Muslim WorldTOP STORIES

पाकिस्तान पीएम इमरान खान चुनौतियों से पीछे हटे, नए चुनाव की पकड़ी राह

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, इस्लामाबाद

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को कहा कि वह अविश्वास प्रस्ताव को दरकिनार कर जल्द चुनाव कराने की मांग करते हैं.उन्हांेने आरोप लगाया कि उनकी सरकार गिराने की साजिश की जा रही थी जिसे विफल कर दी गई.

पाकिस्तान की संसद के डिप्टी स्पीकर ने रविवार को वोटिंग से पहले विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया और सत्र को अचानक समाप्त कर दिया. इसके कुछ मिनट बाद, खान ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर कहा कि वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति से संसद भंग करने और जल्द चुनाव कराने की मांग करते हैं. इस बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति डाॅ अल्वी ने इमरान सरकार की सिफारिश मानते हुए सदन भंग करने का ऐलान कर दिया.

यह घटनाक्रम तब सामने आया जब सूचना मंत्री फवाद चैधरी ने विपक्ष पर ‘शासन परिवर्तन‘ के लिए ‘विदेशी शक्ति‘ के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया.इस पर इमरान खान ने कहा, ‘मैं लोगों से अगले चुनाव की तैयारी करने को कहता हूं. अल्लाह का शुक्र है, सरकार गिराने की साजिश विफल हो गई. ”

विपक्ष, जिसने कहा था कि वह संसद में विरोध प्रदर्शन करेगा, ने डिप्टी स्पीकर के फैसले को अविश्वास मत को अवैध बताया और पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय में जाने की कसम खाई है.इमरान खान को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष
ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था. उन्होंने पाकिस्तान की 342 सीटों वाली संसद में 172 वोटों के साधारण बहुमत का दावा किया, ताकि क्रिकेट स्टार से रूढ़िवादी इस्लामी राजनेता बने खान को सरकार से बाहर किया जा सके. इस बीच
खान के छोटे लेकिन प्रमुख गठबंधन सहयोगी,उनकी अपनी पार्टी के 17 सदस्यों के साथ उन्हें बाहर करने के लिए विपक्ष में शामिल हो गए.

रविवार को संसद बुलाए जाने के कुछ समय बाद अविश्वास मत की उम्मीद की जा रही थी. संसदीय नियम तीन से सात दिनों की बहस की अनुमति दते हैं. विपक्ष ने कहा कि उसके पास तत्काल वोट के लिए संख्या है. मगर नियत के इतर सदन बरखास्त करने का ऐलान कर दिया गया.

खान ने विपक्ष पर उन्हें सत्ता से हटाने के लिए अमेरिका के साथ साठगांठ करने का आरोप लगाया है. कहा कि अमेरिका चाहता है कि वह अपनी विदेश नीति के विकल्पों को छोड़ दें जो अक्सर चीन और रूस के पक्ष में होते हैं. खान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के युद्ध और वाशिंगटन के साथ उस युद्ध में पाकिस्तान की भागीदारी के भी घोर विरोधी रहे हैं.

खान ने एक मेमो प्रसारित किया है जिसमें उन्होंने जोर देकर कहा कि वाशिंगटन ने पाकिस्तान के विरोधियों के साथ साजिश रची,क्योंकि अमेरिका चाहता है कि ‘‘मैं, व्यक्तिगत रूप से, चला गया तो सब कुछ ठीक हो जाएगा.‘‘

खान के हार से उनके विरोधियों को नई सरकार बनाने और अगले साल होने वाले चुनावों तक शासन करने का मौका मिल जाता.पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब के निवासियों ने रविवार को नए मुख्यमंत्री के लिए मतदान किया. खान की पसंद को एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा. उनके विरोधियों ने दावा किया कि उनके पास अपनी पसंद को स्थापित करने के लिए पर्याप्त वोट हैं.

पंजाब में रहने वाले पाकिस्तान के 220 मिलियन लोगों में से 60 प्रतिशत के साथ, इसे देश के चार प्रांतों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है. साथ ही रविवार को सरकार ने प्रांतीय गवर्नर को बर्खास्त करने की घोषणा की, जिनकी भूमिका काफी हद तक औपचारिक है और संघीय सरकार के विरूद्ध मानी जा रही थी, लेकिन सदन में आज जो कुछ हुआ उससे राजनीतिक उथल-पुथल को और गहरा दिया है.

पाकिस्तान के मुख्य विपक्षी दल, जिनकी विचारधाराएं बाएं से दाएं से लेकर मौलिक रूप से धार्मिक तक फैली हुई हैं, 2018 में चुने जाने के बाद से ही खान के निष्कासन के लिए रैली कर रहे हैं.

व्यापक आरोपों के बीच खान की जीत विवादों में घिर गई थी कि पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना ने उनकी पाकिस्तान तहरीक इंसाफ (जस्टिस) पार्टी को जीत दिलाने में मदद की थी.वाशिंगटन स्थित यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ असफंदयार मीर ने कहा कि 2018 के चुनावों में सेना की भागीदारी ने खान की वैधता को शुरू से ही कमजोर कर दिया.

मीर ने कहा, ‘‘इमरान खान की सरकार के खिलाफ आंदोलन 2018 के चुनाव में उनके विवादास्पद सत्ता में आने से अविभाज्य है, जिसे सेना ने खान को लाइन में धकेलने के लिए हेरफेर किया था.‘‘ “इसने वास्तव में चुनावी कवायद की वैधता को कम कर दिया और मौजूदा उथल-पुथल के लिए आधार बनाया. ‘‘

पाकिस्तान की सेना ने अपने 75 साल के इतिहास में आधे से अधिक समय तक सीधे तौर पर शासन किया है. लगातार लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को उखाड़ फेंका है. उस समय के शेष समय के लिए इसने अप्रत्यक्ष रूप से चुनी हुई सरकारों को किनारे से जोड़ दिया है.

विपक्ष ने खान पर आर्थिक कुप्रबंधन का आरोप लगाया है. उन्हें बढ़ती कीमतों और उच्च मुद्रास्फीति के लिए दोषी ठहराया है. फिर भी, खान की सरकार को 18 अरब के विदेशी रिजर्व खाते को बनाए रखने और विदेशी पाकिस्तानियों से पिछले साल रिकॉर्ड 29 अरब डॉलर लाने का श्रेय दिया जाता है.खान को भ्रष्टाचारियों पर नकेल डालने का भी श्रेय दिया जाता है.