हाथरस की घटना को लेकर 30 सितंबर की रात मुंबई के ‘चैत्यभूमि’ पर आल इंडिया स्टुडेंट फेडरेशन की ओर से कैंडल मार्च एवं प्रदर्शन का आयोजन किया गया।
इस बीच उत्तर प्रदेश से एक और बुरी खबर आई। बलरामपुर जिले के थाना गैसड़ी इलाके में कॉलेज से दाख़िला लेकर घर लौट रही एक दलित युवती से सामूहिक बलात्कार किया गया। विरोध करने पर उसे नशे का इंजेक्शन देकर दोनों पैर एवं रीढ़ की हड्डी तोड़ने के बाद मौत के घाट उतार दिया गया।
हालांकि बलरामपुर पुलिस ने तत्पर्ता दिखाते हुए सामूहिक बलात्कार के दो आरोपियों को त्तकाल गिरफ्तार करने का दावा किया है। साथ ही उसने पैर टूटने की बात का खंडन भी किया है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पैर टूटने का जिक्र नहीं है। इस घटना को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने लिखा है-‘‘ इस ट्वीट को लिखते वक्त मेरे हाथ कांप रहे हैं। गम, गुस्सा एवं क्षोभ से स्तब्ध हूं।’’
विदेशों में भारत की छवि पर असर
मुंबई के कैंडल मार्च में शरीक होने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय रहने वाले अब्दुर रहमान कहते हैं-‘‘हमारी लड़ाई उस मानसिकता के खिलाफ है, जो वंचितों को न्याय नहीं देना चाहते।’’
ऐसी घटनाओं के कारण भारत की विदेशों में भी छवि खराब हो रही है। हाथरस एवं बलरामपुर की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए इंडियान अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल की ओर से कहा गया-‘‘ भारत में, जातिगत अत्याचार में कोरोनोवायरस महामारी के बीच भारी उछाल आया है। 22 वर्षीय एक अन्य दलित महिला की इंजेक्शन देने एवं सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई।
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संपादक