News

योगी सरकार की सोशल मीडिया पॉलिसी पर ओवैसी का तंज, बोले- ‘नाकामियों का पर्दा

मुस्लिम नाउ, नई दिल्ली

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल देश के 28 राज्यों में से भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज़्यादा अपराध दर्ज किए गए.योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ़ अपराध के 65,743 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद महाराष्ट्र में 45,331 मामले और राजस्थान में 45,058 मामले दर्ज किए गए. 2021 में, उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ़ अपराध के 56,083 मामले दर्ज किए गए, उसके बाद राजस्थान (40,738) का स्थान रहा.

नरेंद्र मोदी 2014 में महिलाओं के खिलाफ़ अपराध खत्म करने का वादा करते हुए सत्ता में आए थे. उन्होंने नारा दिया था “बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार मोदी सरकार.” प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने लड़कियों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया.
2022 में देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 445,256 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में दर्ज 428,278 मामलों से चार प्रतिशत अधिक है.एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं, अपनी ऐसी कमजोरियों पर पर्दा डालने के लिए योगी आदित्यनाथ नई मीडिया पाॅलिसी ला रहे हैं.

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश सरकार की नई सोशल मीडिया पॉलिसी को लेकर आलोचना करते हुए कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए यह नीति लेकर आई है.

तेलंगाना के हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “योगी आदित्यनाथ ने अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए एक नई योजना शुरू की है. इस योजना के तहत, सोशल मीडिया पर बाबा की झूठी तारीफ करके कोई आठ लाख रुपये तक कमा सकता है.”

ओवैसी ने आगे कहा, “अगर किसी ने बाबा या उनकी पार्टी के खिलाफ कानूनी विरोध जताया तो उसे राष्ट्रविरोधी करार देकर जेल भेज दिया जाएगा. आपके टैक्स के पैसों से अब आईटी सेल वालों का घर चलेगा.”

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक नई सोशल मीडिया पॉलिसी लागू की है. सरकार का कहना है कि इस पॉलिसी के तहत, अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक या राष्ट्रविरोधी पोस्ट करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उसे सजा भी दी जा सकती है.

इस पॉलिसी के अंतर्गत, सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले व्यक्ति को तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा, सरकार ने इस पॉलिसी के जरिए डिजिटल एजेंसियों और फर्मों को विज्ञापन देने की व्यवस्था भी की है. इस सोशल मीडिया पॉलिसी को राज्य कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई है.

पॉलिसी के तहत, सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार करने वालों को आठ लाख रुपये तक का विज्ञापन दिया जाएगा. इसके माध्यम से, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर सरकारी योजनाओं और उपलब्धियों से जुड़े कॉन्टेंट, वीडियो, ट्वीट, पोस्ट और रील्स को साझा करने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश सरकार का मानना है कि इस नीति के लागू होने के बाद देश-विदेश में रह रहे उत्तर प्रदेश के लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे. अब तक आईटी एक्ट की धारा 66ई और 66एफ के तहत कार्रवाई की जाती थी, लेकिन अब इस पॉलिसी के तहत राष्ट्रविरोधी कंटेंट पोस्ट करने पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा भी चलाया जा सकेगा.