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दिल्ली दंगे में गिरफ्तार व्यापारी सलीम खान की परेशान हाल बेटी साइमा की दर्द भरी कहानी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

तीन साल बाद भी साइमा अपने परिवार और अपने पिता के कानूनी खर्चों का भार उठाने के लिए संघर्ष कर रही है. पिता की गिरफ्तारी ने उनके पूरे जीवन को पटरी से उतार दिया है.बात 25 जून 2020 की है. 27 वर्षीय साइमा खान अपने पिता मोहम्मद सलीम खान की गिरफ्तारी के सिलसिले में बुलाए जाने पर नई दिल्ली के चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन पहुंचती हैं. तब उन्हांेने दो व्यक्तियांे को पुराने कपड़े और हथकड़ियों के साथ फर्श पर बैठे देखा. साइमा ने समझा वे ‘कैदी’ हैं.

इतने में आवाज आई, ‘‘साइमा, मैं हूं. तुम्हारे अब्बू.’’ साइमा अपने पिता को याद करते हुए बताते ही रो पड़ती हंै. उन्हांेने बताया कि रोजाना सूट-बूट पहनने वाले उसके पिता सलीम खान बिलकुल दुबले-पतले हो गए थे. शरीर पर पुरानी टी-शर्ट थी.साइमा बोली, उन्हें इस हालत में देखकर मैं सदमे में आ गई. उसके पिता ने समृद्ध जीवन जीया है. वह पूरी दुनिया घूमे हैं. मगर उस वक्त एक पिंजरे में कैद पंछी लग रहे थे.

सलीम खान को दिल्ली पुलिस ने 11 मार्च 2020 को पूर्वोत्तर दिल्ली दंगे के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. परिवार को शुरुआती तीन महीनों में उसके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. उन्हें शुरू में दंगे के लिए गिरफ्तार किया गया. बाद में एफआईआर 59 में फिर गिरफ्तार कर लिया गया, जिसमें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के आरोप है.

सलीम खान के साथ मानवाधिकार कार्यकर्ता खालिद सैफी, छात्र नेता शरजील इमाम, उमर खालिद, सफूरा जरगर, मीरान हैदर और कई अन्य भी इसी मामले में कैद हैं.

दिल्ली पुलिस ने उन पर हिंसा का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया है. दिल्ली दंगे में कम से कम 54 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर मुसलमान थे. बावजूद इसके मुसलमान ही ज्यादा जेल में हैं. यहां तक कि उस राजनता के खिलाफ भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसने भीड़ को उकसाने की नियत से मुसमलानों के लिए कहा था-‘‘गोली मारों सालांे को.’’

तीन साल बाद, साइमा आज भी अपने परिवार और पिता के कानूनी खर्चों का बोझ उउठाने को संघर्ष कर रही है. पिता की गिरफ्तारी ने उसका जीवन 260 डिग्री तक बदल दिया है.वह कहती हैं,पिछले साल मैं अपने परिवार को आर्थिक संकट से उबारने के लिए एक दिन में तीन-तीन काम करती थी. फिर मेरे भाई ने कॉलेज छोड़ दिया और नौकरी कर ली.

सलीम खान के निर्यात कारोबार के कारोबार को कोविद -19 के लॉकडाउन के कारण बंद करना पड़ा.बाद में, उसके भाई, साहिल ने पिता की कंपनी का नाम बदल दिया. जैसे ही लोगों को उसके पिता के बारे में पता चला दूर चले गए.साइमा का दावा है कि पिता के मामले में उन्हें और उनके परिवार को भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. लोग उन्हें आतंकवादी कहते हैं. वह पूछती है उन्हें ऐसा कहने का अधिकार किसने दिया ?” इसके चलते उन्हें कई बार घर बदलना पड़ा.

साइमा के अनुसार,सलीम खान को एक संरक्षित गवाह के बयान पर फंसाया गया है. चार्जशीट में कहा गया है, दंगों के समय, वह पूर्वोत्तर दिल्ली में मौजूद थे और अतहर खान, शादाब जैसे सह-आरोपियांे से जुड़े हुए थे.

अगस्त और सितंबर 2022 में सलीम खान को उनके भाई की मौत के कारण कस्टोडियल पैरोल दी गई थी. संक्षिप्त रिहाई के दौरान दर्जनों सुरक्षा बलों से घिरे उसकी छवि साइमा को परेशान करती थी.वह बताती है,हर कोई तस्वीरें ले रहा था. जैसे उसके पिता कोई अपराधी हों. भेदभाव ने परिवार को लोगों से झूठ बोलने के लिए मजबूर कर है. अंजानी जगह कोई पिता के बारे में पूछता है तो बताती है कि वह लंदन में हैं.

साइमा कहती हैं,हम अपनी छोटी, बहन पर ध्यान केंद्रित कर रहे है. नहीं चाहते कि उसकी शिक्षा बाधित हो. उसने रिश्तेदारों को भी बताया है कि वह लंदन में है जहां वह अक्सर जाया करती है.

सलीम खान को दो मामलों में जमानत दी गई है. यूएपीए मामले में उनकी जमानत याचिका पर ट्रायल कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. हालांकि, साइमा का कहना है कि पिता को न्याय नहीं मिलेगा, क्योंकि वह पहले ही काफी कुछ झेल चुके हैं. कथित कानूनी कार्रवाईयों ने मुझे और हमारे परिवार को नष्ट कर दिया है.